नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित और पाकिस्तान की शिक्षा अधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई ने घाटी में तनाव भरे हालात के बीच संयुक्त राष्ट्र से कश्मीर में शांति लाने और बच्चों को दोबारा स्कूल भेजने में मदद करने की दिशा में काम करने की अपील की है.
भारत सरकार की ओर से पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और पाबंदियां लगाने के बाद से ही समूची घाटी में आम जनजीवन प्रभावित है. ज्यादातर दुकानें और स्कूल बंद हैं तथा सार्वजनिक परिवहन सड़कों से नदारद है.
यूसुफजई ने कहा-
मैं यूएनजीए के नेताओं और अन्य से कश्मीर में शांति लाने की दिशा में काम करने, कश्मीरियों की आवाज सुनने और बच्चे स्कूलों की ओर लौट सकें, इसमें मदद करने का अनुरोध कर रही हूं.मलाला यूसुफजई, पाकिस्तानी शिक्षा अधिकार कार्यकर्ता
22 साल की मलाला ने कहा कि वह उन रिपोर्टों से चिंतित हैं जिनमें कहा गया है कि 40 दिन से ज्यादा वक्त से बच्चे स्कूल नहीं जा सके हैं,लड़कियां घर से निकलने में डर रही हैं .
मलाला ने ट्वीट करके लिखा-
‘‘ मैं कश्मीर में रहने वाली लड़कियों से अभी सीधे बातचीत करना चाहती हूं. कश्मीर में संचार माध्यमों पर पाबंदियों की वजह से लोगों की कहानियां जानने के लिए बहुत से लोगों को काफी काम करना पड़ा. कश्मीरी दुनिया से कटे हुए हैं और वह अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं. कश्मीर को बोलने दो.’’
कश्मीर में 5 अगस्त से ही लगे हैं कई प्रतिबंध
बता दें, केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को दिए विशेष राज्य के दर्जे को हटाने के बाद राज्य को अभूतपूर्व सुरक्षा कवच के तहत रखा है. टॉप सैन्य अधिकारी उसके बाद से कश्मीर में पाकिस्तान के आक्रामक रवैये के मद्देनजर एलओसी के समीप सुरक्षा तैयारियों की लगातार समीक्षा कर रहे
370 हटने के महीने भर बाद किस हाल में कश्मीर-क्विंट ग्राउंड रिपोर्ट
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