भारत की विकास दर इस तिमाही में गिरकर 4.5 फीसदी पर पहुंच गई है. 26 तिमाहियों में पहली बार विकास दर इतने कम स्तर पर पहुंची है. धीमी होती अर्थव्यवस्था के चलते सरकार का 5 ट्रिलियन डॉलर इकनॉमी का लक्ष्य चार साल पीछे चला गया है.
बिजनेसटुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार का लक्ष्य 2023-24 तक अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर को पहुंचाने का था. अब आज की स्थिति में जो मंदी आई है, अगर उस हिसाब से विकास दर चलती रहे तो सरकार अपने लक्ष्य से चार साल पिछड़ गई है.
अब अगर भारत को अपने लक्ष्य को 2023-24 तक ही अपना पांच ट्रिलियन का लक्ष्य पूरा करना है तो अर्थव्यवस्था को 11 से 12 फीसदी सालाना विकास दर के हिसाब से बढ़ना होगा.
भय को खत्म करना होगा, तब बढ़ेगी विकास दर: मनमोहन सिंह
दूसरी तिमाही में 4.5% की जीडीपी ग्रोथ पर मनमोहन सिंह ने कहा, “अर्थव्यवस्था में 8 फीसदी की ग्रोथ के लिए हमें अपनी अर्थव्यवस्था में मौजूदा भय को खत्म करना होगा और आत्मविश्वास पैदा करना होगा. अर्थव्यवस्था की स्थिति अपने समाज की स्थिति का प्रतिबिंब है. विश्वास का हमारा सामाजिक ताना-बाना अब टूट गया है.”
हमारे देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति वाकई चिंताजनक है. लेकिन मैं कहूंगा कि हमारे समाज की स्थिति उससे भी ज्यादा चिंताजनक है.मनमोहन सिंह
वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था ऊंची जीएसटी दरों, कृषि संकट, वेतन में कमी और नकदी की कमी की वजह से 'मंदी' का सामना कर रही है. उपभोग में मंदी के रुझान को अर्थशास्त्री मंदी के तौर पर जिक्र करते हैं, जो कि जीडीपी विकास दर में लगातार गिरावट का प्रमुख कारण है. इसके परिणामस्वरूप ऑटोमोबाइल, पूंजीगत वस्तुएं, बैंक, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, एफएमसीजी और रियल एस्टेट समेत सभी प्रमुख सेक्टरों में भारी गिरावट आई है.
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