उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) कानपुर में गैंगस्टर विकास दुबे के साथ एनकाउंटर में 8 पुलिसवालों की हत्या के मामले की जांच कर रही है. लेकिन इसी बीच STF के एक वरिष्ठ अधिकारी पर 'लापरवाही' का आरोप लग रहा है. पिछले महीने DIG रैंक में प्रमोशन पाए अनंत देव तिवारी एक खत पर कार्रवाई न करने की कथित नाकामी की वजह से आलोचना से घिर गए हैं. अब तिवारी का STF से तबादला कर दिया गया है.
ये खत उन्हें बिल्हौर के DSP देवेंद्र मिश्रा ने SHO विनय तिवारी और विकास दुबे के संबंधों के बारे में आगाह करने के लिए लिखा था. 3 जुलाई को कानपुर में हुए एनकाउंटर में मिश्रा भी शहीद हुए 8 पुलिसवालों में से एक थे.
SHO विनय तिवारी को अब सस्पेंड कर दिया गया है. शक जताया जा रहा है की तिवारी ने दुबे को पुलिस के आने की जानकारी दे दी थी, जिसकी वजह से पुलिस टीम पर सुनियोजित हमला किया गया.
ऐसा कहा जा रहा है कि नीचे दिया गया खत देवेंद्र मिश्रा ने अनंत देव तिवारी को लिखा था, जब अनंत कानपुर के एसएसपी थे.
खत में मिश्रा ने आरोप लगाया था कि दुबे के एक केस में SHO तिवारी के निर्देश पर सेक्शन 386 IPC (शख्स को मौत के डर में रखकर रंगदारी मांगना) हटा दिया गया था.
मिश्रा ने इस खत में SHO तिवारी पर दुबे के लिए ‘सहानुभूति’ रखने और कई मामलो में एक्शन न लेने का आरोप लगाया था. मिश्रा ने ये भी आरोप लगाया कि SHO रेगुलर गैंगस्टर दुबे से बात करते हैं.
उत्तर प्रदेश में विपक्षी पार्टियां अब ये आरोप लगा रही हैं कि सिर्फ SHO विनय तिवारी ही नहीं, बल्कि DIG अनंत देव तिवारी के भी विकास दुबे से संबंध हैं.
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आईपी सिंह ने एक वीडियो डाला और आरोप लगाया कि DIG तिवारी और दुबे के कैशियर जय वाजपेयी में नजदीकी थी. साथ ही सिंह ने STF के अफसरों की संपत्ति की जांच की मांग भी की.
कांग्रेस की मीडिया पैनेलिस्ट पंखुड़ी पाठक ने DIG तिवारी और वाजपेयी की कथित तस्वीरें पोस्ट कर दुबे से संबंधित हर अधिकारी और नेता की जांच की मांग की.
कौन हैं अनंत देव तिवारी?
अनंत देव तिवारी का एसएसपी कानपुर से यूपी STF में DIG के पद पर प्रोमोशन को अभी एक महीना भी पूरा नहीं हुआ है. अब दुबे के मामले की वजह से उन्हें STF से हटा दिया गया है. लोकल मीडिया अनंत देव को 'सिंघम' के नाम से बुलाती है. तिवारी को 'एनकाउंटर स्पेशलिस्ट' के तौर पर जाना जाता है और उन्होंने STF के साथ काफी काम किया है.
तिवारी का जन्म 1963 में कानपुर के करीबी जिले फतेहपुर में हुआ था. तिवारी ने मैथमैटिक्स में MSc की है. सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, तिवारी 1991 में उत्तर प्रदेश पुलिस सर्विस अफसर नियुक्त हुए थे.
तिवारी का पुलिस में उदय और दुबे का क्राइम की दुनिया में नाम कमाना लगभग एक समय में ही हुआ था- ये 1990 और 2000 का दशक था जब यूपी में संगठित अपराध बढ़ रहा था.
तिवारी से जुड़ी कई कहानियां हैं. कुछ सच्ची और कुछ शायद रची हुईं.
एक कहानी है कि उनकी इटावा में शुरुआती पोस्टिंग के दौरान वो समाजवादी पार्टी में रसूख रखने वाले कुछ लोगों से भिड़ गए थे. इसकी वजह से उनका ट्रांसफर हुआ और उन्हें चित्रकूट में 'सजा की पोस्टिंग' मिली.
ऐसा कहा जाता है कि इसी दौरान तिवारी ने यूपी और मध्य प्रदेश की सीमा वाले इलाकों में सक्रिय डाकू गिरोहों की जानकारी इकट्ठा की और इसी जानकारी ने आगे आने वाले समय में उनके करियर को बदल के रख देने वाले केस में मदद की.
उनकी कानपुर में बड़ी पोस्टिंग 1997 में हुई थी. इस दौरान वो एक तंबाकू कारोबारी के किडनैप हुए बेटे को बचाने और कई 'एनकाउंटर' से सुर्खियों में छा गए थे.
ददुआ एनकाउंटर से बदला पूरा करियर
राजनीतिक तौर पर तिवारी को BSP और BJP सरकारों के करीबी के तौर पर जाना जाता था. हालांकि 2006 में समाजवादी पार्टी की सरकार में उन्हें आईपीएस रैंक में प्रमोट किया गया.
2007 में BSP की सरकार आने के बाद ऐसा कहा जाता है कि डाकू शिव कुमार पटेल उर्फ ददुआ को पकड़ने के लिए मायावती ने STF तैनात की थी. तिवारी इस टीम का हिस्सा बने थे और इलाके की जानकारी ने मदद की थी.
22 जुलाई 2007 को चित्रकूट के पास के नालों में ददुआ का ‘एनकाउंटर’ हुआ था और एक साल बाद अगस्त 2008 में उसका साथी अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया मारा गया था. ये तिवारी के करियर का बड़ा टर्निंग पॉइंट था और उन्हें ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ कहा जाने लगा.
रिपोर्ट्स का कहना है कि तिवारी ने अपने करियर में करीब 150 एनकाउंटर में हिस्सा लिया है.
2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद अनंत देव को एसएसपी मुजफ्फरनगर बना कर भेजा गया और पश्चिमी यूपी के इस जिले में भी कई ‘एनकाउंटर’ हुए. रिपोर्ट्स के मुताबिक, तिवारी के मुजफ्फरनगर में 15 महीने के कार्यकाल में कम से कम 89 एनकाउंटर हुए थे.
अगस्त 2018 में तिवारी को कानपुर का एसएसपी बनाया गया. उनके आलोचक कहते हैं कि गंभीर अपराधियों के खिलाफ तिवारी का जैसा रवैया या कैंपेन रहता था, उन्होंने विकास दुबे के खिलाफ कभी वैसी गंभीरता नहीं दिखाई.
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