देश की राजधानी दिल्ली में जून में औसतन 64.1 मिलीमीटर बारिश दर्ज होती है. लेकिन इस साल जून में सिर्फ 6.6 मिलीमीटर बारिश हुई है. दिल्ली जून में सबसे कम बारिश वाला ‘राज्य’ भी बन गया है, जहां सामान्य से 90 फीसदी कम बारिश हुई. पिछले 26 साल में दिल्ली दूसरी बार जून में भयंकर सूखे से गुजरा.
मौसम विभाग ने बताया-कब होगी बारिश?
आईएमडी में सीनियर साइंटिस्ट कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘मॉनसून में देरी बड़ी वजह है. आमतौर पर, मॉनसूनी हवाएं 29 जून तक शहर में पहुंच जाती है. अगर ये समय पर आतीं, तो बारिश की कमी को पूरा कर सकती थीं.’’
साइंटिस्ट कुलदीप ने कहा, ‘‘आज, पूर्वी हवाएं चल रही हैं और दिल्ली में अगले तीन से चार दिनों में कुछ बारिश हो सकती है. मॉनसून 4-5 जुलाई को आने की संभावना है.’’
मौसम विभाग ने बताया, शहर में 1993 में बहुत कम बारिश दर्ज की गई थी. उस समय केवल पांच मिलीमीटर बारिश हुई थी. उन्होंने बताया कि 82 फीसदी कम बारिश के साथ चंडीगढ़ जून में दूसरा सबसे सूखा ‘राज्य’ बना हुआ है. एक जून और एक जुलाई के बीच होने वाली औसतन बारिश 137 मिलीमीटर की तुलना में यहां केवल 24.8 मिलीमीटर बारिश हुई.
जून महीने में मॉनसूनी बारिश में आई कमी 2015 के बाद सबसे ज्यादा
इस साल जून महीने में मॉनसूनी बारिश में जो कमी दर्ज की गई है, वह 2015 के बाद से सबसे ज्यादा है. जून महीने में जितनी बारिश हुई है, वह दीर्घावधि के औसत (लॉन्ग पीरियड एवरेज) के हिसाब से 33 फीसदी कम है.
केंद्रीय जल आयोग के आंकड़े बताते हैं कि 27 जून तक देश के 91 प्रमुख जलाशयों में से 62 ऐसे हैं जहां पानी 80 फीसदी या सामान्य स्तर से नीचे आ चुका है.
बता दें, एलपीए का 90 फीसदी से कुछ भी कम ‘‘कमी’’ की कैटेगरी में आता है. जब बारिश 90-96 फीसदी होती है तो उसे ‘‘सामान्य से कम’’ और जब बारिश एलपीए के 96-104 फीसदी होती है तो उसे ‘‘सामान्य’’ माना जाता है. जब बारिश एलपीए के 104-110 फीसदी पर होती है तो उसे ‘‘सामान्य से अधिक’’ और जब वह 110 फीसदी से ऊपर चली जाती है तो उसे ‘‘अत्यधिक’’ माना जाता है.
इस साल मॉनसून ने आठ जून को केरल के तट पर दस्तक दी जबकि इसके वहां पहुंचने की सामान्य तारीख एक जून होती है. इसके अलावा मॉनसून के आगे बढ़ने पर अरब सागर से उठे ‘वायु’ चक्रवात ने असर डाला. उम्मीद है कि बंगाल की खाड़ी में बन रहे कम दबाव के क्षेत्र के कारण मॉनसून की आगे बढ़ने की गति अच्छी हो सकती है.
(इनपुट: भाषा)
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