पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान साफ किया है कि फर्स्ट कजिन (चचेरे/ममेरे भाई-बहन) आपस में शादी नहीं कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा है कि चचेरे भाई-बहन के बीच शादी अवैध है. हाईकोर्ट ने यह फैसला लुधियाना के खन्ना सिटी -2 थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण), 366A (एक नाबालिग लड़की से अत्याचार) के तहत दर्ज मामले में अग्रिम जमानत के लिए एक 21 साल के युवक की याचिका पर सुनाया है.
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उसके मुवक्किल ने भी एक आपराधिक रिट याचिका दायर की थी, जिसमें लड़की के साथ उनके जीवन और स्वतंत्रता को संरक्षण देने की प्रार्थना की गई थी. हालांकि राज्य का तर्क था कि दोनों पहले चचेरे भाई-बहन हैं और उनके पिता असली भाई हैं.
हाईकोर्ट ने यह भी फैसला दिया कि फर्स्ट कजिन से लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहे एक युवक के उसके साथ शादी करने का दावा भी गैर कानूनी है. जस्टिस अरविंद सिंह सांगवान ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा,
“.. वर्तमान याचिका में यह कहते हुए कि जब वह [लड़की] 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेती है, तो वे विवाह करेंगे, ये भी अवैध है.”
याचिका का विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि लड़की माइनर (18 साल से कम) है. उसके माता-पिता ने FIR दर्ज करवा रखी है क्योंकि लड़की और युवक के पिता सगे भाई हैं.
सुनवाई के दौरान, आपराधिक रिट याचिका की फाइल भी कोर्ट में तलब की गई थी और पार्टियों के अपने ज्ञापन के मुताबिक, लड़की की उम्र 17 बताई गई थी और याचिकाकर्ता ने यह कहते हुए याचिका दायर की थी कि वे दोनों लिव-इन-रिलेशनशिप में रहते थे.
याचिका के साथ, लड़की का वो तर्क भी रद्द कर दिया गया था कि उसके माता-पिता अपने बेटों को ज्यादा प्यार करते हैं, और उसे माता-पिता के द्वारा अनदेखा किया गया था. इसलिए, उसने अपने दोस्त के साथ रहने का फैसला किया इसलिए उसके माता-पिता उन्हें परेशान कर सकते हैं और उनके मन की शांति को भंग कर सकते हैं. यह याचिका 7 सितंबर को निस्तारित की गई थी.
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