देश में अमीर और गरीब के बीच की खाई लगातार बढ़ती जा रही है. डावोस में एक एनजीओ ने अपने सर्वे में दावा किया है कि भारत में साल 2017 में कुल संपत्ति के सृजन का 73 फीसदी हिस्सा केवल एक फीसदी अमीरों के पास है.
इस सर्वे ने देश की इनकम में असमानता की चिंताजनक तस्वीर पेश की है. अंतरराष्ट्रीय राइट्स समूह ऑक्सफेम की ओर से यह सर्वे डावोस में आयोजित वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की शिखर बैठक शुरू होने से कुछ घंटे पहले जारी किया गया.
सर्वे में भारत के बारे में कहा गया है कि साल 2017 में 17 नए अरबपति बने हैं. इसके साथ ही अब देश में अरबपतियों की संख्या 101 हो गई है. 2017 में भारतीय अमीरों की संपत्ति 4.89 लाख करोड़ बढ़कर 20.7 लाख करोड़ हो गई है. यह 4.89 लाख करोड़ कई राज्यों के शिक्षा और स्वास्थ्य बजट का 85 फीसदी है.
सर्वे रिपोर्ट ने पेश की चिंताजनक तस्वीर
इस सर्वे में कहा गया है कि 67 करोड़ भारतीयों की संपत्ति में सिर्फ एक फीसदी की वृद्धि हुई है. वैश्विक स्तर पर यह तस्वीर और भी चिंताजनक है. पिछले साल दुनियाभर में अर्जित की गई संपत्ति का 82 प्रतिशत केवल एक प्रतिशत लोगों के पास है. वहीं, 3.7 अरब लोगों की संपत्ति में कोई इजाफा नहीं हुआ, जिसमें गरीब आबादी का आधा हिस्सा आता है.
ऑक्सफेम के सालाना सर्वेक्षण को महत्वपूर्ण माना जाता है और वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की वार्षिक बैठक में इस पर विस्तार से चर्चा होती है, जहां बढ़ती आय और लिंग के आधार पर असमानता दुनिया भर के शीर्ष नेताओं के बीच प्रमुख बिंदु है.
अमीर हो रहे हैं और अमीर
सर्वे में बताया गया है कि देश की कुल संपत्ति का 58 फीसदी हिस्सा देश के एक फीसदी अमीर लोगों के पास है. जो कि वैश्विक आंकड़े से भी अधिक है. वैश्विक स्तर पर एक फीसदी अमीरों के पास कुल संपत्ति का 50 प्रतिशत हिस्सा है.
ऑक्सफेम इंडिया ने कहा कि 2017 के दौरान देश के एक फीसदी अमीरों की संपत्ति बढ़कर 20.9 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है. 'रिवॉर्ड वर्क, नॉट वेल्थ' शीर्षक से जारी सर्वेक्षण पर ऑक्सफेम ने कहा कि कैसे वर्ल्ड इकनॉमी अमीरों को और अधिक धन जमा करने में सक्षम बनाती है और वहीं लाखों करोड़ों लोग जिंदगी जीने के लिए मशक्कत कर रहे हैं.
ऑक्सफेम की पीएम मोदी से अपील
इस सर्वेक्षण में 10 देशों के 70,000 लोगों को शामिल किया गया है. डब्ल्यूईएफ की बैठक में शामिल होने डावोस गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ऑक्सफेम इंडिया ने आग्रह किया है कि भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था सभी के लिए काम करती है न कि सिर्फ चंद लोगों के लिए.
उन्होंने सरकार से श्रम आधारित क्षेत्रों को प्रोत्साहित करके समावेशी वृद्धि को बढ़ावा देने, कृषि में निवेश करने और सामाजिक योजानाओं का प्रभावी तरह से क्रियान्वयन करने के लिए कहा है.
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