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नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पास, मोदी ने की शाह की तारीफ  

बिल के पक्ष में 311 वोट पड़े, जबकि 80 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट दिया.

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भारत
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विपक्ष के भारी हंगामे और विरोध के बाद आखिरकार देर रात लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को पास कर दिया गया. इस बिल के पक्ष में 311 वोट पड़े, जबकि 80 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट दिया. अब इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा. इस बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रस्ताव है. बिल पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी और सहयोगी पार्टियों सांसदों का धन्यवाद देते हुए अमित शाह की तारीफ भी की.

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बिल के पक्ष में पड़े 311 वोट

लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर विपक्षी नेताओं की ओर से उठाए गए सवालों का गृहमंत्री अमित शाह ने एक-एक कर जवाब दिया. इसके बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि गृहमंत्री की ओर से सारे सवालों का जवाब दिया गया है और सभी बिदुओं को स्पष्ट किया जा चुका है, इसके बाद नहीं लगता है कि किसी को कोई भ्रम रह गया होगा. इसके बाद स्पीकर ने बिल को लेकर बारी-बारी से विपक्षी नेताओं की ओर से जताई गई आपत्तियों पर मौखिक वोटिंग कराकर उसे क्लियर कराया. सारी अपत्ति खारिज होने के बाद विधेयक पर वोटिंग कराई गई. इसके बाद वोटिंग नतीजों के आधार पर स्पीकर ने नागरिकता संशोधन बिल 2019 को पास करने का ऐलान कर दिया. विधेयक के पक्ष में 311 और विपक्ष में 80 वोट पड़े.

बिल के पक्ष में 311 वोट पड़े, जबकि 80 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट दिया.
बिल पारित होने के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के प्रताड़ित गैर मुस्लिमों को सम्मान प्रदान करेगा, और यह यह विधेयक प्रताड़ना का सामना करने वालों को अपना जीवन फिर से संवारने का अवसर देगा. शाह ने ट्वीट करके विधेयक को वास्तविकता में लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार भी जताया.   

शाह ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस ऐतिहासिक नागरिकता संशोधन विधेयक को वास्तविकता बनाने के लिए आभार प्रकट करता हूं जो भारत को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए उन अल्पसंख्यकों के लिए दरवाजे खोलने की अनुमति देगा जो धार्मिक प्रताड़ना का सामना कर रहे हैं. मैं विधेयक को समर्थन देने वाले प्रत्येक व्यक्ति का धन्यवाद करता हूं.”

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मोदी ने की शाह की तारीफ

नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पास होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसदों को धन्यवाद दिया और गृहमंत्री अमित शाह की तारीफ की. पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा, “खुशी है कि लोकसभा ने एक गहरे और व्यापक बहस के बाद नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित किया है. मैं विभिन्न सांसदों और पार्टियों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने विधेयक का समर्थन किया. यह विधेयक भारत के सदियों पुराने लोकाचार और मानवीय मूल्यों में भरोसे के अनुरूप है.”

एक अन्य ट्वीट में पीएम मोदी ने कहा, 'मैं खास तौर से गृह मंत्री की तारीफ करना चाहूंगा. अमित शाह जी ने नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 के सभी पहलुओं को स्पष्ट रूप से समझाया. उन्होंने लोकसभा में चर्चा के दौरान संबंधित सांसदों द्वारा उठाए गए विभिन्न बिंदुओं के विस्तृत जवाब भी दिए.'

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बिल के पक्ष में 311 वोट पड़े, जबकि 80 सांसदों ने इसके खिलाफ वोट दिया.
लोकसभा में सवालों का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह
(फोटो: PTI)

अमित शाह लोकसभा में क्या-क्या कहा

विपक्षी सांसदों की ओर से उठाए गए आपत्तियों और सवालों का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन बिल को लेकर मुख्य तौर पर ये बातें कही -

