लॉकडाउन के बीच जब भारत सरकार की तरफ से ये ऐलान हुआ कि प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए ट्रेनों का इंतजाम किया गया है, तो लाखों लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. राज्यों में फंसे मजदूरों को लगा कि भले ही देर से सही लेकिन उनकी सरकार ने उनकी सुध ली है. लेकिन इसी बीच मजदूरों के लिए चलाई जा रही स्पेशल 'श्रमिक ट्रेन' को लेकर विवाद खड़ा हो गया. बताया गया कि मजदूरों से किराया वसूला जा रहा है. जिसके बाद सरकार मामले पर डैमेज कंट्रोल करती दिखी.
ये आरोप लगाए गए कि मजदूरों से ट्रेन का किराया वसूला जा रहा है, जिसकी वजह से मजदूर अपने घर नहीं जा पा रहे हैं. इन्हीं आरोपों के बीच कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का एक वीडियो सामने आया. जिसने इस पूरे मामले को राजनीतिक हवा देने का काम किया. इसके बाद बीजेपी ने सरकार का बचाव किया, जबकि कांग्रेस ने लगातार हमलावर रुख अपनाए रखा.
सोनिया ने कर दी किराए की पेशकश
सोनिया गांधी ने अपने एक वीडियो में कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से चलाई जा रही स्पेशल ट्रेनों में सफर के लिए मजदूरों को पैसा देना पड़ रहा है. उन्होंने कहा,
“मुझे पीड़ा है कि संकट की इस घड़ी में भारत सरकार रेल यात्रा का किराया और स्पेशल चार्ज वसूल रही है. कांग्रेस पार्टी ने फैसला किया है कि हर प्रदेश में जरूरतमंद श्रमिक भाइयों और बहनों के घर लौटने की रेल यात्रा का खर्च उठाएगी. मैंने मजदूरों को सैकड़ों किमी पैदल जाते देखा. आज भी लाखों श्रमिक फंसे हैं और घर वापसी का इंतजार कर रह हैं. उम्मीद करती हूं कि जल्द आप अपने परिवार के पास पहुंच पाएंगे.”सोनिया गांधी
इसके बाद बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी का ट्वीट आया- जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि केंद्र टिकट का 85% राज्य सरकारें 15% किराया देंगी. इसे डैमेज कंट्रोल के तौर पर देखा गया.
सरकार की तरफ से सफाई
कांग्रेस की तरफ से एक बड़े हमले पर बीजेपी तुरंत एक्शन में आई. स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका जवाब देते हुए कहा कि हमने कभी भी मजदूरों से किराया वसूलने की बात नहीं कही है. हमने 85 प्रतिशत खर्चा केंद्र सरकार और बाकी 15 प्रतिशत राज्यों को उठाने के लिए कहा था. ठीक ऐसा ही जवाब बीजेपी की तरफ से भी दिया गया.
इसके अलावा रेलवे की तरफ से भी सफाई जारी हो गई. रेलवे ने कहा कि टिकट बिक्री पर पूरी तरह से रोक है. टिकट सिर्फ उसी को दिए जा रहे हैं, जो राज्य सरकार की तरफ से भेजे जा रहे हैं. बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू नेता और बिहार के सीएम ने भी इसे नकार दिया. उन्होंने कहा कि जो कोटा से छात्र आ रहे हैं, उनसे रेल का भाड़ा नहीं लिया जा रहा है. राज्य सरकार रेलवे को पैसा दे रही है.
इससे पहले बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने भी रेल किराए को लेकर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने कहा था कि
“गरीब मजदूरों से रेल का किराया वसूलना कहां की नैतिकता है? एयर इंडिया की फ्लाइट से विदेशों में फंसे लोगों को फ्री में लाया गया. अगर रेलवे ने खर्च उठाने से इनकार कर दिया था तो पीएम केयर्स फंड के जरिए इसका भुगतान क्यों नहीं किया गया?”सुब्रमण्यम स्वामी
मजदूरों ने दिखाए सबूत
लेकिन महाराष्ट्र में कुछ प्रवासी मजदूरों ने सरकार के इन दावों के बिल्कुल उलट जवाब दिया. उन्होंने बकायदा सबूत भी दिखाए और कहा कि उनसे टिकट के पैसे वसूले गए. कुछ मजदूरों ने कैमरों के सामने ये कबूल किया कि उनसे करीब 500 रुपये ट्रेन का भाड़ा लिया गया है. इसके लिए सबूत के तौर पर उन्होंने टिकट भी दिखा दी. अब सवाल ये है कि क्या ये किराया महाराष्ट्र सरकार की तरफ से वसूला गया? लेकिन महाराष्ट्र के मंत्री नितिन राउत ने खुद इसे लेकर सवाल खड़ा किया था. ये भी आरोप लगाया जा रहा है कि केंद्र सरकार अब अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश में लगी है.
रविवार को ही खबर आई थी कि मुंबई के भिवंडी स्टेशन से कई घंटों के इंतजार के बाद मजदूरों को इसलिए लौटना पड़ा क्योंकि उनके पास टिकट के पैसे नहीं थे. अब जबकि ऐलान किया गया है कि सरकार टिकट का खर्च उठाएगी तो ये सवाल है कि क्या मजदूर बिना टिकट ट्रेन में बैठ सकते हैं?
गुजरात में मजदूरों की झड़प
बता दें कि देशभर में अब भी लाखों मजदूर ऐसे हैं, जिन तक सरकारें नहीं पहुंच पाई हैं. रजिस्ट्रेशन और बाकी सभी चीजों को लेकर अब तक काफी कंफ्यूजन की स्थिति है. इसका ताजा उदाहरण गुजरात के सूरत में देखने को मिला. सैकड़ों मजदूर सड़कों पर उतर गए और घर जाने की मांग की. इसी बीच मजदूरों और पुलिस की झड़प हुई. मजदूरों की तरफ से पुलिस पर पत्थरबाजी हुई तो पुलिस ने लाठीचार्ज और टियर गैर शेल का इस्तेमाल किया. वहीं अन्य राज्यों से भी मजदूरों के पैदल ही घर निकलने और सीमेंट-प्याज के कंटेनर में छिपकर जाने की खबरें सामने आई हैं.
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