बुधवार सुबह तकरीबन 9 बजकर 26 मिनट पर इसरो श्रीहरिकोटा ने सतीश धवन स्पेस सेंटर से PSLV C34 लॉन्च किया. इसरो ने एकसाथ 20 सैटेलाइट लॉन्च कर रिकॅार्ड बनाया है. पीएसएलवी के साथ अमेरिका, जर्मनी और गूगल के भी सैटेलाइट्स हैं.
ये हैं 10 खास बातें
- इसरो ने एक साथ 20 सैटेलाइट्स को लॉन्च किया. यह पहली बार हुआ कि जब किसी भारतीय
प्रक्षेपण यान ने इतनी बड़ी संख्या में सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में छोड़ा.
- कारटोसैट-2 मिशन के तहत 20 सैटेलाइट्स के साथ पीएसएलवी-सी34 आकाश की ओर बढ़ा.
- रॉकेट 1,288 किलोग्राम पेलोड के साथ दूसरे लांच पैड से लॉन्च किया गया.
- 320 टन वजन वाला पीएसएलवी कनाडा, इंडोनेशिया, जर्मनी और अमेरिका जैसे देशों के 17 छोटे सैटेलाइट्स को ले जा रहा है.
- यह पूरा मिशन तकरीबन 26 मिनट का है.
- गूगल का सैटेलाइट स्काईसैट जेन 2,110 किलोग्राम वजन का है. यह सब-मीटर रिसॉल्यूशन की तस्वीरें खींचने और हाई-डेफिनिशन वीडियो बनाने में सक्षम है.
- इस लॉन्च का सबसे प्रमुख सैटेलाइट 727.5 किलोग्राम वजन का पृथ्वी की निगरानी करने
वाला भारतीय‘कार्टोसैट-2’ है, जो सब-मीटर रिसॉल्यूशन में तस्वीरें खींच सकता है.
- कार्टोसैट-2 सैटेलाइट से भेजी जाने वाली तस्वीरें काटरेग्राफिक, शहरी, ग्रामीण, तटीय भूमि उपयोग, जल वितरण और दूसरी कई प्रयोगों के लिए मददगार होंगी.
- लॉन्च में दो भारतीय ‘सत्यभामासैट’ और ‘स्वयं’ भी अंतरिक्ष में भेजे गए जिसको भारतीय छात्रों ने बनाया है.
- चेन्नई के सत्यभामा यूनिवर्सिटी का 1.5 किलोग्राम वजनी ‘सत्याभामासैट’ सैटेलाइट ग्रीन हाउस गैसों के आंकड़े जुटाएगा.
- पुणे का एक किलोग्राम का ‘स्वयं’ सैटेलाइट हैम रेडियो कम्यूनिटी को संदेश भेजेगा.
इससे पहले 2008 में इसरो ने एक साथ 10 सैटेलाइट लॉन्च किया था. इस मिशन की लागत बाकी के देशों से 10 गुना कम है.
इसरो अब तक लगभग 20 अलग-अलग देशों के 57 उपग्रहों को लांच कर चुका है. 2016 से 2017 तक इसरो का लक्ष्य 25 से ज्यादा उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजना है.
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टॉपिक: इसरो गूगल सैटेलाइट लॅान्च
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