भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई के खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की आंतरिक जांच की जिम्मेदारी जस्टिस एसए बोबडे को सौंपी गई है. वरिष्ठता क्रम में जस्टिस बोबडे सीजेआई के बाद वरिष्ठतम जज हैं.
जस्टिस बोबडे ने बताया कि नंबर 2 जज होने के नाते सीजेआई ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी के उनके (सीजेआई के) खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरापों की जांच के लिए नियुक्त किया है.
जस्टिस बोबडे ने बताया कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के दो जजों- जस्टिस एनवी रमन और जस्टिस इंदिरा बनर्जी को शामिल कर एक समिति गठित की है. उन्होंने कहा, ‘’मैंने समिति में जस्टिस रमन को शामिल करने का फैसला किया है क्योंकि वह वरिष्ठता में मेरे बाद हैं. जस्टिस बनर्जी को इसलिए शामिल किया गया है क्योंकि वह महिला जज हैं.’’
इसके अलावा जस्टिस बोबडे ने कहा कि उन्होंने उस महिला को पहले ही नोटिस जारी कर दिया है, जिसने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाते हुए जजों को पत्र लिखे थे. इस मामले पर सुनवाई शुक्रवार से होगी.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की एक महिला कर्मचारी ने सीजेआई के खिलाफ 19 अप्रैल को लगाए आरोपों में कहा था कि सीजेआई ने पहले उनका सेक्सुअल हैरेसमेंट किया, फिर उन्हें नौकरी से बर्खास्त करवा दिया. हालांकि सीजेआई गोगोई ने कहा कि जब वह (महिला) सुप्रीम कोर्ट में काम कर रही थीं, उस वक्त उनके खिलाफ एक FIR लंबित थी. ऐसे में सीजेआई ने सवाल किया, ''जब उनके खिलाफ FIR लंबित थी तो वह सुप्रीम कोर्ट की कर्मचारी कैसे बन सकती हैं?''
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