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J&K: PDP के गिरफ्तार यूथ लीडर पर इतना भरोसा क्यों करती हैं मुफ्ती?

गिरफ्तार युवा PDP नेता वहीद जिन्होंने जम्मू-कश्मीर DDC चुनाव में पुलवामा से जीत हासिल की

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“मैं व्यक्तिगत रूप से वहीद की शराफत, ईमानदारी और चरित्र की गारंटी दे सकती हूं. ये अब न्यायपालिका पर निर्भर करता है कि वो न्याय करे और वहीद की जल्द से जल्द रिहाई सुनिश्चित करे.”

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने गर्व वाले लहजे में ये ट्वीट PDP के युवा नेता वहीद उर रहमान पर्रा की गिरफ्तारी के बाद की थी.

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चर्चा में क्यों हैं वहीद?

आर्टिकल 370 हटने के बाद कश्मीर में पहली बार हुए जिला विकास काउंसिल(DDC) चुनाव में वहीद ने साउथ कश्मीर के पुलवामा के ताहाब इलाके से जीत हासिल की है. 32 साल के वहीद जम्मू-कश्मीर PDP यूथ विंग के प्रेसिडेंट हैं. फिलहाल वो जम्मू के अम्फाला जेल में बंद हैं. 25 नवंबर को दिल्ली में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मिलिटेंसी से जुड़े एक मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम UAPA के तहत इन्हें गिरफ्तार किया था. मामले के तार आतंकवादियों से कथित संबंधों को लेकर जम्मू-कश्मीर पुलिस के निलंबित डीएसपी देविंदर सिंह से जुड़े हैं.

वहीद की जीत पर महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर बधाई दी और कहा, “अपने पहले चुनाव में बड़े अंतर से जीत दर्ज करने वाले PDP के वहीद उर रहमान पर्रा पर गर्व है. चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के तुंरत बाद आधारहीन आरोपों पर गिरफ्तार किए जाने के बावजूद लोगों ने वहीद के प्रति अपना प्यार और भरोसा दिखाया. उम्मीद है कि न्याय की जीत होगी.”

PDP के प्रवक्ता मोहित भान क्विंट हिंदी से बातचीत में कहते हैं कि "ये वहीद के काम के प्रति लोगों का आकर्षण है. जब वो PDP का हिस्सा नहीं थे तबसे वो यूथ एक्टिविस्ट रहे. पिछले 7 सालों से वो अपने लोगों के बीच काम कर रहे हैं. इसलिए जेल में रहने के बावजूद, बिना खुद कैम्पेनिंग किए उन्होंने चुनाव जीता."

वहीद पुलवामा के नैरा गांव से आते हैं.

उनके एक करीबी रिश्तेदार कहते हैं- "हमारा इलाका(पुलवामा) मिलिटेंसी का हॉट बेड है. लोग पुलिस के पास जाने से डरते हैं, लेकिन जब भी किसी को जरूरत महसूस हुई वहीद उनके साथ खड़े रहते थे, उनके लिए निकलते थे. इनके घर पर कभी सिक्योरिटी नहीं लगी. लोग इनसे काफी आसानी से मिलजुल कर परेशानी साझा करते हैं."

वहीद की तरफदारी क्यों कर रही हैं महबूबा?

दरअसल वहीद अपने काम की बदौलत पहले भी काफी सुर्खियां बटोर चुके हैं. बतौर युवा नेता पार्टी में उनकी साख काफी अच्छी है. उन्हें 'क्राउड पुलर' माना जाता है.

जब कश्मीर में BJP और PDP की साझा सरकार थी तब केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह से भी वहीद ने तारीफें बटोरीं थी. 2018 में श्रीनगर के इंडोर स्टेडियम में आयोजित स्पोर्ट्स कॉन्क्लेव में बतौर गेस्ट पहुंचे राजनाथ सिंह ने घाटी में खेल को बढ़ावा देने का श्रेय वहीद को दिया था.

बता दें, 2016 में वहीद को जम्मू-कश्मीर स्टेट स्पोर्ट्स काउंसिल का सेक्रेटरी नियुक्त किया गया था.

मोहित भान बताते हैं- उनका मुख्य काम मेनस्ट्रीम से युवाओं को जोड़ने का रहा ताकि युवा पत्थरबाजी, आतंकी गतिविधियों से दूर रहें. उन्होंने खेलो इंडिया के तहत ब्लॉक स्तर पर राज्य का पहला रूरल गेम शुरू करवाया. युवाओं के लिए स्पोर्ट्स से जुड़ा मेगा इवेंट करवाया जहां केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने करीब 7-8 हजार कश्मीरी युवाओं को संबोधित किया था. ये कश्मीर के लिए अपने आप में एक ऐतिहासिक इवेंट था.

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पर्रा का राजनीतिक सफर

वहीद के दादा अब्दुल रहमान मुफ्ती मोहम्मद सईद के करीबी थे. साल 2013 में वहीद आधिकारिक रूप से PDP में शामिल हुए.

वहीद के रिश्तेदार का कहना है

"वहीद ने 2014 के संसदीय और विधानसभा चुनावों में अहम भूमिका निभाई थी. विधानसभा चुनाव में PDP के नेता हसीब द्राबू को पुलवामा में जीत मिली थी. वहीद का उनकी जीत में काफी योगदान था. इस जीत के बाद द्राबू जम्मू-कश्मीर के वित्तमंत्री बने थे."

इनके मुताबिक पार्टी की जीत के बाद 2015 में मुफ्ती मोहम्मद सईद ने वहीद को अपना पोलिटिकल एडवाइजर बनाया. उन्हें काम के लिए अपना प्राइवेट ऑफिस दिया.

पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट स्टडीज में मास्टर्स करने वाले वहीद अमेरिका के बोस्टन यूनिवर्सिटी से इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म की पढ़ाई कर चुके हैं. अमेरिका के वेर्मोन्ट के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल ट्रेनिंग से पीस स्कॉलरशिप होल्डर भी रहे.

यूथ एक्टिविस्ट और लीडर के तौर पर कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहते हैं.

पिछले साल आर्टिकल 370 रद्द होने के बाद वहीद 6 महीने तक हिरासत में रहे, रिहा होने के बाद घर में नजरबंद रहे. 20 दिसंबर को NIA कोर्ट ने उनकी न्यायिक रिमांड 30 दिन और बढ़ाने का फैसला सुनाया है.

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