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जम्मू-कश्मीर में सरकार की ही चुनी हुई 153 वेबसाइट खोल पाएंगे लोग

जम्मू के सभी 10 जिलों में 2G इंटरनेट बहाल किया गया है

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केंद्र शासित जम्मू और कश्मीर के कुछ इलाकों में सीमित इंटरनेट सेवा शुरू की गई है. पिछले साल अगस्त से इंटरनेट बंद से जूझ रहे लोगों को अब भी पूरी तरह इस सेवा का लाभ नहीं मिल पाएगा. एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिन इलाकों में इंटरनेट सेवा शुरू हुई है वहां सरकार की ही कुछ चुनी हुई वेबसाइट खुलेंगी और सोशल मीडिया वेबसाइट लोग अभी भी नहीं खोल पाएंगे.

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द वायर की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार की चुनी हुईं 153 वेबसाइट ही इन इलाकों के लोग एक्सेस कर पाएंगे. इसके अलावा मुख्यधारा की न्यूज वेबसाइट और सोशल मीडिया पोर्टल इंटरनेट शुरू होने के बाद भी नहीं खुलेंगे. रिपोर्ट में 18 जनवरी की तारीख के एक आदेश का जिक्र किया गया है. इस आदेश में 'पहले निर्देशित एहतियात' के साथ इंटरनेट सेवा शुरू करने की बात कही गई है.

जम्मू के सभी 10 जिलों में 2G इंटरनेट बहाल किया गया है. वहीं, कश्मीर के सिर्फ कुपवाड़ा और बांदीपोरा जिलों में ही सेवा शुरू की गई और वो भी केवल 153 वेबसाइट के एक्सेस के साथ. 

इस आदेश में प्रीपेड नंबरों पर वॉइस और SMS सर्विस शुरू करने के भी निर्देश दिए गए हैं. और पोस्टपेड नंबर के वेरिफिकेशन की तरह वेरिफिकेशन होने के बाद मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल करने को कहा गया है. ये सभी निर्देश 18 से 24 जनवरी तक लागू रहेंगे.

चुनी गईं वेबसाइट की 10 कैटेगरी

सरकार की चुनी गई 153 वेबसाइट को 10 कैटेगरी में बांटा गया है. इनमें मेल, बैंकिंग, एजुकेशन, एंटरटेनमेंट, यूटिलिटी, ट्रेवल, सर्विस, मौसम, वेब सर्विस और ऑटोमोबाइल शामिल हैं. न्यूज तक किसी भी तरह की पहुंच देने के लिए सिर्फ Moneycontrol वेबसाइट का एक्सेस दिया गया है. ये वेबसाइट मुख्य तौर पर बिजनेस न्यूज रिपोर्ट करती है.

कुछ टीवी न्यूज चैनल की फीड देने वाला Hotstar भी इन वेबसाइट में शामिल है. लेकिन वो खुद एक न्यूज वेबसाइट नहीं है.

जिन वेबसाइट को एक्सेस कर सकते हैं, उनमें जीमेल, याहू, नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट और बाकी कई वेबसाइट शामिल हैं.  

5 अगस्त 2019 को संविधान के आर्टिकल 370 के कई प्रावधानों को हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को कहा कि इंटरनेट हमेशा के लिए बंद नहीं किया जा सकता और इंटरनेट तक पहुंच बोलने की आजादी के तहत आता है.

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