देश आज यानी 26 जनवरी को 74वां गणतंत्र दिवस (Republic Day) मना रहा है, दिल्ली के कर्तव्य पथ पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तिरंगा झंडा फहराएंगी. लेकिन क्या आपको पता है कि तिरंगा झंडा आखिर कहां तैयार होता है?
जवाब है ग्वालियार. आजादी के बाद ग्वालियर आजाद हिंदुस्तान की शान कहे जाने वाले तिरंगे का निर्माण करके अभी भी पूरे देश में अपना नाम रोशन किए हुए है. देश भर के शासकीय और अशासकीय कार्यालयों के साथ कई मंत्रालयों पर लहराने वाला तिरंगे झंडे ग्वालियर शहर में तैयार होते हैं. तिरंगों को ग्वालियर में स्थित देश का दूसरा और उत्तर भारत का इकलौता मध्य भारत खादी संघ बना रहा है.
खास बात यह है जब भी देश के किसी कोने में तिरंगा फहराया जाता है, तब ग्वालियर का जिक्र सभी की जुबान पर होता है. क्योंकि ग्वालियर में स्थित मध्य भारत खादी संघ उत्तर भारत में इकलौती ऐसी संस्था है जो तरंगों का निर्माण करती है. यहां जमीनी प्रक्रिया से लेकर तिरंगे में डोरी लगाने तक का काम किया जाता है.
9 मानकों पर खरा उतरने के बाद आकार लेता है तिरंगा
(फोटो- क्विंट हिंदी)
16 राज्यों में जाते हैं ग्वालियर में बने तिरंगे
आईएसआई तिरंगे देश में कर्नाटक के हुगली और ग्वालियर के केंद्र में ही बनाए जाते हैं. इन दिनों यूनिट में 26 जनवरी के लिए तिरंगे तैयार किए जा रहे हैं. यहां बनने वाले तिरंगे मध्य प्रदेश के अलावा बिहार, राजस्थान उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात सहित 16 राज्यों में पहुंचाए जाते हैं.इसके अलावा देश के अलग-अलग शहरों में स्थित आर्मी की सभी इमारतों पर ग्वालियर में बने तिरंगे शान बढ़ाते हैं.
9 मानकों पर खरा उतरने के बाद आकार लेता है तिरंगा
मध्य भारत खादी संघ में राष्ट्रीय ध्वज निर्माण इकाई की प्रमुख नीलू का कहना है कि वर्तमान में यहां अलग-अलग कैटेगरी में तिरंगे तैयार किए जा रहे हैं. इस संस्था के द्वारा तिरंगा बनाने के लिए तय मानकों का विशेष ख्याल रखा जाता है जिसमें कपड़े की क्वालिटी,चक्र का साइज, रंग जैसे मानक शामिल हैं.
तिरंगा के तैयार करते कारिगर
(फोटो- क्विंट हिंदी)
इसके साथ ही लैब में इन सभी चीजों का टेस्ट किया जाता है. मानकों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय ध्वज तैयार होता है.
मध्य भारत खादी संघ संस्था द्वारा किसी भी आकार के तिरंगे को तैयार करने में उनकी टीम को 5 से 6 दिन का समय लगता है. लैब में ट्रैकिंग के बाद जब राष्ट्रीय ध्वज पूरी तरह तैयार हो जाता है उसके बाद ही उसे बाहर निकाला जाता है.
मध्य भारत खादी संघ के मंत्री रमाकांत शर्मा का कहना है, "मध्य भारत खाद्य संघ की स्थापना साल 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी. साल 1956 में मध्य भारत खादी संघ को आयोग का दर्जा मिला और उसके बाद साल 2016 से यह संस्था आईएसआई प्रमाणित राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण कर रही है. यह उत्तर भारत की पहली ऐसी संस्था है जो तिरंगे का निर्माण करती है."
22 हजार तिरंगे का हुआ निर्माण
मध्य भारत खादी संघ के पदाधिकारियों ने बताया है कि इस बार 26 जनवरी को देश के अलग-अलग राज्यों से इतने आर्डर आ चुके हैं कि वह तरंगों की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं. अभी तक उन्होंने 22 हजार तिरंगों का निर्माण किया है और इस 26 जनवरी तक उनका उत्पादन लगभग एक करोड़ के आसपास पहुंच गया है.
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