बात अगर सिर्फ एक तथाकथित क्रिकेट मैच में हुई नोक-झोंक की होती, तो बात वहीं थम जाती, लेकिन गुरुग्राम हिंसा का मुख्य आरोपी 19 साल का महेश कुमार भीषण गुस्से का शिकार था. वह अपने गांव गया और साजिद सिद्दीकी के घर उपद्रव मचाने के लिए लोगों को साथ लेकर आया. महेश कुमार को 22 मार्च को गिरफ्तार किया गया था, जबकि अन्य की तलाश जारी है.
साजिद के घर पर स्थानीय नेताओं और मीडिया के लोगों की पर्याप्त मौजूदगी है. साजिद का परिवार बार-बार इस जालिम हमले की कहानी दोहराता है. टूटे हुए कांच, खिड़कियां, दरवाजे और बिखरे हुए खून के निशान हर जगह देखे जा सकते हैं. लेकिन लगभग एक किलोमीटर दूर महेश के पास-पड़ोस में सबने चुप्पी साध रखी है.
द क्विंट ने भोंडसी जिले में महेश के गांव नया गांव का दौरा किया और उनके सम्बन्धियों से मुलाकात की. पहले उन्होंने जानकारी देने में अनिच्छा जाहिर की और फिर आरोपी का बचाव करने लगे. आखिर में उन्होंने उस मुस्लिम परिवार को गलियां भी दीं, जिनके बेटे की पिटाई हुई थी.
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कौन है महेश कुमार?
नया गांव के ज्यादातर निवासी गुर्जर हैं. स्थानीय लोग गर्व के साथ कहते हैं, “बढाना गुर्जर हैं हम.” महेश और उसके सभी आरोपी साथी इसी समुदाय से हैं. अपनी चार बड़ी बहनों के साथ वह परिवार में सबसे छोटा है. महेश की मां ने बताया कि सात साल पहले हार्ट अटैक के चलते उसके पिता की मौत के कारण उनके परिवार ने काफी संघर्ष किया है.
महेश की सभी बहनों की शादी हो चुकी है और वह अपनी 55 साल की मां, पत्नी और दो बच्चों के साथ नया गांव में रहता है.
पाली कहती हैं कि उनके परिवार की हालत रोज कमाओ रोज खाओ जैसी है. वह अपने रिक्शे, जो होली के बाद से खड़ा है, की तरफ इशारा करते हुए कहती हैं, “मैं लोगों के खेतों में घास काटती हूं. और मेरा बेटा ऑटो-रिक्शा चलाता है.”
महेश को ऑटो-रिक्शा खरीदे हुए अभी कुछ ही महीने हुए हैं, इससे पहले वह भी दिहाड़ी मजदूरी के लिए अलग-अलग चौक पर जाता था. महेश ने आठवीं क्लास में स्कूल छोड़ दिया था. उनके गांव में कोई हाई स्कूल नहीं है और जो सबसे नजदीक है वह 7 किलोमीटर दूर बादशाहपुर में है.
महेश के पड़ोसी जिन्होंने साजिद के परिवार से भिड़ने के लिए उसका साथ दिया था, उन्होंने भी स्कूल छोड़ा था और दिहाड़ी मजदूरी कर रहे थे. महेश का एक पड़ोसी (20), जिसने नौंवी क्लास में स्कूल छोड़ दिया था और काम के नाम पर कुछ नहीं करता है, मुस्कुराते हुए कहता है, “मैं बच गया, मैं रूम में बैठ के पबजी खेल रहा था.”
पाली पड़ोस के एक खेत में काम कर रही थीं और महेश के बारे में अफवाह सुनकर आई थीं. वह याद करते हुए बताती हैं:
“किसी ने बोला, मुल्ला ने तेरे बेटे को मार दिया.” वह महेश को अगली शाम मिली थीं जब पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था. उस 20 मिनट की छोटी से मुलाकात के दौरान उन्होंने महेश से घटना के बारे में कुछ नहीं पूछा. वह उसके स्वास्थ्य के बारे में चिंता करते हुए कहती हैं, “वह रो रहा था जैसे वह दर्द में हो. मैंने उसे अपने हाथों से खिलाया लेकिन उसने बस थोड़ा-बहुत ही खाया.”
क्या हमले की अगुवाई करने में महेश गलत था?
