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INX मीडिया केसः चिदंबरम की जमानत याचिका पर HC का फैसला सुरक्षित

जमानत याचिका पर दोनों पक्षों की दलीलें पूरी

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आईएनएक्स मीडिया केस में दोनों पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. बता दें, चिदंबरम 3 अक्टूबर तक इसी मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं.

जमानत याचिका में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने दावा किया था कि उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई दुभार्वनापूर्ण है और यह ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ की वजह से की गयी है.

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चिदंबरम ने अपनी जमानत याचिका में क्या कहा?

  • चिदंबरम ने अपनी जमानत याचिका में कहा है कि वह कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं
  • उनका समाज में एक रूतबा है, उनके देश छोड़कर भागने का भी कोई खतरा नहीं है
  • उन्हें राहत देने के एवज में अदालत जो भी शर्तें रखेगी, वह उन्हें मानने के लिए तैयार हैं
  • चिदंबरम ने दावा किया कि उन्होंने जांच एजेंसी या निचली अदालत की ओर से बुलाए जाने पर हमेशा जांच में सहयोग किया है और भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे
  • उन्होंने यह भी कहा है कि इस मामले के अन्य सभी आरोपी पहले से ही नियमित जमानत, अग्रिम जमानत या कानूनी रूप से जमानत पर हैं

बता दें, इस मामले में चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम और आईएनएक्स मीडिया की प्रमोटर इन्द्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी समेत अन्य आरोपी जमानत पर हैं.

CBI ने चिदंबरम की जमानत याचिका के विरोध में क्या कहा?

सीबीआई ने INX मीडिया भ्रष्टाचार मामले में कांग्रेस नेता पी चिदम्बरम की जमानत अर्जी का दिल्ली हाई कोर्ट में यह कहते हुए विरोध किया कि वित्तीय गबन की मात्रा और उच्च सार्वजनिक पद का दुरुपयोग चिदंबरम को किसी भी राहत के अधिकार से वंचित करते हैं.

CBI ने पूर्व वित्त मंत्री की जमानत अर्जी पर अपने जवाब में कहा कि चिदंबरम को जमानत देने से भ्रष्टाचार के मामलों में गलत परिपाटी तय होगी क्योंकि यह कथित रूप से जनता के साथ विश्वासघात का एक स्पष्ट मामला है.

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क्या है INX मीडिया केस?

INX मीडिया समूह को 2007 में 305 करोड़ रुपये की विदेशी निधि की प्राप्ति के लिए FIPB की मंजूरी में कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई ने 15 मई, 2017 को एक प्राथमिकी दर्ज की थी.

उस वक्त (2007 में) चिदंबरम वित्त मंत्री के पद पर थे. बाद में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी 2017 में इस संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग का एक मामला दर्ज किया.

चिदंबरम 2004 से 2014 के बीच यूपीए सरकार के दौरान केद्रीय वित्त मंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री के पदों पर रहे थे.

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