ADVERTISEMENTREMOVE AD

हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की सैलरी पर 'संकट' क्यों?

Himachal Pradesh: जनता से तमाम वादे करने वाली सुक्खू सरकार अब आर्थिक मोर्चे पर डगमगाती नजर आ रही है.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) सरकार का खजाना खाली हो गया है. कर्मचारियों की सैलरी पर संकट आता दिख रहा है. महीने की 14 तारीख आ गई है, लेकिन अभी तक लोगों को वेतन नहीं मिल सका है. केंद्र सरकार की तरफ से भी झटका मिला है. बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने राज्य को दिए जाने वाले लोन को भी घटा दिया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

सरकारी कर्मचारियों में गुस्सा

प्रदेश के कर्मचारियों को वक्त पर सैलरी भी नहीं मिल रही है. हजारों करोड़ बोझ तले दबे प्रदेश की नई कांग्रेस सरकार पेंशन, बकाया और एरियर समेत OPS की कर्मचारियों की मांगें पूरा करने में लगी है, तो बजट की समस्या आड़े आ रही है. ऐसा पहली बार हुआ है कि पहली तरीख को दिया जाने वाला वेतन, सरकार इस बार 14 तारीख तक भी नहीं दे पाई है. इससे कर्मचारियों में रोष है और अब आंदोलन का रास्ता अपनाने की भी तैयारी होने लगी है.

किन कर्मचारियों को नहीं मिली सैलरी?

जनता से तमाम वादे करने वाली सुक्खू सरकार अब आर्थिक मोर्चे पर डगमगाती नजर आ रही है. आर्थिक तंगी के चलते प्रदेश के 15 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को मई महीने की सैलरी नहीं मिल पाई है.

इसमें HRTC, वन निगम, मेडिकल कॉलेज, IPH के आउटसोर्स कर्मचारियों और श्रम और रोजगार विभाग के कर्मचारियों को अभी (14 जून) तक भी वेतन नहीं मिल पाया, जिससे ये कर्मचारी वर्ग परेशान है.

सैलरी न मिलने वाले विभागों के कर्मचारियों की बात करें तो अकेले HRTC विभाग के ही 12 हजार के करीब कर्मचारी अभी तक वेतन के इंतजार में हैं. जबकि, बाकी विभागों के तीन हजार कर्मचारियों समेत प्रदेश के कुल 15 हजार कर्मचारी वेतन के राह देख रहे हैं. प्रदेश का ये हाल कांग्रेस की सरकार बनने के 6 महीने में दिख रहा है.

क्या बोले HRTC के MD ?

मौजूदा वक्त में हिमाचल और हिमाचल से बाहर HRTC की 3372 बसें 4 हजार से अधिक रूटों पर चल रही हैं. वेतन और HRTC की सेवाओं के बारे में जब HRTC के प्रबंध निदेशक संदीप कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि HRTC कर्मियों के वेतन का मामला वित्त विभाग को भेजा गया है.

प्रदेश की आर्थिक हालत खस्ता, केंद्र भी दे रहा झटका

हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में केंद्र सरकार भी लगातार प्रदेश सरकार को झटके पर झटके दे रहा है. केंद्र ने पहले लोन की सीमा में भारी कटौती की, फिर NPA की मैचिंग ग्रांट बंद की और अब फॉरेन फंडिड एजेंसी प्रोजेक्ट में लोन लेने पर सीलिंग लगा दी है, जिससे सरकार को भारी वित्तिय संकट का सामना करना पड़ रहा है. अगर ऐसा ही हाल रहा तो साल 2023-24 में 10700 करोड़ रुपए खजाने में कम आएंगे.

फॉरेन फंडिड एजेंसी प्रोजेक्ट्स में लोन लेने पर सीलिंग लगाई

मौजूदा वक्त में हिमाचल प्रदेश में बागवानी के लिए 1 हजार 134 करोड़ रुपए का हॉर्टीकल्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट, 1 हजार 700 करोड़ का शिवा प्रोजेक्ट और एग्रिकल्चर के 1 हजार 500 करोड़ से ज्यादा का जायका प्रोजेक्ट समेत कई बड़े प्रजेक्ट चल रहे हैं. लेकिन शुक्रवार को केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश को झटका देते हुए बजट पर सीलिंग लगा दी.

पहले से चल रहे प्रोजेक्ट्स पर हर साल चार हजार करोड़ से ज्यादा और नए प्रोजेक्ट्स पर तीन हजार करोड़ से अधिक बजट नहीं देने की सीलिंग लगा दी है.

केंद्र सरकार के इस नए फैसले ने सुक्खू सरकार के लिए समस्याएं पैदा कर दी है. लिहाजा अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश सरकार आर्थिक मोर्चे पर मुश्किल में पड़ने वाली है.

NPA की मैचिंग ग्रांट भी की बंद

कर्मचारियों की मांग पर हिमाचल में पुरानी पेंशन स्कीम बहाल हुई तो सरकार ने NPA की मैचिंग ग्रांट पर भी रोक लगा दी. इससे हिमाचल को 1700 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है.

