महाराष्ट्र के सभी स्कूलों में एक अप्रैल से मराठी की पढ़ाई अनिवार्य हो जाएगी. महाराष्ट्र कैबिनेट ने बुधवार को सर्वसम्मति से यह फैसला किया. गुरुवार को विधानसभा ने इस फैसले को हरी झंडी दे दी. आदेश का पालन न करने वाले स्कूलों को जुर्माना देना होगा. उनकी मान्यता भी रद्द हो सकती है.
इस विधेयक के पारित होने के बाद महाराष्ट्र बोर्ड के अलावा CBSE, CISE, IGCSE, NIOS और MIEB के तमाम सरकारी और निजी स्कूलों में मराठी भाषा पढ़ाना अब अनिवार्य होगा. अभी तक राज्य में सभी बोर्डों के स्कूलों में मराठी भाषा विषय ऑप्शनल था .
कानून नहीं मानने पर स्कूल की मान्यता हो सकती है रद्द
विधेयक के मुताबिक, कानून न मानने पर स्कूलों की मान्यता रद्द करने का प्रावधान रखा गया है. साथ ही जुर्माने के तौर पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना सरकार वसूल करेगी. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने परिषद में विधेयक के पारित होने पर प्रसन्नता व्यक्त की थी. उन्होंने कहा कि मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्रदान करने के लिए वह केंद्र से अनुरोध करेंगे.
देवेंद्र फडणवीस ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया.लेकिन सरकार के इस विधेयक की कुछ खामियों को भी सदन के समने लाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि कि जुर्माने की रकम जो रखी है वो बहुत कम है. सरकार का मकसद जिन स्कूलों में इसे लागू करने का है उन स्कूलों में सालाना फीस ही पांच लाख के करीब है. ऐसे में एक लाख का जुर्माना भर वे इस कानून को अमल में लाने से बच सकते हैं. लिहाजा सरकार को इस और ध्यान देने की जरूरत है. साथ ही सरकार कानून के लागू होने के बाद हर साल इसका पालन कितने स्कूल में हुआ इसका लेखा जोखा भी हर साल विधानसभा में दे तो अच्छा होगा.
फडणवीस की सूचना पर मंत्री सुभाष देसाई ने इस पर अमल करने का आश्वासन सदन में दिया. खास बात ये है कि मराठी भाषा दिवस के मौके पर उद्धव ठाकरे सरकार ने इस विधेयक को मंजूरी दी.
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