अफगानिस्तान संकट (Afganistan Crisis) पर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई, जिसमें सभी 31 पार्टियों के 37 नेता शामिल हुए. बैठक के बाद विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार और सब राजनीतिक पार्टियों की एक जैसी राय है. बैठक में उन्होंने बताया कि अफगानिस्तान के हालात खराब है और लोगों को वहां से निकालने का काम चल रहा है.
हम ज्यादातर भारतीयों को वापस ले आए हैं, लेकिन सबको वापस नहीं लाए हैं. हम कुछ अफगान नागरिकों को भी लाए हैं, जो इस समय भारत आना चाहते थे. सरकार जल्दी से जल्दी लोगों की पूरी वापसी सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
बैठक के बाद कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उन्होंने महिला अफगान सांसद का मुद्दा बैठक में उठाया था. जिसे दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 20 अगस्त को डिपोर्ट कर दिया गया था. सरकार ने कहा कि वो गलती थी और अब ऐसा दोबारा नहीं होगा.
बता दें कि अफगानिस्तान में 15 अगस्त को तालिबान के सत्ता में आने के बाद तेजी से बदल रहे हैं. लोगों को वहां से निकालने का काम लगातार चल रहा है. युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से बचाव के प्रयासों को सरकार द्वारा ऑपरेशन देवी शक्ति का नाम दिया गया है, जिसकी घोषणा 24 अगस्त को विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने की थी.
उन्होंने भारतीय वायुसेना और सरकारी स्वामित्व वाली एयर इंडिया और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों सहित अन्य वाणिज्यिक उड़ानों द्वारा निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका की भी सराहना की है. भारत ने काबुल के साथ-साथ कतर, दोहा और ताजिकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से बचाव अभियान जारी रखा है.
अब तक, इसने अफगानिस्तान से 800 से अधिक लोगों को निकाला है, जिसमें कुछ प्रतिष्ठित अफगान नागरिक और सिख समुदाय के दो संसद सदस्य शामिल हैं, इन लोगों को कतर के दोहा, ताजिकिस्तान के दुशांबे और अन्य पड़ोसी देशों में एयर इंडिया की विशेष उड़ानों और कुछ निजी वाहकों के माध्यम से नई दिल्ली लाया गया है.
भारतीय अधिकारी निकासी की सुविधा के लिए ताजिकिस्तान और कतर में अपने मिशनों के संपर्क में हैं और उनसे परिवहन, ठहरने और अन्य आवश्यक सहायता जैसे सभी सहायता प्रदान करने के लिए कहा है।
इन घटनाक्रमों की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा, "अफगानिस्तान के कई प्रांतों में बिखरे हुए भारतीय कामगारों के साथ तालमेल बिठाना और उन्हें आस-पास के देशों में ले जाना एक बड़ी चुनौती बन गया है.
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