ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस डेयरी में गोबर से CNG, फिर ऐसे बनती है बिजली

डेयरी से 150 से ज्यादा पशुपालक आर्थिक रूप से मजबूत बन सके

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

गांवों में एक आम सी कहावत है कि गाय-भैंस पालकर सिर्फ दो वक्त का खाना जुटाया जा सकता है, लेकिन अमीर नहीं बना जा सकता है. लेकिन कुछ लोग पशुपालन में हाइटेक तरीकों का इस्तेमाल कर न सिर्फ लाखों रुपये कमा रहे हैं, बल्कि हजारों लोगों के लिए उदाहरण भी बन रहे हैं. ऐसे ही एक पशुपालक हैं जयसिंह.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लखनऊ के सरवन गांव निवासी प्रगतिशील पशुपालक जयसिंह डेयरी रोजगार को अपनाकर खुद के रोजगार के साथ ही दूसरे पशुपालकों के लिए भी आय के स्रोत बना रहे हैं. इनकी इस पहल से एक बार फिर क्षेत्र के पशुपालकों में अच्छी कमाई की आस जगने लगी है. वहीं युवा पशुपालकों के लिए ये प्रेरणा के स्रोत भी बन रहे हैं.

पशुपालक जयसिंह बताते हैं कि दूध डेयरी में नवाचारों के माध्यम से वे अच्छा मुनाफा कमा पाने में कामयाब हुए हैं. वर्तमान में उनकी डेयरी के माध्यम से लगभग 150 से ज्यादा पशुपालक आर्थिक रूप से सबल बन रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

राजधानी लखनऊ से करीब 14 किलोमीटर दूर बिजनौर कस्बे से सटा सरवन गांव के रहने वाले जयसिंह छोटे स्तर के पशुपालकों से अच्छी कीमत पर दूध खरीदते हैं और उसे पैक करके बाजार में बेचने का काम करते हैं. इनकी डेयरी गांव में पूरे एक एकड़ में बनी हुई है. जयसिंह बताते हैं कि आस-पास के पशुपालकों से वे उनके दूध का फैट और एसएनएफ देखकर बाजार कीमत से ज्यादा में ही दूध खरीदते हैं .

ADVERTISEMENTREMOVE AD

एक हजार लीटर दूध की खपत

जयसिंह के फार्म में खुद के 150 पशु हैं, जिनमें से 50 गाय और 100 भैंसे शामिल हैं. इनसे प्रतिदिन 500 लीटर दूध का उत्पादन होता है. जबकि 500 लीटर वे दूसरे पशुपालकों से खरीदते हैं. इस दूध को पाश्चराइज करके फिर पैकिंग करके बेचा जाता है. जयसिंह अपने डेयरी संचालन के बारे में बताते हैं कि 140 क्यूब घनमीटर का बॉयोगैस प्लांट उन्होंने डेयरी में लगाया है, जिससे सीएनजी (कम्प्रेस नेचुरल गैस) उत्पादित करते हैं.

इस गैस के माध्यम से ही जेनरेटर चलाकर वो 24 घंटे बिजली पैदा करते हैं. इस बिजली के माध्यम से ही डेयरी में लगे उपकरण संचालित किए जाते हैं. साथ ही पास के नर्सिंग कॉलेज में भी बिजली देते हैं, जिससे इस कार्य में लगने वाला उनका खर्चा भी निकल आता है. 

यही नहीं इस बिजली से ही इन्होंने आटा चक्की भी स्थापित कर रखी है, जिससे पूरे गांव का आटा पीसा जाता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बायोगैस के लिए सब्सिडी का फायदा

कृषि विभाग की तरफ से बायोगैस प्लांट प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए किसानों को सब्सिडी दी जाती है. इसका लाभ भी जयसिंह उठाने में कामयाब रहे. वे बताते हैं कि एक प्लांट पर नौ हजार रुपए व एससी किसान को 11 हजार रुपए सब्सिडी दी जाती है. यानी सामान्य किसान को छह घन मीटर का यह प्रोजेक्ट मात्र 26 हजार रुपए व एससी किसान को 24 हजार रुपए का पड़ेगा.

जयसिंह बताते हैं:

“हमारी डेयरी में लगभग 150 पशु हैं, जिनका गोबर पहले बर्बाद होता था. इस प्लांट को लगाने में करीब 22 लाख रुपए का खर्च आया.” 
जयसिंह, पशुपालक

लेकिन गाय और भैंस गोबर के सही इस्तेमाल से अब वे रोल मॉडल बने हुए हैं.

(ये स्‍टोरी 'गांव कनेक्‍शन' वेबसाइट से ली गई है)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×