(अगर आपके दिमाग में सुसाइड का ख्याल आए या आप किसी ऐसे व्यक्ति से परिचित हों जो परेशान हो तो उसके प्रति दयालु बनें और स्थानीय इमरजेंसी सेवाओं, हेल्पलाइन्स और मेंटल हेल्थ एनजीओज के नंबरों पर संपर्क करें.)
सोमवार, 20 जून की सुबह महाराष्ट्र (Maharashtra) के सांगली जिले में म्हैसाल गांव के कुछ लोगों ने देखा कि उनके पड़ोसी 52 साल के पोपट वानमोरे ने दूध लेने के लिए अपने घर का दरवाजा नहीं खोला. फिर जब वह पोपट वानमोरे के घर में घुसे तो हैरान रह गए. सांगली पुलिस ने स्थानीय मीडिया को बताया कि घर में पोपट, उनकी बीवी संगीता (48 साल) और उनकी बेटी अर्चना (30 साल) मृत पड़े थे.
सिर्फ यही नहीं था, कुछ किलोमीटर दूर मानिक वानमोरे के घर भी कुछ ऐसा ही दृश्य था. 49 साल के मानिक पोपट के छोटे भाई और वेटनरी डॉक्टर थे.
जब उनके कलीग्स ने पाया कि मानिक अपना फोन नहीं उठा रहे तो वे उनके घर पहुंचे. वहां मानिक, उनकी बीवी रेखा (45 साल) और उनके बच्चे अनीता (28 साल) और आदित्य (15 साल) मृत पड़े थे.
उनके साथ ही पोपट के बेटे शुभम (28 साल) और पोपट-मानिक की मां अक्काताई (72 साल) की लाशें भी पड़ी थीं.
वानमोरे परिवार के सभी नौ लोगों ने एक सुसाइड नोट छोड़ा हुआ था, जिसमें लिखा था कि लोन न चुका पाने के लिए उन्हें जो लगातार ‘बेइज्जती’ झेलनी पड़ रही है, उसकी वजह से वे यह सख्त कदम उठा रहे हैं.
सांगली पुलिस सुपरिंटेंडेंट दीक्षित गेदाम ने द क्विंट को यह बताया कि “परिवार ने एक सुसाइड नोट छोड़ा जिसमें लिखा है कि उन्होंने कई लोगों से लोन लिया और वे उसे चुका नहीं पाए. उन्होंने नोट में उन लोगों के नाम भी लिखे और कहा कि इन लोगों के चलते उन्होंने जो अपमान सहा, उसकी वजह से वे यह कड़ा कदम उठाए को मजबूर हुए.”
इसलिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के सेक्शन 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 341 (गलत तरीके से रोकना), महाराष्ट्र मनी लेंडिंग (रेगुलेशन) एक्ट और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) एक्ट से संबंधित प्रावधानों के तहत 25 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
इस सनसनीखेज घटना के बाद, 21 जून को सांगली पुलिस ने म्हैसाल में रहने वाले 13 लोगों को गिरफ्तार किया. यह गांव मुंबई से करीब 300 किलोमीटर दूर है.
मैन्यूफैक्चरिंग बिजनेस शुरू करने के लिए पैसा उधार लिया था
पोपट, जो म्हैसाल के सरकारी स्कूल में टीचर थे, और डॉ. मानिक, ये दोनों भाई पूरे परिवार के कमाऊ सदस्य थे. पोपट की बेटी अर्चना भी कोल्हापुर के एक बैंक में काम करती थी.
इस परिवार को पैसों की कोई तंगी नहीं थी. उनके हालात तब बदले, जब तक उन्होंने चार-पांच साल पहले मैन्यूफैक्चरिंग बिजनेस शुरू किया. पोपट के एक कलीग ने नाम न बताने की शर्त पर द क्विंट से कहा
“वह एक सामान्य परिवार था- अपनी दुनिया में खुश रहने वाला. जैसा कि मुझे पता है, चार- पांच साल पहले उन्होंने एक मैन्यूफैक्चरिंग बिजनेस शुरू करने का फैसला किया. इसके बाद उन्होंने पैसे उधार लेने शुरू किए. लेकिन बिजनेस चला नहीं, और ब्याज पर ब्याज बढ़ता गया जिसे चुकाना बहुत मुश्किल होने लगा. वह एक इज्जतदार परिवार था. मैं जानता था कि पैसों की तंगी है लेकिन यह तंगी इतनी बड़ी है, इसका एहसास नहीं हुआ. मेरे ख्याल से, अपमान और यह सोचकर कि समाज क्या कहेगा, उन्होंने यह कदम उठाया.”पोपट वानमोरे के कलीग
सांगली पुलिस के मुताबिक, वनमोरे परिवार ने कथित तौर पर करीब एक करोड़ रुपए उधार लिए थे और नियमित रूप से ब्याज चुका रहे थे लेकिन ब्याज बढ़ता जा रहा था. और उनके लिए इसे चुकाना आसान नहीं था. हालांकि शुरुआती जांच से पता चला है कि उन्हें "बार-बार शारीरिक और मानसिक रूप से, और कभी-कभी सार्वजनिक रूप से परेशान किया गया था."
