राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने बुधवार, 18 मई को कहा कि समय आ गया है कि "ऐतिहासिक तथ्यों" को समाज के सामने "सही परिप्रेक्ष्य" में रखा जाए यानि उसे सही नजरिया दिया जाए. RSS का यह बयान उस समय आया है जब ज्ञानवापी मस्जिद मामले (Gyanvapi Masjid Case)को लेकर सुप्रीम कोर्ट और वाराणसी की अदालत में सुनवाई चल रही है.
आरएसएस अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख (अखिल भारतीय प्रचार प्रभारी) सुनील आंबेकर ने पत्रकारों को सम्मानित करने के लिए आरएसएस के एक कार्यक्रम देवर्षि नारद पत्रकार सम्मान समारोह में कहा-
“अभी ज्ञानवापी का मसला चल रहा है. कुछ तथ्य ऐसे हैं जो खुलकर सामने आ रहे हैं. मेरा मानना है कि हमें तथ्यों को खुलकर सामने आने देना चाहिए. किसी भी मामले में सच्चाई हमेशा बाहर आने का रास्ता खोजती है. आप इसे कब तक छुपा सकते हैं? मेरा मानना है कि समाज के सामने ऐतिहासिक तथ्यों को सही परिप्रेक्ष्य में रखने का समय आ गया है."
भारत की समकालिक संस्कृति पर आंबेकर ने कहा, “यह सच है कि भारत विविधता में एकता का प्रतीक है. लोग गंगा-जमुना संस्कृति की बात करते हैं. लेकिन बाद में यह एक हो जाना चाहिए. गंगा बननी चाहिए. तभी हम साथ चल सकते हैं. मेरा मानना है कि जनता में जागृति पैदा करने की जिम्मेदारी है."
RSS ज्ञानवापी मामले में कितना सक्रिय रहेगा?
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रहे राज्य मंत्री संजीव बाल्यान ने कहा कि जब उन्हें पता चला कि मस्जिद परिसर में एक शिवलिंग है तो वह भावुक हो गए. उन्होंने कहा, “पिछले हफ्ते मैं वाराणसी में था जब ज्ञानवापी का यह मामला चल रहा था. मैं भावुक हो गया. लेकिन मैं और अधिक अभिभूत हो गया जब एक पत्रकार ने मुझे बताया कि नंदी सदियों से भगवान शिव की प्रतीक्षा कर रहे थे. मेरी आंखें भर आईं.”
एक्सप्रेस के मुताबिक, आरएसएस के सूत्रों ने कहा कि संघ ने इन दावों को बल देने में सक्रिय रूप से भाग नहीं लेने का फैसला किया है. आरएसएस के एक नेता ने कहा, “भागवत जी ने जो कहा, आरएसएस अब भी उस पर कायम है, हमारा काम समाज को तैयार करना और व्यक्तियों का निर्माण करना है. लेकिन आपको यह समझना होगा कि एक बार जब हिंदू समाज जाग जाएगा, तो वह अपने दावों पर जोर देगा और मुद्दे अपने तरीके से आगे बढ़ेंगे.
एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से कहा कि संघ की फिलहाल इन दोनों स्थलों के लिए अयोध्या की तर्ज पर जन आंदोलन शुरू करने की कोई योजना नहीं है. एक अन्य नेता ने कहा, जब न्याय पाने के अन्य सभी रास्ते समाप्त हो जाते हैं तो हम इसमें शामिल हो जाते हैं. हम अयोध्या में इसलिए शामिल हुए क्योंकि देश में बना धर्मनिरपेक्ष माहौल बाबरी मुद्दे पर चर्चा तक नहीं होने दे रहा था, इसे ठीक करने की तो बात तो छोड़िए. लेकिन देश में अब ऐसी स्थिति नहीं है. चीजें अपने आप हो रही हैं और अदालती मामले सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.
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