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महाराष्ट्र: नेवी अफसर की मौत का राज और गहराया, परिवार के कई सवाल 

परिवार ने पूछा- फिरौती की मांग के लिए उन्हें कोई फोन क्यों नही आया 

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महाराष्ट्र के पालघर मे नौसैनिक सूरज कुमार दुबे की मौत का राज और गहरा होता जा रहा है. क्योंकि अब इस मामले मे मृतक नौसैनिक के परिवार ने कुछ अहम सवाल खड़े किए है. जिससे ये मामला और भी पेचीदा होते जा रहा है. चेन्नई मे अगवा हुए सूरज कुमार को 1400 किलोमीटर दूर महाराष्ट्र के पालघर जिले के जंगल मे लाकर क्यों जलाया गया, इस बात से परिवार हैरान है. साथ ही फिरौती की मांग के लिए उन्हें कोई फोन क्यो नही आया.

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इसीलिए ये हत्या महज फिरौती के लिए की गई थी या फिर इसके पीछे कोई और कहानी है, इस जांच मे अब पालघर पुलिस जुटी है. बताया जा रहा है कि जहां सूरज कुमार झुलसी हुई स्थिति मे पाए गए थे, उसके आस-पास का वेवजी इलाका जादू टोना के लिए भी बदनाम है.

दम तोड़ने से पहले दिया था बयान

उपचार के दौरान दम तोड़ने से पहले सूरज कुमार के दिए बयान के मुताबिक, उन्हें चेन्नई एयरपोर्ट से अगवा किया गया था. जिसके तीन दिनों बाद तलासरी के वेवजी जंगल मे उन्हें लाकर जला दिया गया. अपहरण करके उनसे दस लाख की मांग की गयी थी. मगर मांग पुरी न होने की वजह से उसके उपर अपहरणकर्ताओं ने पेट्रोल छिड़ककर उन्हें जला दिया. इसी की जांच के लिए पालघर पुलिस ने सौ कर्मचारियों की दस टीमें बनाकर जांच के लिए चेन्नई और झारखंड भेज दी है.

लेकिन पालघर एसपी दत्तात्रेय शिंदे की दी हुई जानकारी के मुताबिक, मृतक की जुबानी और पुलिस की जांच मे बहुत ही अलग-अलग जानकारी सामने आई हैं. हालांकि, अपहरण के समय सूरज कुमार के पास दो मोबाईल थे. मगर पुलिस जांच में पता चला कि मृतक के पास और एक मोबाईल यानी तीसरा मोबाईल नंबर था.  

वो मोबाइल सूरज कुमार शेयर बाजार के लेन-देन के लिए इस्तेमाल करता था. पुलिस के अनुसार एक रिश्तेदार ने इस फोन पर संपर्क करने की कोशिश की थी. लेकिन उचित जवाब नहीं मिला. यह तीसरा नंबर 1 फरवरी की शाम 6 बजे तक चल रहा था, जिसके बाद बंद हो गया. लेकिन इस नंबर की जानकरी परिवार को नहीं थी. साथ ही चेन्नई एयरपोर्ट के बाहर सूरज कुमार काफी देर तक घूमते हुए सीसीटीवी मे पाया गया है. पहले मेट्रो स्टेशन और फिर रेलवे स्टेशन के पास तक सूरज कुमार गया था जिसके बाद एक SUV कार मे बिठाकर उसे ले जाया गया है. जिसके कारण अपहरण की बात पर संदेह होता है.

क्या कर्जे में डूबा था नौसैनिक ?

पुलिस जांच मे ये बात सामने आई है कि सूरज कुमार शेयर बाजार मे निवेश करता था. उसने भोपाल और मुंबई की दो शेयर मार्केट कंपनियों मे दो दिनों तक लगातार पैसों का ट्रांजेक्शन किया था. उसके सैलरी अकाउंट मे साढ़े आठ लाख के लोन की जानकारी मिली है. इसी अकाउंट से उसने काफी शेयर ट्रेडिंग की थी. जिसमे आखिर मे सिर्फ 302 रुपये बचे थे. इसके अलावा सूरज कुमार के दूसरे अकाउंट मे पांच हजार रुपये की राशि थी जो उसने 1 फरवरी को चेन्नई एयरपोर्ट के एक एटीएम से निकाली थी. इन दोनों अकाउंट्स पर लगभग 23 लाख के कर्ज होने का दावा पुलिस ने किया है. ये भी बताया जा रहा है कि सूरज कुमार ने अपने सहकर्मियों और ससुराल के लोगों से कुल 15 लाख का कर्जा उठाया था. 1 जनवरी से महीने भर की छुट्टी पर घर आए सूरज की मंगनी 15 जनवरी 2021 को हुई थी.

सूरज दुबे कोयंबटूर में आईएनएल अग्रणी ट्रेनिंग स्कूल में कार्यरत थे. परिवार वालो को सूरज दुबे मर्डर केस में नेवी के ही एक अन्य कर्मचारी पर पैसे की लेनदेन के आरोप में मारने का आरोप है. लेकिन नेवी की तरफ से इन आरोपों पर कोई भी प्रतिक्रिया अब तक नही आई है. हालांकि पालघर पुलिस ने तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 307, 364, 392 और 34 के तहत मामला दर्ज कर लिया है. 
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'अगर फिरौती मांगनी होती तो हमें कॉल क्यों नहीं आया?'

