भारत और चीन के बीच चल रही सीमा विवाद मामले में थोड़ी नरमी देखने को मिल रही है. पूर्वी लद्दाख के पैंगांग सो झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से भारत और चीन की सेनाओं की वापसी प्रक्रिया योजना के मुताबिक जारी है. भारतीय सेना की टीमें ड्रोन और कैमरों से लैस होकर पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील से चीनी सैनिकों के पीछे हटने पर नजर बनाए हुए है.
साथ ही इस बात को भी देखा जा रहा है कि चीन की सेना ने बंकर, अस्थायी चौकियां जैसी बुनियादी ढांचे बनाए थे वो भी हटाया जा रहा है या नहीं है. 16 फरवरी को डिसएंगेजमेंट से जुड़ी कुछ तस्वीरें और वीडियो सामने आई थी.
पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी दोनों तटों पर सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया 20 फरवरी तक पूरी होने की उम्मीद है.
टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार के मुताबिक चीन ने पिछले साल पैंगोंग सो झील के उत्तरी किनारे के पास फिंगर 5 पर हेलिपैड और अस्थाई जेटी बनाया था. लेकिन अब सेना के डिसइंगेजमेन्ट की प्रक्रिया के तहत चीन इन ढांचों को नष्ट कर रहा है.
बता दें कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर फिंगर 4 क्षेत्र पर पिछले साल कब्जा कर लिया था और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति में बदलाव किया था. फिलहाल भारतीय और चीनी सैन्य कमांडरों के बीच हुए समझौते के मुताबिक, दोनों पक्षों को वापस अपनी जमीन पर हालात उसी तरह बहाल करना होगा, जैसा कि मई 2020 में गतिरोध शुरू होने से पहले था.
अभी हाल ही में रक्षा मंत्री ने लोकसभा में कहा था, "चीन के साथ पैंगोंग झील इलाके में डिसएंगेजमेंट को लेकर जो समझौता हुआ है वो कहता है कि दोनों पक्ष चरणबद्ध, समन्वय बनाते हुए और सत्यापित तरीके से सेना की तैनाती रोकेंगे."
भारत की नजर चीन के हर एक्शन पर
भारतीय सेना की टीम चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) टीम के साथ पैंगोंग झील पर सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया का फिजिकली वेरिफिकेशन करेगी. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, "यह भारतीय सेना और चीनी पीएलए दोनों की ओर से एक संयुक्त निरीक्षण दल होगा."
अधिकारी ने आगे कहा कि भारतीय सेना की टीमें सैन्य टुकड़ियों की जांच और सैन्य ठिकानों को हटाने की प्रक्रिया की निगरानी और इसका रिकॉर्ड रखने के लिए ड्रोन के साथ ही हाई-रिजॉल्यूशन कैमरों का उपयोग करेंगी. यह टीमें विशेष रूप से चीनी सैनिकों द्वारा पैंगोंग झील के पास स्थापित किए गए सैन्य ठिकानों को हटाने की प्रक्रिया की निगरानी करेंगी.
समझौते में क्या तय हुआ
समझौते में कहा गया है कि चीनी सैनिक फिंगर 8 पर वापस चले जाएंगे और भारतीय सेना पैंगोंग झील के उत्तरी तट के फिंगर 2 और 3 के बीच धन सिंह थापा पोस्ट पर वापस आ जाएगी. इसके अलावा, पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त सहित सैन्य गतिविधियों पर एक अस्थायी रोक होगी.
पैंगोंग झील में पास स्थित पर्वत को कई सैन्य टुकड़ियों में विभाजित किया गया है, जिसे फिंगर्स कहा जाता है. झील के उत्तरी किनारे को आठ फिंगर्स में बांटा गया है. भारत ने फिंगर 8 तक अपने क्षेत्र का दावा किया है और चीन फिंगर 4 तक अपने दावों पर अड़ा है. यही वजह है कि दोनों देशों की सेना कई बार इन क्षेत्रों में आमने-सामने आ जाती है और पिछले कुछ महीनों से तो दोनों सेनाएं कई स्थानों पर आमने-सामनेकी स्थिति में बनी हुई है.
झील के उत्तरी तट पर आठ किलोमीटर की दूरी पर फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच दो सेनाओं के बीच नियमित रूप से आमने-सामने वाली स्थिति बनती आई है.
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