विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सात महीने से जारी सीमा गतिरोध में भारत की परीक्षा हो रही है. उन्होंने भरोसा जताया कि देश राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चुनौती पर खरा उतरेगा.
इंडस्ट्री बॉडी FICCI के कार्यक्रम में विदेश मंत्री ने कहा, ‘’मेरा यह भी मानना है कि जो हुआ है, वो वास्तव में चीन के हित में नहीं है. क्योंकि इसने जो कुछ किया है, उसने पब्लिक सेंटीमेंट्स (भारत में) को काफी प्रभावित किया है.’’
यह पूछे जाने पर कि सैन्य गतिरोध के समाधान के लिए क्या अभी वक्त लगेगा या फिर जल्द ही एक सफलता की उम्मीद है, जयशंकर ने कहा, "मैं प्रिडिक्शन जोन में बिल्कुल नहीं जाऊंगा, यह आसान होने जा रहा है या नहीं, और क्या समयसीमा होगी."
विदेश मंत्री ने कहा, ''मुझे लगता है कि इस साल की घटनाएं बहुत परेशान करने वाली रही हैं; उन्होंने कुछ बहुत ही बुनियादी चिंताओं को उठाया है, वे घटित हुईं क्योंकि दूसरे पक्ष ने समझौतों का पालन नहीं किया.''
हाल ही में जयशंकर ने कहा था कि चीन ने भारत को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी तादाद में सैन्यबल की तैनाती के लिए ‘पांच अलग-अलग स्पष्टीकरण’ दिए हैं और द्विपक्षीय समझौतों के उल्लंघन ने आपसी संबंधों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है.
इसके बाद चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा था, ''चीन और भारत पड़ोसी हैं और दुनिया के दो सबसे बड़े उभरते बाजार हैं, ऐसे में अच्छे संबंध बनाए रखने से दोनों देशों और उनके लोगों के बुनियादी हित पूरे होते हैं, लेकिन इसके लिए दोनों पक्षों के बीच साझा कोशिशों की जरूरत है.''
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