प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई गई ट्रेनें ही उनकी मौत का कारण बन रही हैं. श्रमिक ट्रेन में एक और मजदूर की मौत होने की खबर आई है. राजस्थान से पश्चिम बंगाल जा रहे 50 साल के एक मजदूर की श्रमिक स्पेशल ट्रेन में मौत हो गई. साथ में जा रहे पैसेंजर्स को शव के साथ 8 घंटे का सफर करना पड़ा.
पीटीआई की खबर के मुताबिक, बंगाल के मालदा जिले के हरिशचंद्रपुर के रहने वाले बुद्ध परिहार राजस्थान के बीकानेर में एक होटल में काम करता था. वो पिछले 20 सालों से यहां काम कर रहा था.
पुलिस के मुताबिक, 30 मई की रात 10 बजे, मुगलसराय के पास परिहार ने दम तोड़ दिया. परिहार की मौत के बाद पूरे कंपार्टमेंट में डर फैल गया. लोगों को लगा कि उसकी मौत कोरोना वायरस से हुई है और वो भी इससे संक्रमित हो सकते हैं.
ट्रेन के 31 मई की सुबह 6:40 पर मालदा स्टेशन पहुंचने के बाद रेलवे के डॉक्टर्स और स्टाफ ने कंपार्टमेंट से शव को निकालकर गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (GRP) के हवाले किया.
रेलवे ने अपने बयान में कहा कि परिहार टीबी से पीड़ित था और रास्ते में तबीयत बिगड़ने पर उसे दवाई भी दी गई थी, लेकिन उसकी जान नहीं बच सकी.
लॉकडाउन ने छीन ली थी नौकरी
कोरोना वायरस के कारण लगाए गए लॉकडाउन के कारण परिहार की नौकरी छिन गई. नौकरी जाने के बाद उसने वापस घर लौटने के कई जतन किए, लेकिन असफल रहा. आखिरकार 29 मई को सुबह 11 बजे वो ट्रेन में बैठा.
पीटीआई के मुताबिक, परिहार के साथ ट्रेन में सफर कर रहे उसके रिश्तेदार सराजु दास ने बयान में कहा,
“हम होटल में काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन शुरू होने के बाद नौकरी चली गई. हमारे पास पैसे नहीं थे, हमने कई बार घर लौटना चाहा लेकिन नहीं लौट पाए. इसी बीच, बुद्ध बीमार पड़ गए. हम 29 मई को ट्रेन में बैठे, लेकिन रहस्यमयी तरीके से ट्रेन में ही उनकी मौत हो गई.”
मालदा जिला मजिस्ट्रेट राजर्शी मित्रा ने भी कंफर्म किया है कि परिहार को टीबी था. वहीं, दास का कोरोना वायरस टेस्ट पॉजिटिव आया है.
ट्रेन में कई मजदूरों ने गंवाई जान
प्रवासी मजदूरों को एक राज्य से दूसरे राज्य तक ले जाने के लिए चलाई जाने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 9 मई से 27 मई तक 80 लोगों की मौत की खबर है. हिंदुस्तान टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में RPF के आंकड़ों के हवाले से ये जानकारी दी है. प्रवासी मजदूरों के पैदल घर निकलने के बाद केंद्र सरकार ने 1 मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने का फैसला लिया था, ताकि लॉकडाउन के बीच कामगार अपने घर पहुंच सकें.
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