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CAA विरोधियों के होर्डिंग को लेकर HC का फैसला- किसने क्या कहा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिए होर्डिंग हटाने के आदेश

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लखनऊ में सीएए विरोधियों के होर्डिंग चौराहों से हटाए जाने के हाईकोर्ट के फैसले का कई नेताओं से स्वागत किया है. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान लखनऊ में हुई हिंसक घटनाओं में सरकारी संपत्तियों को नुकसान हुआ था. जिसके बाद योगी सरकार ने कुछ लोगों के बड़े-बड़े होर्डिंग चौराहों पर लगा दिए थे. इसमें उनकी फोटो के साथ उनके नाम और पते भी लिखे थे.

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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा हाईकोर्ट के फैसले पर कहा कि कोर्ट ने आज यूपी सरकार को जनता के अधिकारों का पाठ पढ़ाया है. यूपी सरकार पर हमला बोलते हुए प्रियंका ने लिखा, “यूपी सरकार को ये कभी नहीं सोचना चाहिए कि कानून उनके हाथ की कठपुतली है.”

होर्डिंग लगाने पर पहले प्रियंका गांधी ने कहा था कि यूपी की बीजेपी सरकार का रवैया ऐसा है कि सरकार के मुखिया और उनके नक्शे कदम पर चलने वाले अधिकारी खुद को बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान से ऊपर समझने लगे हैं.

मायावती ने ट्विटर पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “लखनऊ में सीएए के विरोध में किए गए आंदोलन मामले में हिंसा के आरोपियों के खिलाफ सड़कों/चौराहों पर लगे बड़े-बड़े सरकारी होर्डिंग/पोस्टरों को माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर, उन्हें तत्काल हटाए जाने के आज दिए गए फैसले का बीएसपी स्वागत करती है.”

स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने भी इस आदेश के लिए हाईकोर्ट को शुक्रिया कहा.

हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए रविवार (8 मार्च) को छुट्टी वाले दिन सुनवाई की थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर की अध्यक्षता वाली डिविजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट और मंडल पुलिस आयुक्त से उस कानून के बारे में बताने के लिए कहा था, जिसके तहत ये होर्डिंग्स लगाए गए.

वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने लिखा, “चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा का नागरिकों के अधिकार और संविधान के मूल्यों को बनाए रखने के लिए शुक्रिया.”

सीएम योगी आदित्यनाथ के मीडिया एडवाइजर शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि वो हाईकोर्ट के आदेश की जांच कर रहे हैं. उन्होंने कहा, 'इस बात की जांच की जा रही है कि पोस्टरों को हटाने के लिए किस आधार पर आदेश पास किया गया था. हमारे एक्सपर्ट इसकी जांच कर रहे हैं. सीएम को इसपर फैसला लेना है.

त्रिपाठी ने कहा कि ये सच है कि कोर्ट सबसे ऊपर है, लेकिन अभी कई ऑप्शन हैं. उन्होंने कहा कि क्या करना है ये सरकार तय करेगी, लेकिन संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा.

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