धार्मिक आजादी पर अमेरिकी रिपोर्ट को भारत ने सिरे से खारिज करते हुए दो टूक जवाब दिया है. रविवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसे नहीं लगता है कि किसी भी विदेशी सरकार को उसके नागरिकों के संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकारों के बारे में कुछ भी बोलने का अधिकार है.
विदेश मंत्रालय का माकूल जवाब
इस रिपोर्ट के बारे में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘‘भारत को अपनी धर्मनिरपेक्षता, सबसे बड़ा लोकतंत्र होने और सहिष्णुता और समावेश के वादे के साथ बहुलतावादी समाज के दर्जे पर गर्व है.’’ भारतीय संविधान अपने अल्पसंख्यक समुदायों समेत सभी नागरिकों को मूलभूत अधिकारों की गारंटी देता है. कुमार ने आगे कहा, "सभी जानते हैं कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है जहां संविधान धार्मिक आजादी की रक्षा करता है और जहां लोकतांत्रिक शासन और कानून का शासन मौलिक अधिकारों को बढ़ावा देते हैं और उनकी रक्षा करते हैं."
‘‘हमें किसी दूसरे देश की सरकार/संस्था का कोई अधिकार क्षेत्र नजर नहीं आता है कि वह हमारे नागरिकों के संविधान संरक्षित अधिकारों के बारे में बात करे.’’-रवीश कुमार, प्रवक्ता, विदेश मंत्रालय
अमेरिका ने भारत पर क्या आरोप लगाया था
अमेरिका ने अपने वार्षिक 2018 अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में शुक्रवार को आरोप लगाया था कि साल 2018 में मांस के लिए गोवंश के व्यापार या उन्हें मारे जाने की अफवाहों के बीच हिंसक चरमपंथी हिन्दू समूहों की ओर से अल्पसंख्यक समुदायों, खास तौर से मुसलमानों पर हमले किए गए हैं.
अमेरिकी संसद से अधिकार प्राप्त विदेश विभाग दुनिया के ज्यादातर देशों में धार्मिक आजादी पर रिपोर्ट बनाता है.
अमेरिका के विदेश विभाग के फॉगी बॉटम मुख्यालय ने पिछले हफ्ते रिपोर्ट जारी करते हुए विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा था कि यह रिपोर्ट एक तरह का रिपोर्ट कार्ड है जो यह देखने के लिए देशों पर नजर रखता है कि वे अपने मानवाधिकारों को किस तरह सम्मान देते हैं.
(इनपुट: PTI)
ये भी पढ़ें - अपना ड्रोन गिराए जाने के बाद अमेरिका ने ईरान पर किया साइबर हमला
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)