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केरल 'मानव बलि' केस: पुलिस पहले केस की ढंग से जांच करती तो दूसरी जान बच सकती थी?

Kerala human sacrifice: रोसेलिन वर्गीज की बेटी बताती हैं कि शायद उनके बैकग्राउंड के कारण पुलिस ने गहन जांच नहीं की

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भारत
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11 अक्टूबर को जब मीडियाकर्मियों का एक समूह केरल के कोट्टायम जिले में मंजू वर्गीज के घर पहुंचा तब मंजू को अपनी मां की मौत के बारे में पता चला. जैसे ही मीडियाकर्मियों ने मंजू को बताया कि उसकी मां के शरीर के अवशेषों को कथित तौर पर पठानमथिट्टा जिले के एक घर से निकाला गया है, वैसे ही 29 वर्षीया मंजू को कलाडी पुलिस की ओर से एक महीने पहले (अगस्त में) किया गया एक कॉल याद आया.

मंजू वर्गीज ने क्विंट से बात करते हुए कहा कि "अगस्त में पुलिस अधिकारियों ने मुझे बताया था कि मेरी मां के सेलफोन की जो आखिरी लोकेशन रिकॉर्ड की गई थी, वह पथानामथिट्टा जिले में ही थी. अगर उन्होंने उस समय ही उनकी बॉडी का पता लगाया होता तो हम कम से कम उन्हें दफना सकते थे और उन्हें शांति प्रदान कर सकते थे."

वहीं पड़ोस के एर्नाकुलम जिले जहां से रोसेलिन लापता हो गई थीं, वहां के कलाडी पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने क्विंट को यह बताते हुए पुष्टि की कि अगस्त में उन्होंने रोसेलिन के सेल फोन की लोकेशन का पता लगाया था, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने इस बात का खुलासा नहीं किया कि उस वक्त वे उसकी बॉडी का पता क्यों नहीं लगा सके.

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Kerala human sacrifice: रोसेलिन वर्गीज की बेटी बताती हैं कि शायद उनके बैकग्राउंड के कारण पुलिस ने गहन जांच नहीं की

49 वर्षीय रोसेलिन वर्गीज जिनकी कथित तौर पर एक कर्मकांड 'मानव बलि' में हत्या कर दी गई है.

क्विंट द्वारा एक्सेस की गई फोटो

पुलिस के अनुसार मोहम्मद शफी, भगावल सिंह और लैला भगावल सिंह की तिकड़ी का पहला शिकार रोसेलिन थी. इस तिकड़ी पर अब भौतिक समृद्धि के लिए दो महिलाओं की 'मानव बलि' का आरोप है.

12 अक्टूबर को तीनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. भगावल सिंह और लैला शादीशुदा हैं, कथित तौर पर पठानमथिट्टा जिले के एलंथूर में इसी दंपति के आवास पर 49 वर्षीय रोसेलिन और 52 वर्षीय पद्मा की हत्याओं को अंजाम दिया गया था.

हालांकि, क्विंट के साथ रोसेलिन के परिवार के सदस्यों की बातचीत से यह स्पष्ट है कि अगर समय पर रिपोर्टिंग और 49 वर्षीय के बहला-फुसलाकर भगा ले जाने की गहन जांच होती तो दूसरी कथित हत्या को रोका जा सकता था.

'रोसेलिन अपने प्रेमी के साथ रह रही थी जिसने उसके गायब होने की रिपोर्ट नहीं की'

करीब 15 साल पहले रोसेलिन वर्गीज इडुक्की जिले के कट्टप्पना में रहने वाले अपने पति सनी से अलग हो गई थीं. इसके बाद दो बच्चों की युवा मां रहने के लिए एर्नाकुलम चली गई और शहर में एक जगह किराए पर रहने लगीं.

