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AESA रडार से अपग्रेड जगुआर दुश्मन पर करेगा तेजी से सटीक हमला

जगुआर भारतीय वायुसेना की मुख्य ताकत है. नए अपग्रेड के साथ अगले दस साल के लिए तैयार हैं फाइटर प्लेन

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भारत में पहली बार हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने एयरफोर्स के AESA रडार से लैस जगुआर विमानों की टेस्टिंग की. AESA (एक्टिव इलेक्ट्रानिक्ली स्कैनड एरे रडार) को इजरायली फर्म ईएलटीए से खरीदा गया है. यह टेस्टिंग बेंगलुरू में की गई.

ये रडार जगुआर डेरिन-3 प्लेन्स में अप्रग्रेडिंग के दौरान लगाए जाएंगे. जगुआर डेरिन-3 में इस रडार के अलावा मल्टी टार्गेट ट्रेकिंग फ्रेक्वेंसी एजीलिटी की व्यवस्था भी की गई है. इन सब सुधारों से इस प्लेन को अगले एक दशक के लिए उपयोग में लाया जा सकेगा.
स्नैपशॉट

जगुआर की खास बातें और अपग्रेड्स

ओपन सिस्टम आर्किटेक्चर मिशन कंप्यूटर, इंजिन एंड फ्लाइट इंस्ट्रूमेंट सिस्टम

जियोडेटिक हाईट करेक्शन, मल्टी फंक्शनल डिस्प्ले

सॉलिड स्टेट डिजिटल वीडियो रिकार्डिंग सिस्टम, सॉलिड स्टेट फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर

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फिलहाल आईएएफ के पास जगुआर के 6 स्कवाड्रन हैं. इनमें हर एक में 20 प्लेन हैं. ये अम्बाला, जामनगर और गोरखपुर में तैनात हैं. लेजर गाईडेड मिसाईल और ऑन बोर्ड वेपनरी के चलते ये प्लेन आईएएफ की मुख्य ताकत माने जाते हैं.

यह दुश्मन की सीमा में काफी अंदर तक घुसकर हमला कर सकते हैं. इनके जरिए आराम से दुश्मन के कैंप, एयरबेस और वॉरशिप्स को निशाना बनाया जा सकता है.

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