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NEET दाखिले में आरक्षण का मामला- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दी राहत

NEET: सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि आरक्षण नीति पर मामला अभी भी उसके पास लंबित है

Published
भारत
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शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केरल उच्च न्यायालय द्वारा नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (NEET) में कोटा लागू करने से पहले सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी लेने के बारे में की गई टिप्पणियों को खारिज कर दिया है. यह केंद्र सरकार के लिए एक राहत की खबर है.

दरअसल, 29 जुलाई को केंद्र सरकार ने वर्तमान शैक्षणिक सत्र से अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट मेडिकल कोर्सेज के लिए All India Quota (AIQ) योजना में OBC के लिए 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (Economically Weaker Section-EWS) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की थी.

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा

हालांकि, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) और बीवी नागरत्ना (BV Nagarathna) ने कहा कि उनके द्वारा टिप्पणियों के खारिज करने से, केरल HC योग्यता के आधार पर कम नहीं हो जाता. उनके अनुसार, निचली अदालत को DMK द्वारा दायर अवमानना ​​​​याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए थी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि आरक्षण नीति पर मामला अभी भी उसके पास लंबित है और वो अब उस पर कोई राय नहीं दे रहा है.

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शीर्ष अदालत मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ केंद्र की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उसने मेडिकल कॉलेजों की ऑल इंडिया कोटा सीटों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की केंद्र की 29 जुलाई, 2021 की अधिसूचना की वैधता को बरकरार रखा था,
जबकि कहा था कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों या EWS को 10 प्रतिशत आरक्षण की अनुमति केवल सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी के अधीन दी जा सकती है.

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मद्रास उच्च न्यायालय ने 25 अगस्त को तमिलनाडु के सत्तारूढ़ DMK द्वारा केंद्र के खिलाफ दायर अवमानना ​​याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी कि, उच्च न्यायालय के पहले के निर्देश के बावजूद 2021-22 शैक्षणिक वर्ष के लिए आरक्षण को लागू करने में देरी हुई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मेडिकल और डेंटल कोर्स में केंद्र की नई आरक्षण नीति के खिलाफ मेडिकल छात्रों द्वारा दायर याचिकाओं पर भी सुनवाई की और सरकार को 6 अक्टूबर तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. अदालत ने याचिकाकर्ताओं से तब तक अपने सबमिशन का सारांश दाखिल करने को भी कहा.

All India Quota जिसके तहत सरकार आरक्षण को बढ़ावा देती है, भारत भर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कुल उपलब्ध स्नातक सीटों के 15 प्रतिशत और कुल उपलब्ध स्नातकोत्तर सीटों के 50 प्रतिशत के लिए लागू है.

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