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ABVP का नाम क्यों नहीं लिया? JNU हिंसा पर पुलिस से 5 सवाल

दिल्ली पुलिस ने जेएनयू हिंसा मामले पर एक भी सवाल नहीं लिया

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहिम

जेएनयू में घुसे नकाबपोश गुंडों को लेकर दिल्ली पुलिस करीब 5 दिन बाद सामने आई और कुछ लोगों के नाम बताए. पुलिस ने बताया कि वो किन-किन मामलों की जांच कर रहे हैं. साथ ही पुलिस ने छात्र संगठनों का नाम लेते हुए बताया कि ये लोग हिंसा में शामिल थे. जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष की पहचान भी की गई है. साथ ही कुछ और छात्र भी हैं. लेकिन दिल्ली पुलिस ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सिर्फ अपनी बात रखी, पत्रकारों के एक भी सवाल नहीं लिया गया. लेकिन पुलिस को इन पांच सवालों के भी जवाब देने चाहिए, जो हम आगे पूछने जा रहे हैं.

दिल्ली पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और सामने आए क्राइम ब्रांच के डीसीपी जॉय टिर्की, जो दिल्ली पुलिस की एसआईटी को हेड कर रहे हैं. उन्होंने पहले अपना अनुभव शेयर करते हुए ये बता दिया कि जेएनयू एक ऐसी जगह है जहां पर कोई भी आसानी से रास्ता याद नहीं कर पाएगा. उन्होंने खुद का उदाहरण दिया, और कहा कि हम चार दिन से जेएनयू घूम रहे हैं, हमें ठीक से रास्ते याद नहीं हुए. अब आते हैं सवाल नंबर एक पर

सवाल नंबर 1 - क्या कुछ खास वायरल वीडियो पर पुलिस ने किया विचार?

अब दूसरा सवाल ये बनता है कि दिल्ली पुलिस ने जिन वीडियो के आधार पर ये कार्रवाई की है और करीब 9 लोगों की पहचान की है वो पुलिस को किसने दिए? पुलिस ने पहले सीसीटीवी कैमरों से केस सॉल्व करने की बात कही थी. लेकिन फिर बताया गया कि सर्वर तो डैमेज था, इसीलिए सीसीटीवी ने तो कुछ देखा ही नहीं. पुलिस ने इसके बाद अपील की थी कि इस हिंसा से जुड़े वीडियो पुलिस को दिए जाएं.

दिल्ली पुलिस की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद एबीवीपी के राष्ट्रीय आयोजन सचिव आशीष चौहान ने वही वायरल वीडियो शेयर कर लिखा कि दिल्ली पुलिस की प्रारंभिक जांच एबीवीपी के रुख को कंफर्म करती है, जिससे निकली हुई तस्वीर दिल्ली पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाई.

दिल्ली पुलिस ने जेएनयू के पूर्व छात्र चुनचुन कुमार को भी हिंसा में आरोपी बनाया है. चुनचुन कुमार की जो फोटो दिल्ली पुलिस ने जारी की है, उसी फोटो को एबीवीपी के राष्ट्रीय आयोजन सचिव आशीष चौहान ने 7 जनवरी को शेयर की थी.

लेकिन AISA ने भी जेएनयू हिंसा का आरोप एबीवीपी पर लगाते हुए कुछ तस्वीरें जारी की थीं, लेकिन इनमें से कोई तस्वीर दिल्ली पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं दिखाई.

तो सवाल ये है कि क्या पुलिस ने एक ही तरफ के वीडियो को छानबीन करने लायक समझा?

ये बात भी ध्यान देने लायक है कि दिल्ली पुलिस ने अपनी पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन नकाबपोश गुंडों के नामों का खुलासा नहीं किया, जिन्हें जेएनयू के गर्ल्स हॉस्टल में देखा गया था. गर्ल्स हॉस्टल में लड़कियों को लोहे की रॉड दिखाकर धमकाने वाले इन गुंडों की कोई तस्वीर भी जारी नहीं की गई.
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सवाल नंबर 2-इस फोटो में दिख रहे लोगों के सगंठनों का जिक्र क्यों नहीं?

फोटो में दिख रहे पीली श्वेट शर्ट और हरे स्वेटर लोगों के बारे में AISA ने आरोप लगाया है कि ये ABVP के शिवपूजन मंडल और विकास पटेल हैं. तो पुलिस इनके बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कोई चर्चा क्यों नहीं की? और इस तस्वीर में दिख रहे बाकी लोग कौन हैं?

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सवाल नंबर 3 - हिंदू रक्षा दल पर क्या हुआ एक्शन?

हिंदू रक्षा दल के नेता पिंकी चौधरी ने कैमरे पर दुनिया को बताया कि जेएनयू में हिंसा उसके संगठन के लोगों ने की. जब ये वीडियो सामने आया तो पुलिस ने कहा था कि इसकी जांच होगी. लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बारे में कुछ क्यों नहीं कहा गया.

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सवाल नंबर 4 - गेट के बाहर हुई हिंसा किसने की?

जब जेएनएयू के अंदर मारपीट हो रही थी तो मेन गेट पर एक बड़ी भीड़ जमा थी. इन लोगों ने पुलिस के सामने स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव और भाषा की रिपोर्टर कुमारी स्नेहा से बदसलूकी की. यादव को धक्का दिया गया. कुमारी स्नेहा को लात मारी गई. पुलिस ने ये नहीं बताया कि ये लोग कौन थे? ये भी नहीं बताया कि इनपर क्या कार्रवाई हो रही है?

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सवाल नंबर 5 - क्या जल्दबाजी में तैयार की गई रिपोर्ट?

दिल्ली पुलिस ने जिन 9 छात्रों की तस्वीरें जारी कीं, उनमें एक छात्र का नाम किसी और छात्र की फोटो के साथ जोड़ दिया. शिवपूजन मंडल को विकास पटेल बताया गया. प्रेस कॉन्फ्रेंस के थोड़ी देर बाद पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में असली विकास पटेल की फोटो जोड़ी. तो क्या प्रेस कॉन्फ्रेंस बहुत हड़बड़ी में की गई. और ऐसा है तो क्यों?

प्रेस कॉन्फ्रेंस के चंद घंटों बाद एक टीवी चैनल ने जेएनयू पर एक स्टिंग ऑपरेशन किया है. जिसमें एबीवीपी के कुछ कथित सदस्य दावा कर रहे हैं कि वो हिंसा में शामिल थे. पुलिस इस पर क्या जवाब देगी?

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