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जेल से लालू यादव का खुला खत, बहुजन-दलितों से की ये इमोशनल अपील

लालू ने लिखा, ‘मैं कैद में हूं, मेरे विचार नहीं’

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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद यादव ने बिहार वासियों के नाम खुला खत लिखा है. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद लालू का दर्द सोशल मीडिया पर छलक पड़ा.

लालू ने खत शेयर करने के साथ लिखा है-

44 सालों में पहला चुनाव है, जिसमें आपके बीच नहीं हूं. चुनावी उत्सव में आप सबों के दर्शन नहीं होने का अफसोस है. आपकी कमी खल रही है इसलिए जेल से ही आप सबों के नाम पत्र लिखा है. आशा है आप इसे पढ़ियेगा और लोकतंत्र और संविधान को बचाइयेगा. जय हिंद, जय भारत.‬

लालू प्रसाद यादव ने चिट्ठी में क्या कहा, ये सुनिए

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‘मैं कैद में हूं, मेरे विचार नहीं’

लालू ने खत में लिखा है, 'इस वक्त बिहार एक नई गाथा लिखने जा रहा है. लोकतंत्र का उत्सव चल रहा है. यहां रांची के अस्पताल में अकेले में बैठकर सोच रहा हूं कि क्या विध्वंसकारी शक्तियां मुझे इस तरह कैद कराके बिहार में फिर किसी षड़यंत्र की पठकथा लिखने में सफळ हो पाएंगी? मेरे रहते मेरे बिहारवासियों के साथ मैं फिर से धोखा नहीं होने दूंगा. मैं कैद में हूं, मेरे विचार नहीं. अपने विचारों को साझा कर रहा हूं, क्योंकि एक दूसरे से विचारों को साझा करके ही हम इन बांटने वाली ताकतों से लड़ सकते हैं.'

‘इस चुनाव में सबकुछ दांव पर है, लड़ाई आर-पार की है’

लालू ने लिखा है, ‘रांची के अस्पताल में अभी शाम में अकेले बैठकर आप लोगों से बात करने का मन हुआ. जैसाकि आप सब जानते ही हैं लोकसभा चुनाव का बिगुल फुक चुका है. देश में बहुत बार चुनाव हुआ है पर इस बार का चुनाव पहले जैसा नहीं है. इस बार के चुनाव में सब कुछ दांव पर है, देश, समाज, लालू यानी आपका बराबरी से सिर उठाकर चलने का जज्बा देने वाला और आपके हक और आपकी इज्जत और गरिमा सब दांव पर है. लड़ाई आर-पार की है. मेरे गले में सरकार और चालबाजों का फंदा कसा हुआ है उम्र के साथ शरीर साथ नहीं दे रहा पर आन और आबरू की लड़ाई में लालू की ललकार हमेशा रहेगा. ई ललकार हमारे सिपाहियों के दम पर है, जो हार में जीत में हर हाल में मैदान में डटने वाला रहा है पीठ दिखाकर भागने वाला नहीं.’

आरजेडी अध्यक्ष ने लिखा है-

ये लड़ाई देश तोड़ने वाले लोगों के खिलाफ ङै, संविधान में दिए हक की हिफाजत की लड़ाई है. आरक्षण और संविधान विरोधी नरेंद्र मोदी को खदेड़ने की लड़ाई में करो या मरो वाले जज्बे की जरूरत है. हर आदमी को लालू बनना होगा, उसकी तरह डटना होगा और लालू की तरह लड़ना होगा. सामने चाहे कितनी भी मुश्किल हो, डर हो धमकी हो, लालच हो, खतरा हो डटकर लड़ना होगा और गरीब-गुरबों की मान-प्रतिष्ठा बचानी होगी.
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खत में दलित उत्पीड़न का जिक्र

लालू ने अपने खत में रोहित वेमुला का जिक्र करते हुए दलितों का मुद्दा भी उठाया है. उन्होंने लिखा-

मोदी सरकार ने आपके आरक्षण को खत्म करने की कोशिश की. हमारे रोहित वेमुला जैसे दलित बेटे को प्रताड़ित कर आत्महत्या करने को मजबूर किया गया. दलित उत्पीड़न को बढ़ावा दिया गया. दलितों और अनुसूचित जाति पर उत्पीड़न के कानून को कमजोर करने की कोशिश की गई. मैं बीमार और परेशान रहकर भी लगातार नजर बनाए हुए था. आपको याद रखना है कि गुरु गोलवलकर के चेले लोग आप दलित बहुजन को मिटाने की हर संभव कोशिश करेंगे. जागते रहना है और बाबा साहब और महात्मा फुले का अलख जगाते हुए इन्हें दिल्ली से खदेड़ना है.
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‘बीमारी और कानून का फंदा लालू की हिम्मत नहीं तोड़ पा रहे’

