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लखीमपुर खीरी हिंसा: SC की UP पुलिस को फिर फटकार, रिटायर जज से जांच का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लखीमपुर खीरी में दो तरह से हत्याएं हुई हैं.

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच पर यूपी पुलिस को फिर से फटकार लगाई है. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को बताया कि चार्जशीट दाखिल होने तक वह दिन-प्रतिदिन की जांच की निगरानी के लिए एक रिटायर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को नियुक्त करने के लिए इच्छुक है. मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन्ना की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने एक वकील से कहा, "हम मामले में निष्पक्षता लाने की कोशिश कर रहे हैं.."

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शुरुआत में, मुख्य न्यायाधीश ने उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे से कहा, "स्टेटस रिपोर्ट में कुछ भी नहीं है, हमने 10 दिन का समय दिया है .लैब रिपोर्ट अब तक नहीं आई है, यह हमारी अपेक्षा के अनुरूप नहीं है. "

अदालत ने साल्वे से पूछा कि मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को छोड़कर लखीमपुर खीरी कांड के सभी आरोपियों के मोबाइल फोन जब्त क्यों नहीं किए गए? जस्टिस कोहली ने विशेष रूप से पूछा कि क्या यह सरकार का रुख है कि अन्य आरोपी सेल फोन का इस्तेमाल नहीं करते थे?

साल्वे ने कहा कि मामले में कुल 16 आरोपी थे, जिनमें से तीन की मौत हो गई और 13 को गिरफ्तार कर लिया गया. कोहली ने पूछा, "13 आरोपियों में से एक आरोपी का मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया है?"

अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि प्रदर्शन कर रहे किसानों को वाहन से कुचलने और आरोपियों की पीट-पीट कर हत्या करने की दोनों घटनाओं की निष्पक्षता से जांच होनी चाहिए. कोर्ट ने कहा

ऐसा लग रहा है कि एक विशेष तरीके से गवाहों के बयान दर्ज करके एक विशेष आरोपी को फायदा पहुंचाया जा रहा है

जस्टिस कांत ने कहा, "हमें जो प्रतीत होता है वह यह है कि एसआईटी प्राथमिकी (एक जहां किसानों को कार से कुचला गया और अन्य आरोपी मारे गए) के बीच अंतर बनाए रखने में असमर्थ है .. यह महत्वपूर्ण है कि 219 और 220 (एफआईआर) में सबूत सुनिश्चित करने के लिए इसे स्वतंत्र रूप से दर्ज किया जाए.

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