वे चाहते थे कि उनकी बेटियों की शादी हो जाए
वानमोरे परिवार के पास वाले घर में रहने वाली पूनम चुंदजा ने द क्विंट को बताया कि वे लोग अर्चना की शादी तय करने के लिए ‘अच्छे समय’ का इंतजार कर रहे थे, यानी जब उनके पास पैसे हों.
पूनम ने कई बार कोशिश की कि वानमोरे परिवार की पालतू बिल्लियों रानू और मान्या को खाना खिलाएं लेकिन बिल्लियों ने अपने मालिकों की मौत के बाद से एक निवाला भी नहीं चखा.
“परिवार अनीता और अर्चना की शादी को लेकर भी बहुत परेशान था. लेकिन जब भी कोई उनसे इस बारे में पूछता तो वे कहते कि वे बिजनेस के अच्छा चलने का इंतजार कर रहे हैं. मैं अब भी हैरान हूं क्योंकि मैं उन्हें बहुत सालों से जानती हूं. वे अपनी बिल्लियों को बहुत प्यार करते थे और आज बिल्लियां ही हैं, जो उस परिवार में बची हुई हैं.”पूनम चुंदजा
“मैं तो उन्हीं के घर में रहकर बड़ी हुई हूं,” वानमोरे परिवार की एक जानकार अश्विनी सावंत ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था.
“वे सभी लोग बहुत केयरिंग थे और मुझे भी अपने परिवार का सदस्य मानते थे. किसी भी खास मौके पर जब उनके घर में कोई पकवान बनता था, मुझे जरूर बुलाते थे. एक हफ्ते पहले मैं पानी पूरी पार्टी के लिए उनके घर गई थी. वह हमेशा खुश रहते थे और उन्हें जानवरों से बहुत प्यार था. पिछले कुछ समय से वे कर्ज की वजह से बहुत परेशान थे, पर मैंने इस बात की कल्पना भी नहीं की थी.”अश्विनी सावंत ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया.
अंधविश्वास वाला कोई मामला नहीं है- सांगली पुलिस
सांगली पुलिस ने स्थानीय मीडिया को यह भी बताया कि इस मामले में कोई ‘सुसाइड पैक्ट’ या ‘अंधविश्वास’ वाला एंगल नहीं है. जैसा कि 2018 में दिल्ली के बुराड़ी मामले में हुआ था. बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोग अपने घर में मृत पाए गए थे.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान नंदकुमार रामचंद्र पवार (52 साल), राजेंद्र लक्ष्मण बन्ने (50 साल), अनिल लक्ष्मण बन्ने (35 साल), खंडेराव शिंदे (37 साल), तात्यासाहेब चौगुले (50 साल), शैलेश रामचंद्र धूमल (56 साल), प्रकाश कृष्ण पवार (45 साल), संजय इरप्पा बगड़ी (51 साल), अनिल बालू बोराडे (48 साल), पांडुरंग श्रीपति घोरपड़े (56 साल), शिवाजी लक्ष्मण कोरे (65 साल), और रेखा तात्यासाहेब चौगुले (45 साल) के रूप में हुई है
गेदाम के मुताबिक, “दो लोगों- शैलेंद्र रामचंद्र धूमल और उसके बेटा आशु शैलेश धूमल का रिकॉर्ड क्रिमिनल है और म्हैसाल में प्राइवेट मनी लेंडिंग के सिलसिले में उनके खिलाफ पहले भी कई मामले दर्ज किए जा चुके हैं. और वे दोनों लोग फरार थे.”
महाराष्ट्र पुलिस की टीम इस मामले के अन्य 12 आरोपियों को सांगली, कोल्हापुर, शोलापुर और कर्नाटक के सीमावर्ती इलाकों में खोज रही है.
(विजय पाटिल के इनपुट्स के साथ)
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