कयानभाई पटेल 53 साल के थे. 26 जनवरी 2001 की सुबह, गुजरात (Gujarat) के कच्छ जिले के अधोई में वे अपने घर के बाहर एक खाट पर बैठे थे, ये भुज से करीब 97 km दूर है, उसी समय उन्हें जोरदार गड़गड़ाहट सुनाई दी.
कयानभाई ने उस घटना को याद करते हुए बताया कि "सबसे पहले मैंने सोचा कि पाकिस्तानी आर्मी ने हमारे इलाके में कोई बम गिरा दिया है, लेकिन अचानक धरती में दरारें आने लगीं और सबकुछ खत्म हो गया."
ये भूकंप था. 2001 में भुज के उस भूकंप में हजारों लोगों की जान गई और लाखों लोग घायल हुए. कयानभाई पटेल के जेहन में आज भी उस भूकंप की यादें ताजा हैं.
ये 7.7 तीव्रता का भूकंप था, जिसने पूरे गुजरात को दहला दिया, और चुंकि इसका केंद्र भुज था तो इसे भुज भूकंप के नाम से जाना गया. राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, इस आपदा में 13,805 से 20,023 के बीच लोगों की जान गई. करीब 1 लाख 67 हजार लोग घायल हुए और करीब 3 लाख 40 हजार घर तबाह हो गए.
गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 से पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त को स्मृति वन मेमोरियल का उद्घाटन किया. इसे भुज में भूकंप के दौरान लोगों के संघर्ष को प्रदर्शित करने के लिए बनाया गया है. कयानभाई स्मारक को देखकर थोड़े उदासीन हैं.
उन्होंने कहा, मैंने मेमोरियल नहीं देखा है, मैं देखना भी नहीं चाहता हूं. हम इसका क्या करेंगे? हमारे गांव में एक पहले से ही है जो हमने 10 साल पहले बनाया था."
भूकंप के बाद के सालों में, कयानभाई ने अपने घर में एक हैंडलूम इकाई खोली. 74 साल के कयानभाई बताते हैं कि, "सरकार ने हमारी मदद नहीं की. जितना मुआवजा दिया गया वो नाकाफी था, तो हमने एक साथ इसे मना कर दिया और चीजों को खुद से ठीक किया."
26 जनवरी 2001 की सुबह भूकंप के समय, अधोही गांव में उस समय काफी बच्चे थे, जो अब 2022 के गुजरात चुनाव में पहली या दूसरी बार वोट डालेंगे, लेकिन स्मृति वन ने भूकंप की त्रासदी और अपनी जिंदगी को फिर से खड़ा करने वाले लोगों के संघर्ष ने सारी यादें फिर से ताजा कर दी हैं.
"हमें जो घर दिया गया था, हम आज भी उसके मालिक नहीं हैं"
65 साल के रणछोड़भाई पटेल अधोई में रहते हैं, लेकिन उनके परिवार के ज्यादातर लोग अब मुंबई में रहते हैं. उन्होंने क्विंट से कहाकि अब "मैं भी इस जगह को छोड़ना चाहता हूं." हालांकि वो ऐसा नहीं कर सकते. "नए शहर में बसने के लिए और नया घर खरीदने के लिए मुझे पैसों की जरूरत होगी और उसके लिए मुझे ये घर बेचना होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि इस घर का मालिक होने के बावजूद रजिस्ट्री मेरे नाम पर नहीं है. इसलिए मेरे लिए ये घर बेचना असंभव है"
भूकंप में रणछोड़भाई ने अपना घर और परिवार के तीन सदस्यों को गंवा दिया था.
गांव में कई लोगों की एक सी शिकायत है. क्विंट ने गांव के पूर्व सरपंच वंकरभाई से बात की, उन्होंने कहा कि उस समय महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार भूकंप से प्रभावित लोगों की मदद करने के लिए सामने आई थी.
