जस्टिस एसए बोबड़े अब सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस होंगे. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की सिफारिश के बाद अब राष्ट्रपति ने भी उनके नाम पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. जस्टिस बोबड़े 18 नवंबर को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का पदभार संभालेंगे और शपथ लेंगे. बता दें कि जस्टिस गोगोई ने 18 अक्टूबर को विधि और न्याय मंत्रालय को लेटर लिखकर जस्टिस बोबड़े को अगला CJI बनाने की सिफारिश की थी.
कौन हैं जस्टिस एस ए बोबडे?
जस्टिस शरद अरविंद बोबडे मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं. वह महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, मुंबई और महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी नागपुर के चांसलर रह चुके हैं.
24 अप्रैल 1956 को नागपुर में जन्मे जस्टिस बोबडे ने नागपुर यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री हासिल की है. उन्होंने 1978 में महाराष्ट्र बार काउंसिल की मेंबरशिप ली थी.
करियर
जस्टिस एस ए बोबडे ने पहले बॉम्बे हाई की नागपुर बेंच में प्रैक्टिस की है. वह बॉम्बे में प्रिंसिपल सीट के सामने भी मुकदमों की पैरवी की है. सुप्रीम कोर्ट में भी उन्होंने वकालत की है. वह 1998 में सीनियर वकील बन गए थे.
29 मार्च 2000 को उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट का अतिरिक्त जज बनाया गया था.16 अक्टूबर 2012 को वह मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे. 12 अप्रैल 2013 को जस्टिस बोबडे सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए गए थे. वह 23 अप्रैल 2021 को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो जाएंगे.
जस्टिस बोबडे के अहम फैसले
आधार
जस्टिस बोबडे उस तीन जजों की बेंच के सदस्य थे जिसने यह सवाल संविधान पीठ को भेजा था की प्राइवेसी का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं. जस्टिस बोबडे जिस बेंच में शामिल थे उसके अंतरिम आदेश में कहा गया था कि आधार कार्ड न रहने पर किसी को भी बेसिक सेवाओं और सरकार की सब्सिडी से महरूम नहीं किया जाएगा. यह अंतरिम आदेश काफी अहम था क्योंकि इस मामले में अंतिम फैसला तीन साल तक रुका रहा. जब आखिरी फैसला आया तो अंतरिम आदेश को फॉलो किया गया.
पर्यावरण
जस्टिस बोबडे वाली तीन सदस्यीय सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने प्रदूषण के बढ़ते खतरे को देखते एनसीआर में पटाखों की बिक्री रोकी थी. जस्टिस बोबडे उस बेंच के भी सदस्य थे, जिसने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोप में जांच की थी. उन्होंने सीजेआई को क्लीन चिट दी थी.
अयोध्या टाइटल सूट
जस्टिस बोबडे राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद की सुनवाई करने वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ में भी शामिल हैं.
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