मंजू वर्गीज बताती हैं कि ''वह एक मेहनती महिला थीं, वह पैसे कमाने के लिए लोगों के घरों में सफाई करने का काम करती थीं ताकि मेरे भाई और मेरी परवरिश हो सके."

जैसे-जैसे बच्चे बड़े हुए रोसेलिन ने एर्नाकुलम में आयुर्वेदिक सामानों की बिक्री के कामकाज में भी अपने कदम रखे. समय बीतने के साथ रोसेलिन ने अपनी बेटी की शादी कर दी, जो बाद में अपने पति के साथ उत्तर प्रदेश चली गई. वहीं रोसेलिन का बेटा संजू वर्गीज काम सिलसिले से घर से निकल गया था और अपनी मां-बहन से दूर अलग रह रहा था.

रोसेलिन को 2016 में सजीश से प्यार हो गया और उसने अपने प्रेमी के साथ रहने का फैसला किया.

मंजू बताती है कि "मैं इस रिश्ते से खुश नहीं थी. वे दोनों एक साथ रह रहे थे लेकिन मैं इससे खुश नहीं थी."

रोसेलिन के रिश्ते को लेकर उसके बच्चे चिंतित थे क्योंकि रोसेलिन से सजीश एक दशक यानी 10 साल छोटा था. मंजू हिचकिचाते हुए कहती हैं कि "दूसरों को यह समझा पाना संभव नहीं था कि वह प्यार में थीं."

Kerala human sacrifice: रोसेलिन वर्गीज की बेटी बताती हैं कि शायद उनके बैकग्राउंड के कारण पुलिस ने गहन जांच नहीं की

11 अक्टूबर को भगवल सिंह और लैला के घर से मानव अवशेष निकाले जाने का दृश्य.

क्विंट द्वारा एक्सेस की गई फोटो

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समाज में मौजूद पूर्वाग्रह एक युवा पुरुष के साथ रहने वाली एक अधेड़ उम्र की महिला की नैतिकता पर सवाल उठाता है. क्या यही पूर्वाग्रह रोसेलिन के बहकाने की गहन जांच में बाधा डालने का काम करता है?

सबसे पहले तो ऐसा प्रतीत होता है कि उसने रोसेलिन के प्रेमी सजीश को पुलिस के पास जाने से रोक दिया. रोसेलिन 8 जून को गायब हो गई, लेकिन कलाडी पुलिस को इसके बारे में तब तक पता नहीं चला जब तक कि उसकी बेटी मंजू वर्गीज ने जुलाई में इसकी सूचना नहीं दी. इसके साथ ही मंजू ने 17 अगस्त को औपचारिक शिकायत दर्ज कराई थी.

Kerala human sacrifice: रोसेलिन वर्गीज की बेटी बताती हैं कि शायद उनके बैकग्राउंड के कारण पुलिस ने गहन जांच नहीं की

पथानामथिट्टा जिले के एलंथूर में सिंह दंपति के आवास पर मौजूद दर्शक, मीडिया और पुलिसकर्मी

क्विंट द्वारा एक्सेस की गई फोटो

मंजू कहती हैं कि "सजीश ने पुलिस या परिवार से इसलिए संपर्क नहीं किया क्योंकि उसे लगा होगा कि मेरी मां अपने गृहनगर कैनेडी, अलाप्पुझा गई हुई हैं. सजीश ने उनसे भी संपर्क नहीं किया क्योंकि उसे लगा कि पुलिस उनके लिव-इन रिलेशनशिप पर सहानुभूति नहीं दिखाएगी." जब क्विंट ने सजीश के कमेंट के लिए उनसे संपर्क किया तब वह उपलब्ध नहीं हो सके.

लेकिन यहां एक सवाल यह भी उठता है कि रोसेलिन की बेटी मंजू ने पुलिस से जल्द संपर्क क्यों नहीं किया?

