लखनऊ में होर्डिंग्स को हटाने का आदेश दे दिया गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को लखनऊ में सार्वजनिक स्थलों पर लगाए गए उन होर्डिंग्स को हटाने के आदेश दिए, जिनमें सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल रहे लोगों को कथित तोड़फोड़ और उपद्रव के आरोपी बताते हुए उनके फोटो और पते पब्लिश किए हैं.
सरकार की तानाशाही रुकेगी: दारापुरी
इन होर्डिंग्स में कवि दीपक कबीर, कांग्रेस सदस्य सदफ जफर और रिटायर्ड आईपीएस अफसर एस आर दारापुरी समेत 50 लोगों नाम और पते लिखे गए हैं. फैसला आने के बाद आईपीएस दारापुरी ने कहा है कि इस फैसले के से उम्मीद है कि योगी सरकार की तानाशाही रुकेगी.
सरकार हमें बदनाम करना चाहती थी, आम लोगों में दहशत पैदा करना चाहती है. सरकार हम लोगों की मॉब लिचिंग कराना चाहती. अब हम दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट जाएंगे.एस आर दारापुरी, आईपीएस ऑफिसर
दारापुरी का कहना है कि जब उन्हें CAA विरोधी प्रदर्शनों के वक्त गिरफ्तार किया गया, तो पुलिस कोर्ट में कोई आरोप ही साबित नहीं कर सकी थी. कुल मिलाकर दारापुरी का कहना है कि आंदोलन को और उनके चेहरे को बदनाम करने की साजिश है.
पूरा मामला लोगों में डर पैदा करना था: दीपक कबीर
दीपक कबीर का कहना है कि ये फैसला संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करने वाला फैसला है. जिनके खिलाफ सबूत है कानून उसको सजा दे, लेकिन ये सब करने का क्या औचित्य था.
प्रशासन या सरकार की गलती से हम दुष्चक्र में फंस गए थे. एक भी सबूत नहीं है हमारे खिलाफ लेकिन हमको तमाशे में बदल दिया गया था.
दीपक का कहना है कि पूरा मामला लोगों में डर पैदा करने का था. आगे की बात करते हुए उन्होंने कहा कि अब राज्य सरकार हमारी बात नहीं सुनती तो हमारे पास तो केवल कोर्ट जाने का ही ऑप्शन है.
सदफ जफर ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा है कि जिस तरह से सरकार ने हमें दोषी बनाकर भीड़तंत्र के सामने पेश किया है, वो बेहद खतरनाक है. जफर ने कहा है कि हमारे परिवार और बच्चों की जिंदगी की भी खतरे में डाल दी.
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