दरअसल हिमाचल सरकार हर साल मार्च महीन में NPA के 1 हजार 780 करोड़ रुपए PFRDA (Pension Fund Regulatory and Development Authority) यानी पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण के पास जमा कराता था. लेकिन, इस साल OPS बहाल होने के चलते कर्मचारियों का शेयर पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण के पास जमा नहीं होगा, जिसे देखते हुए केंद्र ने इसकी मैचिंग ग्रांट रोक दी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

ठीक इसी तरह इस वित्त वर्ष यानी साल 2022-23 में वेतन पर 7 हजार 790 करोड़ खर्च हुए. हिमाचल के बजट का 55% से ज्यादा का अंश वेतन और पेंशन, ब्याज और उपदान पर खर्च हो रहा है, जबकि विकास कार्यों के लिए करीब 40 से 45 प्रतिशत अंश ही बच पाता है.

कर्मचारी और पेंशनभोगियों की 10 हजार करोड़ की देनदारी

हिमाचल प्रदेश पर कर्मचारियों और पेंशनर की 10 हजार करोड़ की देनदारी है. दरअसल पिछली जयराम सरकार ने कर्मचारियों और पेंशनर्स को छठे पे स्केल का लाभ तो दे दिया था, लेकिन जनवरी 2016 से तय एरियर का भुगतान नहीं हुआ था.

केंद्र सरकार ने 5500 करोड़ घटाई हिमाचल लोन सीमा

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को सत्ता में आए हुए 6 महीने भी नहीं हुए, लेकिन केंद्र ने प्रदेश को सबसे बड़ा झटका लोन सीमा में कटौती करके दिया. केंद्र ने हिमाचल के लोन में 5500 करोड़ की कटौती की है. पिछली बीजेपी की जयराम सरकार तक लोन की सीमा 14 हजार 500 करोड़ थी जो अब 5500 करोड़ घटने पर 9000 करोड़ रह गई है.

800 करोड़ कर्ज ले रही सरकार

कांग्रेस ने चुनाव जीतने के लिए जनता से 10 वादे किए. इसके बाद OPS का तोहफा दिया गया और फिर केंद्र की तरफ से हिमाचल की लोन सीमा में 5500 की कटौती कर दी गई. ऐसे में वादों के मुताबिक गारंटियां पूरी करना और उन गारंटियों के लिए बजट जुटाना सुक्खू सरकार के गले की फांस बन गया और इसी फांस को थोड़ी ढील देने के लिए कर्जदार हिमाचल की सुक्खू सरकार 800 करोड़ का कर्ज लेने जा रही है, जिसमें से 300 करोड़ का कर्ज 6 साल के लिए और 500 करोड़ कर्ज 8 साल के लिए लेने का फैसला लिया है, जो संभवत: इसी जून महीने में मिल जाएगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हिमाचल का हर निवासी 94 हजार कर्ज तले दबा

सरकार जून महीने में 800 करोड़ का कर्ज लेने वाली है, जिसके बाद देनदारियों के अलावा 76 हजार करोड़ का कर्ज हो जाएगा. ऐसे में प्रति व्यक्ति के तौर पर देखा जाए तो, प्रदेश का हर नागरिक यहां तक कि नया जन्म लेने वाले बच्चे पर 94 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है.

OPS पर चेता चुके हैं SBI के मुख्य आर्थिक सलाहकार

पिछले दिनों SBI के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष की एक रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए सुझाव दिया गया था कि इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ऐसे खर्चों को राज्य की GDP या राज्य के कर संग्रह के एक प्रतिशत तक सीमित कर दे. रिपोर्ट में पुरानी पेंशन बहाली के वादे पर भी चेतावनी देते हुए बताया था कि OPS लागू करने से राज्यों पर वित्तीय बोझ पड़ेगा. इसी तरह OPS लागी होने से हिमाचल पर 600 करोड़ से ज्यादा का वित्तिय बढ़ा है.

CM सुक्खू के सामने बड़ी चुनौती

सुखविंदर सिंह सुक्खू सीएम बनते ही लगातार एक ही बात कहते नजर आए कि हर तरह के कर्ज को जोड़कर देखा जाए तो पिछली सरकार प्रदेश पर 91 हजार करोड़ का कर्ज छोड़कर गई है.

उधर, चुनाव जीतने के लिए दी गई कांग्रेस की 10 गारंटियों को सरकार कर्ज के सहारे पूरा करने में लगी हुई है, लेकिन केंद्र की तरफ से लोन पर नए नियम बना दिए गए हैं और वादों को पूरा करने के लिए CM के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है. लिहाजा, देखना होगा कि CM सुक्खू ऐसे चुनौतियों में कैसे प्रदेश का विकास कर पाते हैं और कैसे प्रदेश की जनता की मांगें पूरी कर पाते हैं?

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×