अर्थव्यवस्था के अच्छे दिन के संकेत साफ दिखने लगे हैं. वित्त वर्ष 2016-17 में लक्ष्य से ज्यादा टैक्स कलेक्शन हुआ है. यह कलेक्शन 18 फीसदी बढ़कर 17.10 लाख करोड़ रहा. अब यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि 2017-18 में भी ज्यादा टैक्स रेवेन्यू होगा. वजह यह है कि टैक्स देने वालों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है. इसके अलावा भी कई फैक्टर हैं जो अर्थव्यवस्था में अच्छे दिन के संकेत देते हैं. आइए आपको बताते हैं.
1. ऑटो सेल्स
देश में ऑटो सेल्स तेजी से बढ़ रही है. इस वित्त वर्ष में कार विक्रेताओं ने जोरदार शुरुआत की. मारुति सुजुकी, होंडा, टाटा मोटर्स और टोयोटा की बिक्री अप्रैल में 16 फीसदी तक बढ़ी है. जिनमें मारुति सुजुकी नंबर वन है. ये देश की दसवीं सबसे ज्यादा वैल्यू स्टॉक वाली कंपनी भी बन गई है. मारुति सुजुकी का मार्केट कैप दो लाख करोड़ के पार निकल गया है. नोटबंदी के दौरान जरूर कुछ गिरावट देखने को मिली थी. लेकिन हाल के महीने में नए मॉडल बाजार में उतारने से कंपनियों को फायदा मिला है.
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रेटिंग एजेंसी ICRA के मुताबिक वित्त वर्ष 2016-17 में डॉमेस्टिक पैसेंजर व्हीकल सेग्मेंट में 9.23 % की ग्रोथ हुई और 3 मिलियन से ज्यादा वाहन बिके.
2. रिकॉर्ड शेयर मार्केट
शेयर बाजार इस वक्त अपनी अच्छी चाल से चल रहा है. वित्त वर्ष 2016-17 में सेंसेक्स में 16% का लाभ मिला था और निवेशकों की 26 लाख करोड़ की पूंजी बढ़ी थी. वहीं पूरे वित्त वर्ष में निफ्टी ने भी करीब 18.55 फीसदी का लाभ दर्ज किया.
शेयर बाजार तो अपनी ‘बुल’ की रफ्तार से चल ही रहा है, दूसरी तरफ म्यूचुअल फंड में लोगों ने खूब पैसा लगाया. अप्रैल 2017 में म्यूचुअल फंड में सबसे ज्यादा निवेश 4200 करोड़ रुपये दर्ज किया गया. छोटी-छोटी रकम जमा कराने वाले SIP की संख्या पिछले तीन साल में दोगुनी हो गई है. इससे ये लगता है कि लोग निवेश करने से कतरा नहीं रहे हैं.
3. कोर सेक्टर का आंकड़ा
अर्थव्यवस्था की बढ़ोतरी का अंदाजा कोर सेक्टर की ग्रोथ से भी लगाया जाता है. इस सेक्टर में कोयला, स्टील, बिजली, सीमेंट, रिफाइनरी और फर्टिलाइजर के प्रोडक्ट्स आते हैं. मार्च 2017 में इस सेक्टर ने 5% की बढ़ोतरी की. कोर सेक्टर में तेजी का मतलब यह है कि इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में आगे तेजी दिखने वाली है. ऐसा होता है तो विकास दर तेजी से रफ्तार पकड़ेगी.
4. कम मंहगाई दर, सस्ता ब्याज
अर्थव्यवस्था को सबसे ज्यादा बल कंजप्शन ग्रोथ से मिलता है. इसके लिए जरूरी है कि कंज्यूमर का मूड ठीक रहे. कंज्यूमर का मूड ठीक करने के लिए जरूरी है- कम महंगाई और सस्ता ब्याज- फिलहाल दोनों ही मौजूद हैं. विकास दर में तेजी से नौकरियों के मौके भी बढ़ेंगे और कंज्यूमर का मूड और भी ठीक होगा.
5. जीएसटी का आना तय
जीएसटी पूरे देश में एक जुलाई से लागू होने वाला है. अर्थव्यवस्था को इससे सीधे फायदा होगा. इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने उम्मीद जताई है कि इसके आने से भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 8% से ऊपर जा सकती है. हालांकि आईएमएफ 20107-18 में ये दर 7.2% रहने का अनुमान लगाया है.
CV तैयार रखिए !
अर्थव्यवस्था में आए इस उछाल के बाद नौकरियों के अवसरों में इजाफे की उम्मीद है. बता दें कि मार्च के महीने में बैंकिंग, फाइनेंस और इंश्योरेंस, बीपीओ, ऑटो और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की नौकरियों में 5 फीसदी का इजाफा हुआ है. आने वाले दिनों में इन सेक्टर्स में नौकरियां और बढ़ सकती हैं. ऐसे में नौकरियों के लिए तैयार बैठे युवाओं के लिए अब अच्छे दिन आ सकते हैं.
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