इन्वेस्टर्स समिट के करीब पांच महीने बाद लखनऊ में फिर से उद्योगपतियों का मेला लगा है. उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मेगा इवेंट को ‘ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी’ का नाम दिया है. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 60 हजार करोड़ रुपये की 81 योजनाओं का शिलान्यास कर रहे हैं.
28 और 29 जुलाई यानी दो दिन होने वाले इस समारोह में रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी सहित देश के कई बड़े उद्योगपति शामिल हो रहे हैं. लिहाजा लखनऊ को दुल्हन की तरह सजाया गया है.
हिंदुत्व और विकास का कॉकटेल: 2019 की तैयारी
‘ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी’ में सबसे अधिक निवेश करने वाली दस कंपनियों में सात आईटी सेक्टर की हैं. रिलायंस जिओ और वर्ल्ड ट्रेड सेंटर दस हजार करोड़ रुपये की लागत वाली अपनी-अपनी योजनाओं का शुभारंभ करेंगी. इनके अलावा तीन कंपनियां टेग्ना इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड, इंफोसिस लिमिटेड और बीएसएनएल पांच-पांच हजार करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही हैं.
वन नाइन सेवन कम्युनिकेशन लिमिटेड 3500 करोड़ रुपये करने जा रही है. टीसीएस भी 2300 करोड़ रुपये निवेश करेगी. इन सभी योजनाओं का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस कार्यक्रम को लेकर काफी उत्साहित हैं. उन्हें मालूम है कि देश की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है. 2014 में यूपी ने अकेले ही बीजेपी को 73 सीटें दी थी. 2017 के विधानसभा में बीजेपी को पूर्ण बहुमत देकर सत्ता में पहुंचाया है.
अगर जमीनी स्तर पर ठोस बदलाव नहीं होगा, तो अगले साल होने वाले चुनाव में लेने के देने पड़ सकते हैं. इसकी एक बानगी हाल में हुए उपचुनाव में मिल चुकी है. बीजेपी के हाथ से लोकसभा की तीन सीटें निकल चुकी हैं. नूरपुर विधानसभा में बीजेपी को करारी हार मिली थी. इसलिए जनता को कुछ ठोस देना होगा.
ग्राउंड सेरमनी से यूपी को कई संदेश
ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के जरिए मोदी और योगी जनता को यह बताना चाहते हैं कि वो दोनों उत्तर प्रदेश को बड़ी औद्योगिक शक्ति बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इसीलिए गो और गंगा के साथ साथ विकास की तस्वीर भी पेश की जा रही है. आयोजन पूरी तरह कामयाब रहे इसके लिए तमाम बड़ी कंपनियों के मालिकों और आला अधिकारियों को आने का न्योता दिया गया है.
सरकार के दावों के मुताबिक, रिलायंस ग्रुप के चैयरमैन मुकेश अंबानी, अडानी ग्रुप के मालिक गौतम अडानी, कुमारमंगलम बिड़ला, टीसीएस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन, एस्सेल ग्रुप चेयरमैन सुभाष चंद्रा, एचसीएल चेयरमैन शिव नादर और भारती इंटरप्राइजेज के चेयरमैन सुनील मित्तल इस कार्यक्रम में शामिल होंगे.
सवाल प्रधानमंत्री की साख का है और नजर 2019 के चुनाव पर है, इसलिए समारोह की तैयारियों की निगरानी खुद मुख्यमंत्री ने किया. इसके लिए दिल्ली से 26 अफसर भी बुलाये गए हैं.
बीजेपी सरकार अच्छी तरह से वाकिफ हैं कि सिर्फ हिंदू कार्ड से 2019 की नैया पार नहीं की जा सकती. इसके लिए विकास के मॉडल की गंभीरता दिखानी होगी और ऐसा हुआ भी. आपको याद होगा कि बीते कुछ महीने पहले पतंजलि और UP सरकार के बीच विवाद हुआ था. इस मामले में कानूनी दांव-पेच की लेटलतीफी से नाराज पतंजलि ने प्रदेश छोड़ने की धमकी दी थी. इसके तुरंत बाद उम्मीद से ज्यादा फूर्ती में दिखाते हुए योगी सरकार ने कैबिनेट बैठक कर पतंजलि का मामला खत्म किया था.
जिन योजनाओं को जमीन पर आना है, उनमें सबसे ज्यादा वेस्टर्न यूपी के लिए हैं. नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद समेत पश्चिमी यूपी के लिए 53 फीसदी प्रस्ताव हैं. मध्य यूपी की हिस्सेदारी 21 फीसदी और पूर्वांचल की 23 फीसदी है. वहीं बुंदेलखंड में सिर्फ तीन फीसदी ही योजनाएं है.
इन्वेस्टर्स समिट में 1045 एमओयू साइन हुए
बीते फरवरी महीने में इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन हुआ था. उसमें कई देशों से करीब 6 हजार लोगों ने हिस्सा लिया था. दो दिनों के उस सम्मेलन में 1,045 समझौते हुए थे. इनके जरिए उत्तर प्रदेश में 4.28 लाख करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया गया.
योगी सरकार का दावा है कि इन योजनाओं से प्रदेश में करीब 33 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. जब इतने बड़े पैमाने पर यहीं रोजगार के अवसर खुलेंगे तो युवाओं का पलायन रुकेगा. इन्वेस्टर्स समिट के कामयाब आयोजन की वजह से आईडीसी अनूप चंद्र पांडेय को प्रदेश का मुख्य सचिव बनाया गया है.
विपक्ष का मत: जनता के पैसे से हो रही है चुनावी ब्रांडिंग
इन्वेस्टर्स समिट को लेकर विपक्षी दल एसपी और बीएसपी का कहना है कि बीजेपी सरकार निवेशक सम्मेलन के नाम पर जनता के पैसे की ‘बर्बादी’ कर रही है. उनका कहना है कि इस तरह के आयोजनों का मूल मकसद प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाना नहीं, बल्कि 2019 की चुनाव की तैयारी है.
विपक्षी दलों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी जनता के अरबों रुपये खर्च करके चुनाव प्रचार में जुटे हैं. नाम बदल-बदलकर एक ही तरह का आयोजन बार-बार कर रहे हैं. बीएसपी का यह भी कहना है कि उद्योग-धंधे तभी लगेंगे, जब सूबे की कानून-व्यवस्था ठीक होगी.
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