  • ये बिल लाखों-करोडों शरणार्थियों को उनके नरकीय जीवन से मुक्ति दिलाने जा रहा है.
  • बिल को लेकर जो भी भ्रांतियां फैलाने की कोशिश की जा रही है, मैं नहीं चाहता कि देश के किसी कोने में कोई भ्रांति फैले.
  • मनीष तिवारी ने आर्टिकल 14 का हवाला देते हुए इस बिल को असंवैधानिक करार दिया. मैं कहना चाहता हूं कि किसी भी एंगल से ये बिल असंवैधानिक नहीं है औऱ ना ही ये आर्टिकल 14 का उल्लंघन करता है.
  • धर्म के आधार पर देश का विभाजन हुआ. जिस हिस्से में मुस्लिम भाई ज्यादा रहते थे, उसे पाकिस्तान बनाया गया, बाकी बचा हिस्सा भारत बना रहा.
  • 1950 में दिल्ली में नेहरू लियाकत समझौता हुआ. इस समझौते में तय किया गया कि दोनों देश अपने अल्पसंख्यकों का ख्याल रखेंगे.
  • सरकार जो बिल लाई है उसकी पृष्ठभूमि है. दोनों देशों के बीच अल्पसंख्यकों का ध्यान रखने की बात हुई थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. नेहरू-लियाकत समझौता धरा का धरा रह गया.
  • जिन राज्यों के शरणार्थियों को नागरिकता देने की बात हो रही है, उनके राष्ट्रीय धर्म इस्लाम है. ये बताना इसलिए जरूरी है कि वहां अल्पसंख्यकों को न्याय मिलने की संभावना इसी से कमजोर हो जाती है.
  • 1947 में पाकिस्तान के अंदर अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी और 2011 में 3.7 प्रतिशत हो गई.
  • बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत थी, 2011 में 7.8 प्रतिशत हो गई.
  • आखिर कहां गए ये लोग, या इनका धर्म परिवर्तन कर दिया गया. या इन्हें प्रताड़ित करके भगा दिया गया.
  • जो लोग इस बिल का विरोध कर रहे हैं मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि इन अल्पसंख्यकों का कसूर क्या था, हिंदू, सिख, बौद्ध, ईसाई, जैन, पारसी इनका दोष क्या है. इन लोगों को वहां कमजोर कर दिया गया. हम चाहते हैं कि उनका अस्तित्व बना रहे और वो सम्मान से जी सकें.
  • भारत के अंदर 1991 में 94 फीसदी हिंदू थे, और 2011 में ये घटकर 79 फीसदी रह गया. यहां पर आबादी नहीं बढ़ी. लेकिन उन देशों में आबादी बढ़ी.
  • 1951 में यहां मुसलमान 9.8 फीसदी था, आज 14.23 फीसदी है. हमने किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया. मैं विश्वास दिलाना चाहता हूं कि आगे भी धर्म के आधार पर भारत में भेदभाव नहीं होगा. लेकिन धर्म के आधार पर पड़ोसी मुल्क में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है, तो भारत मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकता. उनको बचाना पड़ेगा, उनको स्वीकार करना पड़ेगा.
  • आर्टिकल 14 में कहा गया है कि जिसमें समानता का अधिकार न हो, ऐसा कानून संसद नहीं बना सकती. मैं मानता हूं, लेकिन ये किसी एक धर्म के लिए नहीं हुआ है, ये अल्पसंख्यकों के लिए हुआ है. हिंदु, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई ये सभी अल्पसंख्यकों के लिए हुआ है. इसमें अगर किसी एक धर्म के लिए करते तो आर्टिकल 14 आड़े आता.
  • ये बिल किसी भी धर्म के प्रति भेदभाव पूर्ण नहीं है. ये बिल तीन देशों में प्रताड़ित लोगों के लिए है, ये शरणार्थियों के लिए है. जो भागकर शरण में आया है. उसे घुसपैठिया नहीं कह सकते. वो शरणार्थी है.
  • ये बिल संवैधानिक रूप से बिल्कुल सही है. ये बिल किसी भी आर्टिकल का उल्लंघन नहीं करता है.
  • पारसियों को जब ईरान से भगाया गया, जब उनका धर्म खतरे में आया तब भारत ने उन्हें शरण दी.
  • लम्हों ने खता की थी, सदियों ने सजा पाई. लेकिन ये मोदी सरकार है, अब न लम्हों की खता होगी, न सदियों तक सजा होगी.
  • जिन्ना ने टू नेशन थ्योरी दी थी, तो कांग्रेस ने इसे स्वीकार क्यों किया? कांग्रेस ने धर्म के आधार पर विभाजन को स्वीकार किया था. ये ऐतिहासिक सत्य है, जिसे कोई नकार नहीं सकता.
  • रोहिंग्याओं को कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा, ये मैं आज फिर कह रहा हूं
  • मैं इस सदन को फिर से आश्वस्त करना चाहता हूं कि जब हम NRC लेकर आएंगे, एक भी घुसपैठिया इस देश के अंदर नहीं रहेगा.

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