गुजरात (Gujarat) के खेड़ा जिले के उंधेला गांव में रहने वाले 48 वर्षीय मोहम्मद सारिफ घर से 25 किलोमीटर दूर एक खाली दो बेडरूम वाले घर के अंदर बैठे हुए थे, उन्होंने कहा "मुझे सार्वजनिक रूप से सबके सामने पीटा गया. जिनके साथ मैं बड़ा हुआ वे लोग वहां मौजूद थे, जब मैंने उन्हें देखा तो मुझे ऐसा लगा जैसे यहां कोई तमाशा चल रहा था. लोग उसका आनंद उठा रहे थे."
क्या था मामला ? : 4 अक्टूबर को सारिफ के साथ कम से कम चार मुस्लिम पुरुषों को खंभे से बांधकर कथित तौर पर सादे कपड़ों में गुजरात के पुलिसकर्मियों ने लाठियों से पीटा था. खेड़ा जिले के उंधेला गांव में हुई इस घटना का 75 सेकेंड का एक वीडियो ऑनलाइन सामने आया. वीडियो में सैकड़ों की भीड़ को भारत माता की जय के नारे लगाते देखा जा सकता है.
एक महीना बीत जाने पर भी अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है. क्विंट ने सारिफ से उनके घर से 25 किलोमीटर दूर एक खाली घर में मुलाकात की. जहां पर सारिफ ने कहा कि "सिस्टम पीड़ित को सजा दे रहा है."
वीडियो में शख्स को पीटते दिख रहे लोग कौन हैं ? : वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद उनकी पहचान खेड़ा जिले की लोकल क्राइम ब्रांच यूनिट के पुलिस कर्मियों के रूप में की गई. खेड़ा के एसपी आशीष भाटिया ने मीडिया को बताया कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
सारिफ को क्यों पीटा गया ? : उंधेला गांव में नवरात्रि उत्सव के दौरान एक गरबा नृत्य कार्यक्रम पर पथराव होने का दावा किया गया था, जिसके बाद अगले दिन पुलिसकर्मियों द्वारा इन लोगों की पिटाई की गई थी. पथराव के दौरान हुई झड़प में एक पुलिसकर्मी समेत सात लोग घायल हो गए थे.
'पीट रही थी पुलिस और ताली बजा रही थी भीड़'
सारिफ ने आरोप लगाते हुए कहा कि "मैं अब भी उन चेहरों को देख सकता हूं. मोबाइल की दुकान का मालिक रमेश; सिलाई का काम करने वाला भरत; उसका बेटा उमेश; दिलीप; शैलेश... वे सभी वहां भीड़ में मौजूद थे. जब पुलिसवाले हमें अपमानित कर रहे थे तब वे ताली बजा रहे थे, हंस रहे थे और जय श्री राम के नारे लगा रहे थे."
सबके सामने पिटाई करने के बाद, गांव के सरपंच इंद्रवदन मणिभाई पटेल की शिकायत के आधार पर FIR दर्ज करने के बाद खेड़ा जिला पुलिस ने सारिफ को गिरफ्तार कर लिया था. FIR में सारिफ समेत 43 लोगों पर उंधेला में नवरात्रि समारोह में बाधा डालने का आरोप लगाया गया है. घटना के 15 दिन बाद 19 अक्टूबर को सारिफ को जमानत मिल गई, लेकिन इस शर्त पर कि वो 31 मार्च 2023 तक मातर तालुका (जिसके अंदर उंधेला गांव आता है) में प्रवेश नहीं करेंगे.
सारिफ की पत्नी और उनके तीन बच्चे अभी भी उंधेला में रहते हैं. वे इस शर्त पर क्विंट से बात करने के लिए तैयार हुए कि उनके वर्तमान पते का खुलासा नहीं किया जाएगा.
''पिटाई के एक दिन बाद गांव के लोगों ने घर में तोड़फोड़ की''
अपने आंसुओं को संभालते हुए सारिफ ने कहा कि "सबके सामने लाठियों से पीटने के बाद, कुछ लोगों ने मेरे घर में तोड़फोड़ की और मेरे परिवार को धमकाया. मेरा बड़ा बेटा, जो कॉलेज में है, उसे पुलिस द्वारा उठा लिया गया था. वहीं मेरा सबसे छोटा, जो 10वीं कक्षा में, वह इस हद तक डरा हुआ है कि वह टॉयलेट जाने के बारे में सोचकर ही कांप उठता है."
सारिफ को पीटने वालों पर क्या एक्शन हुआ ?
