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मायावती बोलीं,कश्मीर में विधानसभा चुनाव न कराना बचकाना बहाना 

मायावती ने कहा, जब कश्मीर में सुरक्षा बल लोकसभा चुनाव करा सकते तो वही विधानसभा चुनाव क्यों नहीं करा सकते

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जम्मू-कश्मीर में हुई हालिया घटनाओं की वजह से सूबे के विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनावों के साथ नहीं होंगे. रविवार को लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान करते वक्त आयोग ने ये साफ कर दिया.बीएसपी चीफ मायावती ने इस मामले में सरकार पर करारा वार किया है.

सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने इस पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि पीएम मोदी ने राष्ट्र विरोधी ताकतों के आगे सरेंडर कर दिया है. फिलहाल जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू है.

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा, ‘जम्मू-कश्मीर में विधानसभा न कराने कि विफलता के बाद मैं अपने पुराने ट्वीट रिट्वीट करूंगा. पीएम मोदी ने पाकिस्तान, आतंकवादी और हुर्रियत के सामने सरेंडर कर दिया है. बहुत खूब मोदी साहब. 56 इंच का सीना फेल हो गया.’

अब्दुल्ला ने कहा, ‘पीएम का सरेंडर शर्मनाक’

अबदुल्ला ने लिखा कि बालाकोट और उरी पीएम मोदी के नेशनल सिक्योरिटी को हैंडल करने का सिंबल नहीं है, जम्मू-कश्मीर है और देखिए उन्होंने वहां क्या गड़बड़ कर दी है. राष्ट्र विरोधी ताकतों के सामने पीएम का सरेंडर शर्मनाक है.

उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा, 'जम्मू-कश्मीर में 1996 विधानसभा चुनावों के बाद पहली बार चुनाव सही समय पर नहीं हो रहे हैं. अगली बार पीएम मोदी की मजबूत लीडरशिप की तारीफ करने से पहले ये जरूर याद रखें.'

अब्दुल्ला ने आगे लिखा, '2014 में बाढ़ के बावजूद लोकसभा और विधानसभा चुनाव समय पर हुए थे. दिखाता है कि बीजेपी और पीडीपी-बीजेपी गठबंधन ने किस तरह से जम्मू-कश्मीर के साथ क्या किया.'

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव पर आतंकी घटनाओं का साया

सुनील अरोड़ा ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनावों के साथ विधानसभा चुनाव नहीं करवाए जाएंगे.

हाल ही में चुनाव आयोग ने मीटिंग की है. राज्य सरकार, गृह मंत्रालय और राजनीतिक पार्टियों से मिले इनपुट के बाद ये फैसला लिया गया है. सुरक्षा बलों की कमी और हालिया घटनाओं को देखते हुए विधानसभा चुनाव नहीं करवाए जा रहे.
सुनील अरोड़ा, मुख्य चुनाव आयुक्त

सुनील अरोड़ा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के हालात पर नजर रखने के लिए ऑब्जर्वर का एक पैनल किया जाएगा.

जम्मू-कश्मीर में फिल्हाल राष्ट्रपति शासन है. राज्य में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन टूटने के बाद मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद राज्यपाल शासन लागू किया गया था. इसके बाद जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया.

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“टाइम खरीदने की रणनीति”

जम्मू-कश्मीर में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव न कराने पर महबूबा मुफ्ती ने भी गुस्सा जाहिर किया. पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष ने ट्विटर पर लिखा, 'जम्मू-कश्मीर में सिर्फ लोकसभा चुनाव कराने का निर्णय, सरकार के भयावह डिजाइन को कंफर्म करता है. लोगों को सरकार का चुनाव नहीं करने देना लोकतंत्र के विचार का विरोधी है. ये लोगों को अलग करने के लिए समय खरीदने की रणनीति भी है.'

14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से जम्मू-कश्मीर में तनाव जारी है.

उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने जहां जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव न कराने पर सरकार पर निशाना साधा, वहीं सरकार की तरफ से अभी तक इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. चुनाव तारीखों के ऐलान पर पीएम मोदी ने कहा कि लोकतंत्र का पर्व चुनाव आ गया है.

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