मंजू के अनुसार कि उनकी मां रोसेलिन को इस बात के लिए जाना जाता था कि वे अपना फोन खो देती हैं. मंजू बताती हैं कि "लगभग एक महीने तक मुझे यही लगा कि उनका फोन या तो खराब हो गया है या खो गया है." इस दौरान सजीश ने भी रोसेलिन परिवार से संपर्क नहीं किया. रोसेलिन के रिश्तेदारों ने उससे दूरी बनाकर रखी थी.

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सुराग ने परिवार को पब्लिक बस स्टैंड तक, जबकि फोन ने पुलिस को पथानामथिट्टा तक पहुंचाया 

हालांकि, मंजू अपनी मां की तलाश के लिए उत्सुक थी, वह अपने दम पर समानांतर खोजबीन कर रही थी. जब मंजू ने रोसेलिन की दोस्त राम्या से संपर्क किया, तो उसने बताया कि आयुर्वेदिक उत्पादों की मार्केटिंग करने वाली महिला ने हाल ही में लॉटरी टिकट बेचने का काम शुरु किया था.

मंजू आरोप लगाते हुए कहती हैं कि "जब मुझे पता चला कि मेरी मां एर्नाकुलम में केएसआरटीसी (केरल राज्य सड़क परिवहन निगम) बस स्टैंड पर लॉटरी बेचती थी, तब मैंने पुलिस को इसकी सूचना दी लेकिन उन्होंने अगस्त में इससे आगे कोई पूछताछ नहीं की."

हालांकि वह बस स्टैंड कालाडी पुलिस के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है लेकिन एर्नाकुलम पुलिस जांच करती तो लोकेशन से सीसीटीवी फुटेज की बरामदगी हो सकती थी.

अब, एर्नाकुलम पुलिस का मानना ​​है कि आरोपी शफी ने रोसेलिन को एक अडल्ट फिल्म में अभिनय करने के लिए 10 लाख रुपये का लालच दिया और उसे पठानमथिट्टा जिले के एलंथुर में भगावल सिंह के घर पर ले गया.

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केरल में 'मानव बलि' दोहरे हत्याकांड के आरोपी मोहम्मद शफी, लैला और भगावल सिंह

(फोटो- altered by quint)  

रिमांड रिपोर्ट की एक प्रति क्विंट के पास है, उस रिपोर्ट के अनुसार भगावल सिंह के आवास पर पहले रोसेलिन को एक खाट से बांधा गया था. इसके बाद शफी ने कथित तौर पर उसके प्राइवेट पार्ट पर तेज चाकू से वार किया और बाद में उसका सिर काट दिया. इसके बाद भगावल सिंह, उसकी पत्नी लैला और शफी ने कथित तौर पर रोसेलिन की बॉडी को टुकड़ों में काट दिया. फिर सिंह दंपति के आवास में मौजूद प्लाट में बचे हुए टुकड़ों को दफना दिया.

महज तीन महीने बाद 27 सितंबर को पद्मा नामक एक अन्य महिला को शफी बहलाता-फुसलाता है. पद्मा को 15 हजार रुपये का लालच देकर शफी उसे सिंह दंपति के घर ले जाता है. अगर रोसेलिन की लाश मिल जाती तो क्या पुलिस पद्मा की हत्या को रोक पाती?

मंजू पूछती हैं कि "हम कहते आ रहे हैं कि पुलिस को उन्हें (रोसेलिन को) पहले ही, खासकर तब जब हमने पुलिस को बताया कि मेरी मां आखिरी बार केएसआरसीटी बस स्टैंड पर मिली थी, तभी ढूंढ लेना चाहिए था. वहीं जब पुलिस को पठानमथिट्टा में मेरी मां के फोन की लोकेशन मिली तब उन्होंने मां की खोजबीन आगे और क्यों नहीं की?"

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परिवार को संदेह है कि रोसेलिन की पृष्ठभूमि ने विस्तृत जांच को रोका

मंजू के मुताबिक उसके पास फिलहाल कोई नौकरी नहीं है, उसकी मां रोसेलिन इतनी भी आर्थिक तंगी से नहीं गुजर रही थी कि वह पैसों के लिए एडल्ड फिल्म के धंधे में उतरने के लिए मजबूर हो जाए.