21 अक्टूबर को गुजरात हाईकोर्ट की एक डिविजन बेंच ने आईजी (अहमदाबाद रेंज) और खेड़ा एसपी के कार्यालयों सहित इस मामले में कथित रूप से शामिल 15 पुलिस कर्मियों, मातर पुलिस स्टेशन के 10 कांस्टेबल, खेड़ा में लोकल क्राइम ब्रांच के एक इंस्पेक्टर और दो सब इंस्पेक्टर को एक नोटिस जारी किया, जिसका जवाब 12 दिसंबर तक देना है.
सारिफ के वकील मुबारक पठान ने आरोप लगाया कि शिकायत में जिन पुलिसकर्मियों के नाम थे उनके खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई है. क्विंट ने इस बारे में आईजी कार्यालय (अहमदाबाद रेंज) सवाल किया है, लेकिन अभी तक वहां से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. (जवाब आने पर स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.)
''पीड़ितों को सजा दी जा रही, आरोपी अब भी ड्यूटी पर''
सारिफ सवाल पूछते हैं कि "मैं एक किसान हूं और लकड़ी का काम भी करता हूं. इन दोनों कामों के लिए मुझे गांव में रहने की अवश्यकता है. अपनी फसलों की देखभाल के लिए मुझे नियमित तौर पर अपनी खेतों में जाने की जरूरत है. मेरी अनुपस्थिति में, खेतों पर कौन काम करेगा? दुकान कौन संभालेगा? हम अपने बिलों का भुगतान कैसे करेंगे? मेरा परिवार क्या खाएगा?"
जिन लोगों को सबके सामने खंभे में बांधकर पीटा गया था, उन्होंने 12 अक्टूबर को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. सारिफ ने इस मामले में आरोपी पुलिस कर्मियों का जिक्र करते हुए कहा कि "दुर्भाग्य से, पीड़ितों को सजा दी जा रही है और अपराधी अब भी ड्यूटी पर हैं." शिकायत में 15 पुलिसकर्मियों, BJP का एक विधायक, गांव के सरपंच और BJP के एक तालुका सदस्य का नाम दर्ज कराया है.
'अब उनके (हिंदू) त्योहारों में शामिल नहीं होंगे'
सारिफ के पिता, दादा और परदादा सभी का घर उंधेला में रहा है. उंधेला ही सारिफ की दुनिया है; वहां उनके तीन बेटों ने जन्म लिया है. सारिफ बताते हैं कि "यहां मैं स्कूल गया था, यहां मेरे बच्चे पैदा हुए थे. मुझे याद है कि मैं बचपन में गरबा समारोह में जाता था."
उंधेला, खेड़ा जिले के मातर तालुका का एक गांव है. जहां पांच हजार से अधिक लोगों की मिली जुली (हिंदू-मुस्लिम) आबादी है.
सारिफ बताते हैं कि "कई बार हमने गरबा समारोह के लिए तंबू लगाने में उनकी मदद की है. हमने प्रसाद भी बांटा और नवरात्रि के दौरान अन्य व्यवस्थाओं में मदद की है." वे आगे कहते हैं कि उनका परिवार फिर कभी गरबा समारोह में शामिल नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि "हम इस साल समारोह में शामिल नहीं हो सके. मुझे नहीं पता कि उन्हें (पुलिस) मेरा नाम कहां से मिला. लेकिन अब, मेरे परिवार का कोई भी सदस्य उनके (हिंदू) त्योहारों में शामिल नहीं होगा."
हालांकि, सारिफ उस दिन की यादों को मिटाना चाहते हैं, उनका कहना है कि वे उंधेला नहीं छोड़ सकते क्योंकि उनके परिवार के पास कोई विकल्प नहीं है. वो पूछते हैं "मैं नहीं चाहता कि मेरे बच्चे यहां बड़े हों, लेकिन हमारे पास क्या विकल्प है? हम किसान हैं. गांव में मेरी एक छोटी बढ़ई की दुकान भी है. हम अपनी जमीन अपने साथ कैसे ले जाएंगे? दुकान कौन चलाएगा?"
सारिफ ने आगे पूछा- "ये वीडियो इंटरनेट पर है. मेरे अपने परिवार को इंटरनेट से पता चला कि क्या हुआ. क्या आपको लगता है कि लोग इस घटना को कभी भूलेंगे? मैं अपने गांव की गलियों पर सिर ऊंचा करके कैसे चलूंगा? क्या आप उन वीडियो को इंटरनेट से हटा सकते हैं? क्या यह संभव भी है?"
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