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पेगासस:फडणवीस सरकार के दौरान इजरायल का दौरा करने वाले अफसरों से रिपोर्ट तलब

अधिकारियों के इजरायल दौरे पर नियमों के उल्लंघन की बात सामने आ रही है.

Published
भारत
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पेगासस जासूसी मामले पर अब महाराष्ट्र में भी हंगामा माचा हुआ है. महाराष्ट्र में भी पेगासस के जरिये फोन टैपिंग के आरोपों पर सरकार और विपक्ष आमने सामने है. महाराष्ट्र सरकार ने अब फडणवीस सरकार के दौरान इजरायल का दौरा करने वाले अधिकारीयों से रिपोर्ट तलब की है.

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दरअसल, नवंबर 2019 में महाराष्ट्र सरकार के सूचना और प्रचार महानिदेशालय (DGIPR) के अधिकारियों का एक दल इजरायल के दौरे पर गया था. अब महाराष्ट्र सरकार ने विभाग के ऐसे ही पांच वरिष्ठ अधिकारियों से दौरे की रिपोर्ट मांगी है.

राज्य सरकार में सहयोगी कांग्रेस पार्टी ने मांग की थी कि इस बात की जांच कि जाए कि पेगासेस का कोई महाराष्ट्र कनेक्शन तो नहीं है. अब विभाग ने अधिकारियों को नोटिस जारी कर दौरे की रिपोर्ट देने को कहा है क्योंकि प्रारंभिक जांच में विदेश दौरे से जुड़े कई नियमों का उल्लंघन पाया गया है.

महाराष्ट्र कांग्रेस कमेटी के जनरल सेक्रेटरी और प्रवक्ता सचिन सावंत ने DGIPR अधिकारियों के इजरायल दौरे पर सवाल खड़े किए है. सावंत ने सरकार की एक रिपोर्ट ट्वीट कर बताया है कि ये अधिकारी इजरायल में सरकार के सूचना एवं प्रचार के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उपयोग, ग्रामीण और पहुंच से बाहर होनेवाली जनसंख्या तक पहुंचने के नई तकनिक, साइबर अपराधों के बारे में शिक्षा और आपात स्थिति - घटनाओं में न्यू मीडिया का उपयोग जैसे प्रशिक्षण के लिए गए थे.

फडणवीस ने दिया जवाब

कांग्रेस के आरोपों के जवाब में विपक्षी नेता देवेन्द्र फडणवीस ने कहा है कि उनके कार्यकाल में सरकार ने NSO नामक संस्था से कोई सर्विस नहीं ली थी. बल्कि DGIPR के अधिकारी कृषि विषयक वर्कशॉप के लिए इजरायल दौरे पर विधानसभा चुनाव के बाद गए थे. अब कांग्रेस सवाल उठा रही है कि जनसंपर्क विभाग के अधिकारी भला कृषि की पढ़ाई क्यों कर रहे थे.

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गौरतलब है की अधिकारियों के इजरायल दौरे में नियमों के उल्लंघन की बात सामने आ रही है. सामान्य प्रशासन वीभाग के जीआर के मुताबिक इस दौरे के लिए मुख्यमंत्री, केंद्र सरकार और मुख्य सचिव के समिति की मंजूरी लगती है. जिस देश मे दौरा है वहां के प्रशिक्षण देनेवाले संस्था से आए आमंत्रण की जानकारी और दौरे पर होनेवाले खर्च का विवरण. हालांकि सूत्रों की माने तो इनमें से किसी भी नियमों का पालन नही हुआ था. साथ ही राज्य में चुनाव के बाद 15 से 25 नवंबर 2019 के बीच दौरा हुआ था. ऐसे में आचार संहिता के चलते चुनाव आयोग की इजाजत भी जरूरी थी जो कि नहीं ली गई थी. इन्हीं वजहों से ये दौरा शक के घेरे में है.

पेगासस के महाराष्ट्र कनेक्शन पर सचिन सावंत का कहना है,

'क्या पेगासस कांड महाराष्ट्र में हुआ था? मांग है कि महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार इसकी जांच करे. महाराष्ट्र में फडणवीस सरकार के दौरान रश्मि शुक्ला के जरिए अनाधिकृत फोन टैपिंग का मामला सामने आ चुका है. लेकिन पेगासिस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल की भी खबरें थीं. क्या मंत्रालय में बैठा कोई आईपीएस अधिकारी इस मसले पर काम कर रहा था? DGIPR अधिकारी किसकी अनुमति से इजरायल गए थे? उन्हें क्या प्रशिक्षण मिला? क्या उन्होंने वापस आकर रिपोर्ट की? क्या यह पेगासस से संबंधित है? यह आश्चर्यजनक और संदेहास्पद है कि चुनाव के दौरान इस तरह के दौरे हुए हैं.'

सूत्रों की माने तो इन पांच अधिकारियों में तत्कालीन DGIPR के पूर्व निदेशक आईपीएस ब्रिजेश सिंघ इस दौरे में शामिल नहीं थे. लेकिन फडणवीस सरकार के कार्यकाल में उनकी नियुक्ति चर्चा का विषय थी. क्योंकि पहली बार इस पद पर आईएएस की जगह साइबर सेक्युरिटी से जुड़े एक आईपीएस अधिकारी को चुना गया था. साथ ही दौरे पर गए पांच अधिकारियों के पास सर्विलांस से जुड़ी कोई एक्सपर्टीज भी नहीं है.

हालांकि DGIPR के वर्तमान निदेशक दिलीप पांढरपट्टे ने इन अधिकारियों का रिपोर्ट आने से पहले कोई भी प्रतिक्रिया देने से मना किया है.

इससे पहले भी मानसून सत्र में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने फोन टैपिंग का मुद्दा सदन में उठाया था. पिछली सरकार में उनके और उनके नजदीकियों के फोन टैप होने का उन्होंने आरोप लगाया था. जिसके चलते गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने टैपिंग मामले के जांच के आदेश देते हुए एक समिति का गठन किया है. जिसका जांच रिपोर्ट अगले सत्र में पेश करने को कहा है.

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