बता दें, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर राज्य के दौरे के दौरान 6 एफआईआर की सीबीआई जांच की बात कही थी. जिनमें से पांच कथित आपराधिक षड्यंत्र और एक मणिपुर में हिंसा के पीछे सामान्य साजिश पर आधारित है.
न्यूज एजेन्सी पीटीआई के हवाले से अधिकारियों ने बताया कि केंद्र के माध्यम से भेजे गये राज्य के एक संदर्भ पर कार्रवाई करते हुए, सीबीआई ने एसआईटी का गठन किया है और मामलों की जांच अपने हाथ में ली है.
शाह 29 मई को राज्य में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने चार दिवसीय यात्रा पर मणिपुर गए थे. इसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, कुकी, मेइती समुदाय और अन्य लोगों के साथ अलग-अलग समय पर बैठक की थी.
सबसे अधिक प्रभावित जिलों में से एक चुराचंदपुर में शाह ने जो-कुकी नागरिक समाज संगठनों के नेताओं, जनजाति प्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों के साथ बंद कमरे में बैठकें कीं. उनकी बातचीत का पहला राउंड, नागरिक समाज संगठन के नेताओं, छात्र निकायों, महिला समूहों और जनजाति नेताओं के साथ था, जो लगभग एक घंटे तक चला.
एक निष्पक्ष जांच के अलावा, शाह ने कई और आश्वासन दिए थे, जिनमें राज्य अधिकारियों की भागीदारी के बिना चुनिंदा मामले सीबीआई द्वारा उठाए जाएंगे. प्रत्यक्ष लाभ के माध्यम से स्थानांतरित किए जाने वाले जान माल के नुकसान के लिए पुनर्वास, राज्य को राहत सामग्री, और इम्फाल और चुराचांदपुर में हेल्पलाइन नंबर आदि शामिल हैं.
CMO के आधिकारिक बयान के मुताबिक अबतक 98 लोगों की मौत
मणिपुर में फैली हिंसा में मरने वालों की संख्या वर्तमान में 98 है. मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में घायलों की संख्या 310 और आगजनी के दर्ज मामलों की संख्या 4,014 बताई गई है. 11 मैगजीन सहित 144 चोरी के हथियार बरामद किए गए हैं. बरामद हथियारों में 29 सेल्फ लोडिंग राइफल (SLR), 15 कार्बाइन, 12 इंसास राइफल और 10 ग्रेनेड लॉन्चर शामिल हैं.
इस बयान के अनुसार, अबतक कुल 3,734 FIR दर्ज की गई हैं, जिनमें से अधिकतम 1,257 इंफाल पश्चिम जिले में. इसके बाद कांगपोकपी में 932 और बिष्णुपुर 844 दर्ज की गई हैं.
दरअसल पिछले दिनों राज्य में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाला गया था, लेकिन इसके बाद हिंसक झड़पें शुरू हो गई थीं.
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