सूरज के भाई नीरज दूबे ने क्विंट को बताया कि "30 जनवरी को डाल्टनगंज बस स्टैंड पर मैं ही सूरज को छोड़ने गया था. जहां से उसने रांची की बस सुबह 9 बजे पकड़ी. वहां से हैदराबाद के लिए शाम 4:15 बजे उसकी फ्लाईट थी. 6 बजकर 46 मिनट पर उसकी कॉल आई. उसने बताया कि मैं हैदराबाद पहुंच गया हूं. अब यहां से चेन्नई के लिए मेरी अगली फ्लाईट है और चेन्नई से कोयम्बटूर के लिए रात 11:40 बजे ट्रेन है. इसके बाद 31 जनवरी सुबह 6 बजे पापा ने कॉल लगाया, लेकिन दोनो नम्बर ऑफ थे. दिन भर कोशिश करते रहे लेकिन सम्पर्क नहीं हूई. फिर हमने शाम 6 बजे सूरज की यूनिट कि सारी जानकारी दी और उनसे पूछा कि सूरज अपनी यूनिट पहुंचे या नहीं? यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर अशोक राय ने बताया कि वह यहां नहीं पहूंचे, लेकिन 1 फरवरी सुबह 8 बजे तक सूरज की रिपोर्टिंग का समय है इस लिए 8 बजे तक इंतेज़ार करते हैं, हो सकता है वह चेन्नई में रुक गए हों."

“सूरज जब 1 फरवरी को 8 बजे तक यूनिट नहीं पहुंचे तब हमने अपने गृह थाना चैनपुर में सूरज की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई. उसके बाद पलामू SP ऑफिस ने सूरज की कॉल डिटेल निकाली. जिसमें सूरज की लास्ट लोकेशन 30 जनवरी को चेन्नई एयरपोर्ट मिला. उसके बाद से सूरज का कुछ अतापता नहीं चला. लेकिन 5 फरवरी को अचानक शाम 4 बजे मम्मी के मोबाइल पर पालघर महाराष्ट्र पुलिस की कॉल आई कि सूरज दूबे ज़ख्मी हालत में हमें यहां मिला है. वह बोलने की हालत में नहीं है. उसको इलाज के लिए अस्पताल भेज रहे हैं. आप अपने गार्जियन को यहां भेजिए. तब पापा पालघर गए. लेकिन रात एक बजे सूरज के मौत की सूचना मिली.”
सूरज के भाई नीरज दूबे
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नीरज ने एक कॉल का जिक्र करते हुए बताया कि जब हम सूरज को बस स्टेंड छोड़ने गए तभी पापा के मोबाइल पर एक कॉल आई कि, "सूरज से बात कराइए, मेरा नाम धर्मेन्द्र है, मैं सूरज के साथ ही काम करता हूं." पापा ने कहा कि सूरज रांची की बस पकड़ने के लिए चला गया है. लेकिन पापा को उस पर शक हुआ और उन्होंने पूछा कि मेरा नंबर आपको कैसे मिला, इस पर धर्मेन्द्र ने जवाब दिया कि यहां नंबर रहता है.

“कॉल डिटेल की खास बात यह है कि उसी धर्मेन्द्र कुमार के नंबर पर 30 जनवरी को सूरज से 13 बार मैसेज द्वारा बातचीत हुई है. अब हमारा शक इधर भी जा रहा है अब यह जांच का विषय है कि क्या हकीकत है.”
सूरज के भाई नीरज दूबे

भाई सूरज की मौत पर नीरज ने कहा, "कैसे चेन्नई से मुंबई ले जाकर इस तरह अमानवीय तरीके से हत्या हूई? पालघर एसपी ने दस लाख रुपये की फिरौती की बात कही. तो सवाल यह है कि फिरौती मांगी जाएगी तो उसके लिए हमारे घर कॉल आनी चाहिए थी. फिरौती के लिए अपराधियों द्वारा हमारे परिवार से सम्पर्क किया जाना चाहिए था. लेकिन परिवार के किसी सदस्य से फिरौती के लिए किसी ने कभी सम्पर्क नहीं किया."

“पालघर एसपी से मैंने पूछा कि सूरज ने कोई बयान दिया है क्या? इस पर वह कह रहे थे कि बयान दिया है कि तीन लड़कों ने मिलकर मुझे जलाया और एक का नाम इरफान है.”
सूरज के भाई नीरज दूबे

1400 किलोमीटर दूर लाकर क्यों जलाया?

सूत्रों की माने तो पालघर जिले का डहाणु इलाका पैसे डबल करने वाले जादू टोना के लिए बदनाम है. पुलिस का मानना है कि कर्जे के बोझ मे दबे सूरज कुमार को इसी इलाके मे लाकर जलाए जाने का सुराग उसके मौत का कारण सामने ला सकता है. लेकिन इस बारे मे फिलहाल कोई ठोस सबूत पुलिस के हाथ ना लगने से इसे अभी तक अधिकृत पुष्टि नहीं मिल पाई है. हालांकि झारखंड और नौसेना की पुलिस भी इस मामले की स्वतंत्र जांच कर रही है.

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