उत्तर प्रदेश के हाथरस में 20 साल की लड़की के साथ हुई हैवानियत के मामले में कई तरह की लापरवाही सामने आई थी. जिसमें हैवानियत के बाद लड़की के उचित इलाज को लेकर भी सवाल उठे थे. अब इस मामले को लेकर बड़ी कार्रवाई हुई है. हाथरस के जिस हॉस्पिटल में पीड़िता का इलाज हुआ था उसके सीएमओ और इलाज करने वाले डॉक्टर को सस्पेंड कर दिया गया है.
बता दें कि हाथरस में पीड़िता के साथ कुछ युवकों ने हैवानियत की और उसके साथ जमकर मारपीट भी हुई. जिसके बाद उसकी रीढ की हड्डी और गर्दन में में चोट आई. घटना के बाद पुलिस की लापरवाही भी देखने को मिली. लेकिन आखिरकार पुलिस ने पीड़िता को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया. बताया गया कि पीड़िता को कई दिनों तक जनरल वार्ड में रखा गया, जबकि उसकी हालत गंभीर थी.
वहीं डॉक्टरों ने पीड़िता के शरीर से एसएफएल सैंपल भी करीब 11 दिन बाद लिए थे. जिसके आधार पर यूपी पुलिस के डीजीपी ने कहा था कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ, क्योंकि एसएफएल सैंपल में स्पर्म नहीं पाया गया
सीबीआई जांच के बाद लिया गया फैसला
इस मामले पर जमकर बवाल और राजनीति हुई. इसके बाद जांच सीबीआई के हाथों में सौंप दी गई थी. बताया जा रहा है कि सीबीआई जांच में ही मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर और प्रशासन की गलती निकलकर सामने आई है. जिसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने ये निलंबन का ये फैसला किया. उन्होंने सीएमओ को लिखे एक लेटर में कहा है कि आपकी नियुक्ति तत्काल प्रभाव से निरस्त की जाती है.
डॉक्टर और सीएमओ के सस्पेंड होने के बाद मेडिकल कॉलेज में इसका विरोध भी शुरू हो चुका है. बताया जा रहा है कि डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्यकर्मी इसके खिलाफ आंदोलन छेड़ सकते हैं. जिससे पूरे इलाके की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराने का भी डर है. हालांकि अब तक इसे लेकर कोई ऐलान नहीं किया गया है.
पुलिस पर भी गिरी थी गाज
हाथरस इस मामले में कई स्तर पर लापरवाही देखने को मिली थी. जिसके बाद सबसे पहले एसपी और डीएसपी समेत कुल 5 पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया था. साथ ही कहा गया था कि उन सभी का पॉलीग्राफ टेस्ट किया जाएगा. मामले में योगी सरकार पर भी आरोप लगे कि सरकार ने इस मामले पर देर से संज्ञान लिया.
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