हिमाचल विधानसभा चुनाव में फतह हासिल करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां अपनी पूरी ताकत लगा रही हैं. एक तरफ सूबे के छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह हैं, तो दूसरी तरफ दो बार के मुख्यमंत्री रह चुके बीजेपी नेता प्रेम कुमार धूमल हैं. 68 सदस्यीय विधानसभा में हर सीट पर दोनों ही पार्टियों में जंग होती आई है, लेकिन इन 68 सीटों में से एक सीट ऐसी है, जहां दोनों ही पार्टियों की नींव दरकती नजर आ रही है.
हिमाचल प्रदेश विधानसभा सीट संख्या-16, कांगड़ा में 2012 विधानसभा चुनाव के वक्त 68,243 मतदाता थे. इस क्षेत्र की कुल आबादी पिछले चुनाव के वक्त 1,510,075 थी. कांगड़ा को 'राजाओं की कर्मभूमि' के नाम से जाना जाता है. इस शहर के बारे में धारणा है कि इस शहर को महमूद गजनवी ने लूटा था और इस क्षेत्र में स्थित मशहूर ब्रजेश्वरी मंदिर को तबाह कर दिया था.
कांगड़ा में हमेशा फिट बैठा जाति समीकरण
राजनीतिक रूप से ओबीसी बहुल क्षेत्र की यह परंपरा रही कि यहां जाति समीकरण हमेशा फिट बैठते हैं. साथ ही यह एकमात्र सीट है, जहां एक दशक से बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपनी जमीन तलाश करती नजर आ रही हैं. पिछले दो चुनाव 2007 में बहुजन समाज पार्टी के संजय चौधरी ने कांग्रेस से यह सीट छीनकर दोनों पार्टियों को सख्ते में डाल दिया था. 2012 में यहां से निर्दलीय उम्मीदवार पवन काजल ने चुनाव जीतकर बीजेपी और कांग्रेस को इस सीट से और दूर कर दिया था.
ओबीसी का दबदबा
कांगड़ा विधानसभा क्षेत्र ओबीसी बहुल होने के कारण हर चुनाव में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस क्षेत्र में घिरथ जाति का खासा प्रभाव रहा है और यह इस क्षेत्र की हकीकत है कि जिस प्रत्याशी ने इनको साध कर अपनी रणनीति बनाई है, चुनाव जीतने में सफल रहा है. हालांकि इस विधानसभा क्षेत्र में राजपूत और ब्राह्मण मतदाता भी हैं, लेकिन दोनों ही समुदाय चुनाव मैदान में गठजोड़ पर विफल रहे हैं.
पवन काजल हैं कांग्रेस के उम्मीदवार
वर्तमान में निर्दलीय विधायक ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया है. पेशे से बिल्डर पवन काजल ने 2012 में चुनाव जीतकर अपनी लोकप्रियता साबित की थी. इसी बात का फायदा उठाकर कांग्रेस ने उन्हें टिकट देकर दोबारा से चुनाव मैदान में उतारा है. पवन के पहले बीजेपी में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन पवन ने कांग्रेस के साथ जाकर अपने इरादे साफ कर दिए.
संजय सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार
वहीं बीजेपी ने संजय चौधरी को कांगड़ा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार घोषित किया है. संजय चौधरी इससे पहले जिलाध्यक्ष और पूर्व विधायक भी रह चुके हैं. इसके साथ ही बहुजन समाज पार्टी के विजय कुमार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के रवि चंद, लोकगठबंधन पार्टी के सेवानिवृत्त कर्नल कुलदीप सिंह और निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. राजेश शर्मा मैदान में एक दूसरे को टक्कर देते दिखाई देंगे.
कांगड़ा में चुनाव इस परिपेक्ष्य से महत्वपूर्ण और दिलचस्प माना जा रहा है, क्योंकि यहां की जनता ने एक बार से ज्यादा किसी विधायक या फिर मुख्य पार्टी को ज्यादा तवज्जो नहीं दी. जहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों की ही जमीन इस सीट पर दरकती जा रही है, वहीं निर्दलीय उम्मीदवार भी किसी करिश्मे की ताक लगाए बैठे हैं. अब तय जनता को करना है कि क्या यहां का शासन दोबारा से किसी निर्दलीय को सौंपा जाए या फिर से मुख्य पार्टी की जड़े स्थापित की जाए.
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