ADVERTISEMENTREMOVE AD

'अब 'मोनू भैया' बाहर आ गए हैं...', लखीमपुर हिंसा के गवाह पर कैसे हमला किया गया?

एफआईआर में लिखा है कि हमलावरों ने लखीमपुर हिंसा के सभी गवाहों को जान से मारने की धमकी भी दी.

Published
भारत
3 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

16 मार्च को लखीमपुर हिंसा मामले में गवाहों की सुरक्षा को लेकर भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने उत्तर प्रदेश राज्य के वकील से कहा, "देखिए गवाहों की रक्षा दी जाए." चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने लखीमपुर खीरी मामले में एक "संरक्षित गवाह" पर हमले के आरोपों का विस्तृत जवाब देने के लिए भी कहा है.

लखीमपुर खीरी हिंसा के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया और जवाब दाखिल करने को कहा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
इस मामले पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सुनवाई की अगली तारीख गुरुवार 24 मार्च तय की है.

11 मार्च को वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि उत्तर प्रदेश राज्य में भारतीय जनता पार्टी की जीत के लगभग तुरंत बाद, 10 मार्च की शाम को लखीमपुर खीरी हिंसा केस में एक संरक्षित गवाह पर हमला हुआ था. गवाह ने अपने शिकायत में आरोप लगाया था कि हमलावरों ने कहा था कि "हमारे मोनू भैया (आरोपी आशीषा मिश्रा का घरेलू नाम) अब बाहर हैं, वह तुम सभी को सबक सिखाएंगे". उन्होंने यह भी कथित तौर पर कहा था:

"अब हमारी बीजेपी सत्ता में है, देखो अब तुम्हारे साथ क्या करते हैं."
0

क्या लिखा है एफआईआर में?

प्राथमिकी के मुताबिक घटना 10 मार्च की रात करीब साढ़े आठ बजे की है. गवाह पेशे से किसान है और वो अपना गन्ना एक कारखाने में जमा करने जा रहा था. यह ध्यान देने वाली बात है कि इस किसान सहित कई गवाहों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सुरक्षा प्रदान की गई है. एफआईआर के मुताबिक जब भीड़ ने उनपर कथित रूप से रोका और उनके ट्रैक्टर को घेर लिया तब गवाह के साथ एक गनमैन और एक कांस्टेबल भी था. गवाह ने पुलिस को बताया,

"जब लोगों ने मेरे ट्रैक्टर के आसपास भीड़ लगानी शुरू कर दी, तो बंदूकधारी ट्रैक्टर से नीचे उतर गया और भीड़ तो समझाने की कोशिश की."

किसान की प्राथमिकी के मुताबिक, तभी एक हमलावर को "मुझपर बेल्ट से हमला करने और मेरा सिर फोड़ने का मौका मिला. हमले में मेरे कपड़े भी फाड़ दिए गए.”

एफआईआर में आगे लिखा है कि हमलावरों ने सभी गवाहों को जान से मारने की धमकी भी दी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्राथमिकी लखीमपुर खीरी के तिकोनिया पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी, और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147 (दंगा), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया था. प्राथमिकी में जिन पांच आरोपियों के नाम शामिल हैं, उनमें अशोक, रामू, मुन्नालाल, अनिल त्रिवेदी और पवन शामिल हैं. उन सभी पांचों को गिरफ्तार कर लिया गया है, पुलिस के सूत्रों ने द क्विंट को इसकी पुष्टि की है.

क्या है पूरा मामला?

3 अक्टूबर, 2021 को यूपी के लखीमपुर खीरी में कारों के काफिले की चपेट में आने से चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी. केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा (जिसकी कार काफिले का हिस्सा थी) पर हत्या का आरोप लगा था. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मिश्रा की जमानत के आदेश को चुनौती देते हुए, वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि आरोपी का राज्य सरकार पर काफी प्रभाव है क्योंकि वह उसी राजनीतिक दल से हैं जिनकी राज्य में सरकार है.

मिश्रा को जमानत देते हुए, हाई कोर्ट ने कहा था, "इस बात की संभावना हो सकती है कि चालक ने खुद को बचाने के लिए वाहन को तेज करने की कोशिश की, जिसके कारण यह घटना हुई थी.

बता दें कि याचिका में कहा गया है कि पीड़ित परिवार के सदस्यों को शीर्ष अदालत का रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उत्तर प्रदेश मिश्रा को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली अपील दायर करने में विफल रहा है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×