महेश का परिवार उपद्रव में उसकी भागीदारी से इनकार नहीं करता है. यहां तक कि वे यह भी स्वीकार करते हैं कि अगर वे उसे रोक सकते, तो रोकते. महेश की बड़ी बहन रेखा कहती हैं, “अगर हमें पता होता कि ये लोग लड़ाई करने जा रहे हैं तो हम लोग इन्हें नहीं जाने देते.”
यह पूछे जाने पर कि क्या उसने कुछ गलत किया है, महेश की मां और बहन कहती हैं:
“इसे बड़ा मुद्दा बनाया जा रहा है. यह एक मामूली लड़ाई थी. मुसलमान इसे गलत तरफ ले जा रहे हैं. क्या यह समझा नहीं जा सकता है कि अगर कोई किसी को गेंद मरेगा तो वह नाराज नहीं होगा क्या?”
इसी बीच साजिद का परिवार इस बात से पूरी तरह इनकार करता है कि महेश को गेंद मारी गयी थी. बल्कि वे इस बात पर जोर देते हैं कि उसने मुस्लिम लड़के से यह कहते हुए मसला खड़ा किया कि वे उस मैदान में क्यों खेल रहे थे और यह भी कहा कि “उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए.”
महेश की मां फिर इस बात पर जोर देती हैं कि उनका बेटा ऐसा कर ही नहीं पाता. “मुल्लों की इतनी चल रही है. उनकी प्रशासन सुन रहा है. हमारी क्यों नहीं सुन रहा है?” पाली ने यह भी कहा कि “मुसलमान तो हरियाणा के निवासी भी नहीं थे.”
“वे कुछ ही साल पहले उत्तर प्रदेश से कहीं से आये हैं, जबकि इसी गांव में अपनी जिंदगी गुजार देने वाले हम लोगों को नजरअंदाज किया जा रहा है.”
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साजिद और उसका परिवार बेहतर करियर की उम्मीद में तीन साल पहले उत्तर प्रदेश के बागपत से नया गांव से एक किलोमीटर दूर भूप सिंह नगर का निवासी बना था. वे बिजली के उपकरण रिपेयर करते हैं और इसी की कमाई से उन्होंने तीन मंजिला मकान बनाया था, जिसे तोड़-फोड़ दिया गया.
यह पूछे जाने पर, कि क्या उन्होंने वह वीडियो देखा है जिसमें मुस्लिम परिवार की पिटाई की जा रही है, महेश की चाची, जो अपना नाम उजागर नहीं होने देना चाहती थीं, कहती हैं, “उल्लू की पट्ठी है, वो लड़की जिसने वीडियो लिया है. वीडियो बनाने की जरूरत क्या थी? और पहली लड़ाई का वीडियो क्यों नहीं बनाया? अगर हमारे बच्चों को गेंद मारी जाएगी, तो क्या वे कुछ नहीं बोलेंगे?”
महेश के पड़ोस के सभी लड़के होली के बाद से घर नहीं आये हैं. इस सड़क के आसपास के घरों में ज्यादातर ऐसी महिलाएं और लड़कियां हैं, जो मानती हैं कि यहां मुसलमानों को ज्यादा तरजीह दी जा रही है.
रेखा ने कहा, “उनकी सुनी जा रही है जबकि हमें तंग किया जा रहा है. पुलिस हमसे पूछने एक बार भी नहीं आई कि क्या हुआ था. वे लड़कों को तलाशने के लिए हमारे यहां आते रहते हैं. यह कैसा बर्ताव है? क्या हमारा कोई आत्मसम्मान नहीं है?”
महेश को गांव वालों का पूरा समर्थन है, जबकि इस व्यक्ति के खिलाफ धारा 148 (दंगा भड़काने), धारा 149 (गैरकानूनी ढंग से भीड़ इकट्ठी करने), धारा 307 (हत्या का प्रयास), धारा 323 (जान-बूझकर चोट पहुंचाना), धारा 452 (चोट पहुंचाने, हमला करने की तैयारी के बाद घर में जबरन घुसना) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
मुसलमानों को बाहरी कहने, वीडियो बनाने वाली लड़की को गालियां देने और यह कहने पर कि मुसलमान इस छोटी लड़ाई को बड़ा मुद्दा बना रहे हैं, नया गांव अपने लड़कों के साथ खड़ा है. वीडियो में पूरा उपद्रव दर्ज होने के बावजूद उनके साथ बिताये गए समय के दौरान उन्होंने पीड़ितों के लिए कोई सहानुभूति जाहिर नहीं की है.
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