लालू यादव ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए लिखा है, 'ये सरकार नौटंकी सरकार है. कभी देश में खतरा, कभी हिंदू खतरे में, कभी अर्थव्यवस्था खतरे में, के नाम पर लोगों को गुलाम बनाकर रखना चाहता है. आप दलित बहुजन को कहा जाता है कि कुछ सोचो समझो मत, सिर्फ गुलाम की तरह हमारा हुकुम बजाओ. आप क्या खाइएगा, क्या पहनिएगा, ई दोस्त है, ई दुष्ट है, सब साहब तय करेंगे.'

लालू ने लिखा-

ई सरकार मुंह में राम, बगल में छुरी वाली सरकार है. निशाचर लोगों की सरकार है. रात में जब आप सोए रहते हैं, तो ये हमला करता है और आपकी मति फेर कर आपको अपने ही खिलाफ काम करने पर मजबूर कर देता है. मायावी राक्षस की तरह आपस में लड़ाई करने वाली सरकार है. कौन लकड़ी सुंघा देते हैं कि भाई की तरह कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने वाला आदमी आपका खून पीने के लिए तैयार हो जाता है. हमको भी अपने मायाजाल में लपेटकर तोड़ने की जी तोड़ कोशिश किया ये लोग. जाल डाल के भी काबू नहीं कर पा रहे. बार-बार जेल में रखकर हिम्मत तोड़ने की कोशइश. लाख तरह की बीमारी और कानून का फंदा के बाद भी लालू की हिम्मत को नहीं तोड़ पा रहे हैं. 
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‘देश-समाज की मान मर्यादा के लिए ये जंग जारी रहेगी’

लालू ने खत में लिखा है कि देश और समाज के लिए अगर उन्हें गुरु गोविंद के बच्चे की तरह दीवार में चिनवा भी दिया जाए, तो भी उनकी जंग जारी रहेगी. लालू ने दलित समाज को चेताते हुए लिखा है-

देश संविधान की बात तो सब लोग आपको बता ही रहे हैं. लेकिन उससे जरूरी बात ये है कि अगर ये दलित बहुजन विरोधी लोग दोबारा हेर फेर से वापस आ गए तो देश में आपकी हैसियत क्या रहेगी? ये आफके उठने-बैठने से लेकर आपकी पहचान को फिर से तीस-पैंतीस साल पुरानी स्थिति में धकेलना चाहेंगे. आपका मान-मर्यादा के साथ रहना और बिना भय अपनी बात रखना इनको फूटी आंख नहीं सुहाता. आपने कुदाल फावड़ा और गैंती छोड़कर कलम पकड़ना शुरू किया ये उन्हें हजम नहीं हो रहा है. आप पटना और दिल्ली की सत्ता में आबादी के आधार पर अपनी हिस्सेदारी मांगते हैं तो ये परेशान हो जाते हैं.
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'अगर अब चूके तो हमेशा के लिए चूक जाइएगा'

लालू ने चेताते हुए लिखा है कि इस बार का चुनाव सरकार और गद्दार दोनों को पहचानने का है. उन्होंने लिखा है-

अगर इस बार चूक गए तो हमेशा के लिए चूक जाइएगा. हमारे गरीब गुरबा लोग जो मंडलजी, कुशवाहाजी, यादवजी, बिन्दजी, सहनीजी, पासवानजी, मांझीजी कहाने लगे थे, वो फिर से अशोभनीय जाति-सूचक नामों से पुकारे जाएंगे. इस बार दुश्मन आपकी ताकत को तौल रहा है कभी बिना दस्तावेज और सर्वेक्षण के सवर्णों को आरक्षण देकर, कभी रोस्टर सिस्टम को बदलकर या फिर अनुसूचित जाति/जनजाति पर उत्पीड़न के कानून को कमजोर करके. 

लालू ने लिखा ये समय दोस्त और दुश्मन दोनों को पहचानने का है और साथ जुटकर लड़ने का है. लालू ने लिखा है, "देश को खेत समझिए और जानिए कि अगर अपना समाज खेत बचा लेगा तो फसल फिर लगेगी औऱ बराबरी से सब दलित बहुजन की भागीदारी होगी.'

लालू ने दलित बहुजन समाज से एकजुट होकर केंद्र की मौजूदा सरकार के खिलाफ वोट करने की अपील की है.

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