एक लाठी, दो लाठी, तीन लाठी, कई लाठियां…फिर दूसरे शख्स की भी इसी तरह से पिटाई. इसी तरह तीसरे, चौथे, पांचवें...कुल मिलाकर 9 मुस्लिमों को गुजरात (Gujarat) में खेड़ा के उंधेला गांव में सार्वजनिक तौर पर पीटा गया. ये वीडियो (Viral Video) काफी परेशान करने वाला है- पहली बात ये सब पुलिस के सामने हुआ. इसे रोकने के बजाय वो इसकी भागीदार बनी. पिटाई के बाद हर पीड़ित को पुलिस वैन में ले गई.
दूसरा ये कि सादी वर्दी में पीटने वाले लोग खुद पुलिसवाले हो सकते हैं लेकिन चूंकि ये बहुत आपत्तिजनक होगा, गुजरात पुलिस इसे स्वीकार नहीं कर रही.
तीसरी और सबसे शर्मनाक बात ये है कि पिटाई के वक्त मौजूद भीड़ तालियां बजा रही थी. किसी को नहीं लगा कि ये गलत हो रहा है या कानून के खिलाफ और अमानवीय है.
इन मुस्लिमों पर एक गरबा कार्यक्रम पर पथराव का आरोप था, इसमें कुछ लोग जख्मी हुए थे. इसकी आलोचना होनी चाहिए लेकिन भारत का कौन सा कानून कहता है कि आरोपी ही अपराधी है?
'हम सबको क्या हो गया है?'
क्या कानून यह कहता है कि गुंडे नहीं, पुलिस आरोपियों को खुद लाए और एक-एक करके चौराहे पर पीटे, उनकी बेइज्जती करे और भीड़ से माफी मंगवाए. ये भीड़तंत्र है, जिसमें पुलिस खुद मुख्य किरदार निभा रही है. देश के मुस्लिमों के लिए ये नया नॉर्मल है. ये जो इंडिया है ना....यहां हम सब को क्या हो गया है?
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