4 अप्रैल को अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में ‘AP’ का नाम था. ये बताया गया था कि आरोपियों में एक क्रिश्चियन मिशेल ने अपने बयान में सौदे से जुड़ी कथित ‘बजट शीट’ में जिस ‘AP’ का नाम लिया था, वो कांग्रेस नेता अहमद पटेल हैं.
लेकिन क्या मिशेल ने ED में वाकई यही बयान दिया था?
द क्विंट ने मिशेल के हाथ से लिखा गया और ED में दर्ज किया गया वो बयान हासिल किया है, जो अगस्ता वेस्टलैंड की चार्जशीट के साथ संलग्न है. 3 जनवरी 2019 को दर्ज किए गए बयान का अनुवाद इस प्रकार है.
“मैं नहीं जानता कि Haschke क्या सोच रहा था. मुझे लगता है कि वो (Haschke) अहमद पटेल के बारे में सोच रहा था.”
जबकि ईडी ने अपनी चार्जशीट में जो लिखा है, उसका अनुवाद है:
“क्रिश्चियन मिशेल के मुताबिक, ‘AP’ का अर्थ अहमद पटेल और ‘Fam’ का अर्थ ‘फैमिली’ है.”
ED की चार्जशीट और उसे दिए गए बयान में जमीन-आसमान का अंतर
साफ तौर पर ED की चार्जशीट और ED को दिए गए मिशेल के बयान में जमीन-आसमान का अंतर है. 2 जनवरी 2019 को दर्ज मिशेल के बयान का अनुवाद इस प्रकार है: “मेरे खयाल से ‘बजट शीट’ साफ तौर पर एक वर्ग (Pol) को सनसनीखेज बनाने के लिए है.”
प्रवर्तन निदेशालय को ये ‘बजट शीट’ उनके निवेदन खत के बाद इटली से मिला था. बजट शीट Guido Haschke के घर से बरामद हुई थी, जो वीवीआईपी चॉपर मामले में एक बिचौलिया है.एजेंसी ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि 'बजट शीट के मुताबिक, रिश्वत के तौर पर वायु सेना अधिकारियों, नौकरशाहों और राजनीतिज्ञों को 30 मिलियन यूरो दिए गए.” इसमें कई सांकेतिक शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, जिनमें ‘AP’ और ‘Fam’ भी शामिल हैं.
प्रवर्तन निदेशालय देश को गुमराह कर रहा है: वकील
मिशेल के वकील एल्जो जोसेफ ने द क्विंट को बताया कि प्रवर्तन निदेशालय राजनीति से प्रेरित होकर जांच कर रहा है. उन्होंने कहा,
जब मिशेल ने अपने बयान में कई शब्दों में ‘बजट शीट’ को नकार दिया है, तो शीट में लिखे सांकेतिक शब्दों की व्याख्या कैसे हो सकती है? प्रवर्तन निदेशालय देश को गुमराह कर रहा है. ये जांच निष्पक्ष नहीं है. एजेंसी की आजादी खतरे में है.”
मिशेल ने सिर्फ अहमद पटेल का नाम क्यों लिया: ED अधिकारी
ED के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर द क्विंट को बताया, “मिशेल के बयान की प्रासंगिकता अदालत तय करेगी.
पटेल पर मिशेल के बयान की अभियोजन पक्ष ने जो व्याख्या की है, वो अर्धसत्य है. एजेंसी पूछ सकती है कि उसने सिर्फ अहमद पटेल का ही नाम क्यों लिया और किसी दूसरे व्यक्ति/राजनीतिज्ञ का क्यों नहीं, जिसका अर्थ है कि वो कुछ छिपा रहा है. जबकि बचाव पक्ष के वकील दलील दे सकते हैं कि अहमद पटेल का नाम सिर्फ मिशेल का अनुमान है.”
इस मामले में दूसरा महत्त्वपूर्ण आरोपी Guido Haschke है, जिसने बजट शीट तैयार किया था. एजेंसी अब तक उसे भारत लाने में सफल नहीं हो पाई है. Haschke इटली के एक अदालत में पहले ही कह चुका है कि उसने मिशेल के कहने पर बजटशीट पर लिखा था, और उसे ‘AP’ का पूरा अर्थ नहीं मालूम है.
अपने बयान में मिशेल ने बजटशीट में जिक्र किए गए दूसरे सांकेतिक शब्दों का पूरा नाम बताया है – ‘AF’ यानी ‘Air Force’, ‘Bur’ यानी ‘Bureaucrats’, ‘DS’ यानी ‘Defence Secretary’ आदि. ED की चार्जशीट में ये भी कहा गया है कि “मिशेल ने बजटशीट में इन व्यक्तियों को दी गई राशि का जिक्र नहीं किया है.” अपने बयान में मिशेल ने कहा कि सारे भुगतान Haschke ने किए थे, उसने नहीं. लिहाजा बजटशीट में जिक्र की गई राशि के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है.
एक कागजात में अहमद पटेल के नाम का जिक्र है
ED को दिया गया बयान अदालत में मंजूर होता है. लिहाजा मिशेल के बयान को महत्वपूर्ण सबूत माना जाएगा. ED अधिकारी ने ये भी स्वीकार किया कि पटेल पर मिशेल का बयान अलग-थलग करके नहीं देखा जाना चाहिए. मुकदमे में दूसरे कागजात के साथ जोड़कर विश्लेषण करना चाहिए. बजट शीट के अलावा अहमद पटेल के नाम का जिक्र 15 मार्च 2008 के एक कागज में किया गया है. इसे मिशेल के कर्मचारी जेबी सुब्रमण्यन ने टाइप किया था और उसके निर्देश पर इसे भारत से इटली फैक्स किया था.
उस दस्तावेज को पीटर ह्यूलेट ने लिखा था, जो उन दिनों अगस्ता वेस्टलैंड के भारत दफ्तर में Head of Region, Government Sales के पद पर तैनात था. कागज के मुताबिक भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त को सलाह दी थी कि “श्रीमती गांधी” (सोनिया गांधी) के करीबियों को “निशाना” बनाया जाए. ED की चार्जशीट के मुताबिक मिशेल ने स्वीकार किया है कि ये कागज उसके कर्मचारी ने टाइप किया था, साथ ही मिशेल ने अपने बयान में स्पष्ट जवाब भी दिए. एक सवाल का जवाब नहीं मिलता- क्या ये कागजात साबित करने के लिए काफी हैं कि मिशेल, अहमद पटेल से परिचित था? ED अधिकारी का कहना है
मिशेल का बयान एक महत्त्वपूर्ण सबूत है. लेकिन निश्चित रूप से एजेंसी को इस बयान को अन्य सबूतों के साथ जोड़कर देखना होगा.”
मिशेल को दुबई से दिसंबर 2018 में भारत प्रत्यर्पित किया गया था. एजेंसी, यूपीए सरकार के दौरान 3,600 करोड़ लागत वाली अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी चॉपर सौदे में कथित रिश्वतखोरी की जांच कर रही है. मिशेल पर आरोप है कि उसने चॉपर के सौदे के लिए भारतीय राजनीतिज्ञों, नौकरशाहों और रक्षा अधिकारियों को रिश्वत दी थी.
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