परेशान मंजू ने पूछती हैं कि "मां और उसका पार्टनर सजीश कमा रहे थे. उसने (मां ने) जीवन भर काम किया और अपने परिवार का भरण-पोषण किया. वह एडल्ड फिल्म के धंधे में कैसे उतर सकती है."

मंजू ने बीएड पूरी कर ली है और पहले वह उत्तर प्रदेश में शिक्षिका हुआ करती थी लेकिन जब कोविड-19 महामारी के बाद उसकी नौकरी चली गई, तब वह अपने परिवार के साथ केरल लौट आई.

मंजू के करीबी रिश्तेदार, जिसने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि रोसेलिन का परिवार महामारी के दौरान भी अपना जीवन यापन कर रहा था.

रिश्तेदार पछताते हुए कहते हैं कि "रोसेलिन और मंजू दोनों के पति राजमिस्त्री हैं, उनके पास काम करने के लिए पर्याप्त काम है. लेकिन सवाल यह है कि वह लॉटरी बेचने के लिए एर्नाकुलम शहर में कैसे पहुंची."
Kerala human sacrifice: रोसेलिन वर्गीज की बेटी बताती हैं कि शायद उनके बैकग्राउंड के कारण पुलिस ने गहन जांच नहीं की

मंजू के मुताबिक, लॉटरी गिग में उतारने के लिए रोसेलिन के पास एर्नाकुलम में पर्याप्त कॉन्टैक्ट नहीं थे. आयुर्वेदिक सामानों की सेल्स रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर उनकी पहचान ज्यादा बेहतर थी.

अपनी मां के निधन के संबंध में अनुत्तरित प्रश्नों पर विराम लगाने की मांग करते हुए मंजू कहती हैं कि "हमें यह जानने की जरूरत है कि आखिर इस आदमी ने उन्हें (रोसेलिन) अपने साथ जाने के लिए कैसे राजी कर लिया. हम इस बात को लेकर श्योर नहीं है कि सभी विवरण सामने आए हैं."

मंजू कहती हैं कि मामले में केवल इसलिए देरी हुई क्योंकि पुलिस ने उनकी मां के चरित्र को संदिग्ध माना. "पुलिस ने शायद उन्हें एक स्वच्छंद (मनमौजी) महिला के रूप में माना होगा जिसने अपना घर छोड़ दिया था. लेकिन मेरे लिए वो मेरी मां थीं."

एर्नाकुलम पुलिस ने मंजू को डीएनए परीक्षण के लिए उपलब्ध रहने के लिए कहा है ताकि यह पुष्टि हो सके कि सिंह दंपति के निवास से जो अवशेष निकाले गए है, क्या वह वाकई में रोसेलिन के थे.

मंजू कहती हैं कि “मैं इकलौती ऐसी थी जो उन्हें वापस पाने की कोशिश कर रही थी, लगातार पुलिस से बात कर रही थी. अगर मेरी मां अमीर और शादीशुदा होती, तो शायद पुलिस उन्हें गंभीरता से ढूंढती.”

कलाडी पुलिस ने इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया कि जब तक एर्नाकुलम पुलिस ने दूसरी लापता महिला पद्मा का मामला अपने हाथ में नहीं लिया, तब तक आरोपी तक जांच क्यों नहीं हुई?

सितंबर में पद्मा के रिश्तेदारों ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद एर्नाकुलम पुलिस ने मोहम्मद शफी पर शिकंजा कसा था. कथित तौर पर शफी जब पद्मा को एक कार तक ले जा रहा था तब वह एक सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया था. ऐसा माना जा सकता है लेकिन कि वह उसे कार तक नहीं बल्कि मौत तक ले गया था.

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