कांग्रेस सरकार ने भूकंप प्रभावित लोगों के लिए 1500 से 2000 घर बनवाए, लेकिन समस्या ये है कि 22 साल बाद भी ये घर गुजरात सरकार के अधीन सब रजिस्ट्रार ऑफिस में दर्ज नहीं किए गए हैं. इसका नतीजा है कि लोगों के पास आज भी पूरा मालिकाना हत नहीं है और अपना घर नहीं बेच सकते.वंकरभाई, पूर्व सरपंच, अधोई
वंकरभाई के अनुसार, गांव के लोगों के पास गुजरात सरकार की तरफ से दिए जा रहे 90 हजार रुपये मुआवजा या फिर महाराष्ट्र सरकार की तरफ से मुहैया कराए गए घरों में से एक को चुनने का विकल्प था.
उन्होमने कहा, "लोगों को महाराष्ट्र सरकार के घरों और गुजरात सरकरा के मुआवजों में से किसी एक को चुनना था हालांकि जिन लोगों ने मुआवजा चुना उन्हें भी पूरा पैसा नहीं मिला. किसी को 60 हजार ही मिले तो किसी को 30 से 40 हजार रुपए"
वंकरभाई और उनके बाद के सरपंच ने गुजरात सरकार को कई बार लिखा लेकिन उन्होंने कहा कि इससे कुछ नहीं हुआ. वे क्विंट से बोले- "हम सालों तक कई बार गांधीनगर गए हैं, लेकिन समस्या का समाधान कभी नहीं हुआ."
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2001 के भूकंप के दौरान नष्ट हुआ एक घर.
(फोटो: हिमांशी दहिया/द क्विंट)
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भूकंप के दौरान क्षतिग्रस्त हुई इमारत.
(फोटो: हिमांशी दहिया/द क्विंट)
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2001 के भूकंप के दौरान अधोई में तबाह हुए एक घर के अंदर की तस्वीर
(फोटो: हिमांशी दहिया/द क्विंट)
'हम इस झटके से कभी उबर नहीं सके'
खेत में करने वाली 42 साल की देवी, 26 सालों से अधोही में रह रही हैं. शादी के महज पांच साल बाद उनके पति कन्हैयालाल की भूकंप में जान चली गई थी. उन्होंने क्विंट से कहा कि, "हमने सरकार की तरफ से दिया गया मुआवजा लिया. 90 हजार का वादा किया गया था, लेकिन हमें पूरी राशि नहीं मिली. मेरी समझ से हमें इसका आधा ही पैसा मिला था."
देवी ने महाराष्ट्र सरकार की तरफ से दिया जा रहा घर स्वीकार नहीं किया, उन्होंने कहा कि घर गांव के बाहर बने थे और उनमें जानवरों के लिए कोई जगह नहीं थी.
उन्होंने आगे कहा कि भूकंप के बाद लगे आर्थिक झटके से उनका 6 लोगों का परिवार कभी उबर नहीं सका. अब वे 2 कमरों के जर्जर मकान में रहते हैं, जो उन्होंने सरकार से मिले पैसों की मदद से बनवाया था.
हम कई साल में धीरे-धीरे ये घर बनवा पाए. जब भी मुआवजे का एक हिस्सा मिलता तो हम घर का काम शुरू करवा देते. पहले हमने एक कमरा और बाथरूम बनवाया और बाद में हम एक और कमरा बनवा पाए.
स्मृति वन कौन जाएगा?
देवी को स्मृति वन के उद्धाटन के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. जब हमने पूछा कि क्या वो कभी वहां जाना चाहेंगी, उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता कि ये क्या है, लेकिन अगर मैं स्मृति वन देखने भुज जाऊंगी तो उस दिन काम पर कौन जाएगा? हम क्या खाएंगे?"
रणछोड़भाई और कयानभाई दोनों ने अखबार में इसके उद्घाटन के बारे में सुन रखा था, लेकिन वहां जाने के इच्छुक नहीं थे. रणछोड़भाई ने कहा कि अगर वे सचमें हमारे लिए कुछ करना चाहते हैं तो जिन घरों में हम रहते हैं उनका मालिकाना हक दिलवाएं."
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