छह बार की वर्ल्ड चैंपियन मैरी कॉम (Mary Kom) के संन्यास लेने की चर्चा थी. अब एमसी मैरी कॉम ने मुक्केबाजी से रिटायरमेंट की खबर को सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा "मैंने अभी तक संन्यास की घोषणा नहीं की है और मुझे गलत तरीके से कोट किया जा रहा है."
उन्होंने कहा " मैं जब भी इसकी घोषणा करना चाहूंगी व्यक्तिगत रूप से मीडिया के सामने आऊंगी. मैंने कुछ मीडिया रिपोर्ट देखी हैं, जिनमें कहा गया है कि मैंने संन्यास की घोषणा कर दी है और यह सच नहीं है."
कैसे उड़ी संन्यास लेने की अफवाह?
मैरी कॉम ने बताया" मैं 24 जनवरी 2024 को डिब्रूगढ़ में एक स्कूल कार्यक्रम में भाग ले रही थी, जिसमें मैं बच्चों को प्रेरित करने के लिए मैंने कहा था कि "मुझमें अभी भी खेलों में उपलब्धि हासिल करने की भूख है, लेकिन ओलंपिक में उम्र सीमा मुझे भाग लेने की अनुमति नहीं देती है. हालांकि मैं भाग ले सकती हूं, मैं अभी अपने खेल पर और अपनी फिटनेस पर ध्यान दे रही हूं और जब भी मैं संन्यास की घोषणा करूंगी तो सभी को सूचित करूंगी."
मैरी कॉम 41 साल की हो गईं है. इसी को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि इंटरनेशनल मुक्केबाजी संघ के नियम के अनुसार, पुरुष और महिला मुक्केबाजों को केवल 40 की उम्र तक मुक्केबाजी करने की अनुमति होती है. ऐसे में उनके बयान को संन्यास से जोड़कर देखा गया.
कैसा रहा मैरी कॉम का सफर?
मैरी कॉम उन लोगों में से हैं, जिन्होंने अपने संघर्ष से अपने सम्पूर्ण जीवन की कायापलट दी और दूसरे के लिए प्रेरणा बनीं. उनका जन्म 1 मार्च, साल 1983 में मणिपुर के गरीब किसान परिवार में हुआ था. उनके बचपन का पूरा नाम मंगते चुंगनेइजैंग मैरी कॉम था. उनके पिता का नाम टोंपा कॉम और मां का नाम अखम कोम था.
उनका बचपन संघर्षों में गुजरा. उन्हें एक वक्त का खाना मुश्किल से मिल पाता था. मैरी घर के कामों में हाथ बंटाती और हमेशा अपने जीवन को बेहतर करने की सोचती रहतीं. वो खेलकूद में अच्छी थीं.
मणिपुर के डिंग्को सिंह ने बैंकॉक में हुए एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीता था, उन्हीं से प्रभावित होकर मैरी रिंग में उतर गईं. साल 2000 में राज्य मुक्केबाजी प्रतिस्पर्धा जीतने के बाद मैरी ने कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा.
मैरी कॉम ने अपने बॉक्सिंग कॅरियर की शुरुआत महज 18 साल की उम्र में की थी. पेनसिल्वेनिया के स्क्रैंटन में उन्होंने 48 KG कैटेगरी के फाइनल में जगह बनाई. फाइनल में वह पिछड़ गईं लेकिन उन्होंने अपने क्लियर बॉक्सिंग टेक्नीक से प्रभावित किया.
उन्होंने 2012 लंदन ओलिंपिक गेम्स में भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था. वे 6 बार वर्ल्ड चैंपियन भी हैं. मैरी कॉम ऐसा करने वाली इकलौती महिला मुक्केबाज हैं. इसके अलावा, वे 5 बार एशियाई चैंपियनशिप जीतने वाली भी इकलौती खिलाड़ी हैं.
मैरी इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन (IBA) की वुमन बॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली वो पहली भारतीय बनीं. उन्होंने 2005, 2006, 2008 और 2010 में वर्ल्ड चैंपियनशिप का खिताब जीता. 2008 का खिताब जीतने के बाद उन्होंने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया और उन्होंने खेल से कुछ समय के लिए ब्रेक ले लिया.
2012 के लंदन ओलिंपिक में मैरी कॉम ने 51KG कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता. 2018 में मैरी कॉम ने दिल्ली में वर्ल्ड चैंपियनशिप में यूक्रेन की हन्ना ओखोटा को 5-0 से शिकस्त दी थी. इस तरह, उन्होंने अपना छठा टाइटल जीता. उन्होंने ओलंपिक जीतने के बाद दूसरी बार ब्रेक लिया और उनके तीसरे बच्चे का जन्म हुआ.
बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था...
"बॉक्सिंग ने मेरी जिंदगी में एक नया अध्याय शुरू किया और मुझे बेहतर जिंदगी जीना सिखाया. मैं कभी हारना नहीं चाहती थी, न जिंदगी में, ना ही बॉक्सिंग के रिंग में."
ऑनलर कॉम से की शादी
मैरी कॉम ने के ऑनलर कॉम से 2005 में शादी की थी. दो साल बाद, मैरी ने अपने जुड़वा बेटों को जन्म दिया. ये सिजेरियन डिलीवरी थी. ऑनलर ने घर में बच्चों को संभाला और मैरी फिर से रिंग में उतर गई और एक-एक कर जीत हासिल करतीं गईं.
इन अवार्ड से सम्मानित...
बॉक्सिंग के खेल में देश का नाम रौशन करने के लिए 2003 में भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया
2006 में पद्मश्री से भी सम्मानित
जुलाई 2009 में सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार मिला
साल 2014 में मैरी कोम के जीवन पर बायोपिक फिल्म भी बनी है, जिसमें प्रियंका चोपड़ा ने मैरी कोम का किरदार निभाया.
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