नागरिकता कानून पर देश भर में विरोध प्रदर्शन के बीच गृह मंत्रालय ने शरणार्थियों के भारतीय नागरिक बनने के लिए जरूरी शर्तों पर सफाई दी है. मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने वालों के लिए जरूरी कागजात जमा कराना अनिवार्य है, बिना इसके कोई भी खुद-ब-खुद नागरिक नहीं बन जाएगा.
न्यूज एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि नागरिकता कानून से कितने लोगों को फायदा होगा, ये नियम तय होने के बाद ही पता लगेगा. नियम जल्द ही तय किए जाएंगे. इसे ठीक ठंग से कानून की शक्ल दिया जाना अभी बाकी है.
गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, भारतीय नागरिक बनने के इच्छुक प्रवासियों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा. नागरिकता कानून पर देश के कई हिस्सों में बवाल मचा हुआ है. इसे मुस्लिम-विरोधी कानून बताया जा रहा है. दिल्ली से लेकर बंगाल और असम में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं.
क्या है नागरिकता संशोधन कानून 2019?
नागरिकता संशोधन कानून 2019, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए 6 धर्म (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) के लोगों को इस प्रावधान में ढील देने की बात करता है. इस ढील के तहत 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई (इन धर्मों के अवैध प्रवासी तक) के लिए 11 साल वाली शर्त 5 साल कर दी गई है.
कहां लागू नहीं होंगे कानून के प्रावधान
इस कानून के प्रावधान संविधान की छठी अनुसूची में शामिल असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी इलाकों में लागू नहीं होंगे. इन इलाकों में कार्बी आंगलॉन्ग (असम), गारो हिल्स (मेघालय), चकमा डिस्ट्रिक्ट (मिजोरम) और त्रिपुरा ट्राइबल एरियाज डिस्ट्रिक्ट शामिल हैं.
नागरिकता संशोधन कानून 2019 के प्रावधान बंगाल ईस्टर्न रेग्युलेशन्स, 1873 के तहत इनर लाइन के अंदर आने वाले इलाकों पर भी लागू नहीं होंगे. बता दें कि इनर लाइन परमिट अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड के इलाकों को रेग्युलेट करता है. यह एक विशेष परमिट होता है, जिसकी जरूरत भारत के दूसरे हिस्सों के नागरिकों को इनर लाइन के तहत आने वाले इलाकों में जाने के लिए पड़ती है.
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