महाराष्ट्र (Maharashtra) में एक बार फिर से छत्रपति शिवाजी (Chhatrapati Shivaji) और संत रामदास को लेकर विवाद हो रहा है. अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने ईशा फाउंडेशन के संस्थापक जग्गी वासुदेव (Jaggi Vasudev) से एक वीडियो के लिए "बिना शर्त माफी" की मांग की है. पार्टी का आरोप है कि उन्होंने "झूठा" और "अपमानजनक" दावा किया है कि संत रामदास मराठा शासक छत्रपति शिवाजी के गुरु थे और वो रामदास ही थे जिन्होंने शिवाजी को भगवा ध्वज दिया था.
इस पर एनसीपी विधायक जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि यह पूरी तरह से झूठ है, इसमें कोई सच्चाई नहीं है. यह शिवाजी महाराज का ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र का भी अपमान है. हम चाहते हैं कि सद्गुरु जल्द से जल्द बिना शर्त माफी मांगें. आव्हाड ने उनके खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की.
यूट्यूब चैनल पर पोस्ट किए गए एक वीडियो जग्गी वासुदेव मराठा राजा के बारे में एक कहानी सुनाते हुए दिखाई दे रहे हैं. वो कहते हैं कि शिवाजी के एक गुरु थे, जिनका नाम रामदास था. एक दिन शिवाजी अपने महल की बालकनी में खड़े थे. उन्होंने अपने गुरु को घर-घर भीख मांगते हुए देखा, फिर सोचा कि मेरे गुरु क्या सड़कों पर भीख मांग रहे हैं? मैं राजा हूं, मेरे गुरु सड़कों पर भीख नहीं मांग सकते.
वीडियो में जग्गी वासुदेव कहानी बताते हुए कहते हैं कि
शिवाजी ने गुरु को चिट्ठी भेजी और अगले दिन रामदास महल आए. इस चिट्ठी में शिवाजी ने लिखा था कि मैं अपना पूरा राज्य आपके चरणों में रख रहा हूं. रामदास ने शिवाजी से पूछा कि बाद में वह क्या करने जा रहे थे क्योंकि वह राज्य छोड़ रहे थे. शिवाजी ने कहा आप जो भी करो. मैं आपके आसपास रहना चाहता हूं और आपकी सेवा करना चाहता हूं.जग्गी वासुदेव
कहानी में दावा किया गया कि दोनों साथ में भीख मांगने गए थे.
वीडियो में जग्गी वासुदेव आगे बताते हैं कि रामदास ने उनको नारंगी रंग का कपड़ा दिया और उसे एक बैनर के रूप में इस्तेमाल करने के लिए कहा कि यदि आप जानते हैं कि यह आपका नहीं है, तो आप इसे अपना लेंगे और आप लोगों के लिए सबसे अच्छा करेंगे. इसलिए शिवाजी ने हमेशा अपने बैनर के रूप में नारंगी कपड़े का इस्तेमाल किया.
जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि छत्रपति शिवाजी और महाराष्ट्र को बदनाम करने की बार-बार कोशिश की जा रही है. राज्य सरकार को तुरंत इस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.
बता दें कि महाराष्ट्र में इससे पहले भी छत्रपति शिवाजी और संत रामदास को लेकर कई बार विवाद हो चुका है. दक्षिणपंथी दावा करते हैं कि संत रामदास शासक के गुरु थे. कई मराठा संगठनों ने इस तरह के दावों का खंडन किया है कि इस बात का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है कि राजा का कोई ब्राह्मण गुरु था.
इससे पहले महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी भी रामदास को शिवाजी महाराज का गुरु बताने के लिए विवादों में आ गए थे.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)